भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण’,
जून 2016 जारी किया
जून 2016 जारी किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपना वेब प्रकाशन तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण, जून 2016 जारी किया। बीएसआर-1 सर्वेक्षण का लक्ष्य उधारकर्ता का व्यवसाय/गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते का प्रकार, ब्याज दर, क्रेडिट सीमा और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) से एकत्र किए गए बकाया की राशि से संबंधित ब्यौरों के आधार पर बैंकों के क्रेडिट के स्थानिक वितरण से संबंधित सूचना प्राप्त करना है। ऐसी सूचना रिपोर्टिंग बैंक कार्यालयों के स्थलीय पैरामीटरों का उपयोग करते हुए बैंक समूह, जनसंख्या समूह और राज्य स्तर पर एकत्र की जाती है।
यह प्रकाशन 30 जून 2016 को तिमाही बीएसआर-1 सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है और इसमें 91 अनूसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के 1,09,764 कार्यालयों को कवर किया गया है।
इस प्रकाशन में 31 दिसंबर 2014 से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) सकल बैंक ऋण पर व्यापक तिमाही आंकड़े दिए गए हैं। इन आंकड़ों को https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12 पर देखा जा सकता है।
मुख्य अंश:
- सर्वेक्षण के जवाब दर्शाते हैं कि बैंक ऋण में जून 2016 में 8.6 प्रतिशत की धीमी वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई, हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों की क्रेडिट वृद्धि तुलनात्मक रूप से अधिक रही। रोचक बात यह है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में क्रेडिट वृद्धि शहरी और महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में तेज गति से बढ़ना जारी रही।
- उद्योग के लिए क्रेडिट का बढ़ना जारी रहा, यद्यपि 5.2 प्रतिशत की धीमी गति से वृद्धि हुई। कुल क्रेडिट में इसकी हिस्सेदारी मार्च 2016 में 40.4 प्रतिशत से बढ़कर जून 2016 में 41.6 प्रतिशत हो गई।
- बैंकिंग क्षेत्र के खुदरा ध्यानकेंद्रण से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल क्रेडिट में वैयक्तिक ऋणों की हिस्सेदारी में मदद मिली जो मार्च 2016 के 17.9 प्रतिशत से बढ़कर जून 2016 में 19.3 प्रतिशत हो गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से आवास ऋणों की श्रेणी में हुई।
- भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) मार्च 2016 के 11.34 प्रतिशत से घटकर जून 2016 में 11.28 प्रतिशत हो गई। डब्ल्यूएएलआर जून 2015 से 41 आधार अंक तक कम हो गई है। यह कमी मुख्य रूप से ‘व्यावसायिक अन्य सेवाएं’ (64 आधार अंक), ‘उद्योग’ (52 आधार अंक), ‘आवास’ (51 आधार अंक) और ‘वैयक्तिक ऋण’ (37 आधार अंक) के रूप में श्रेणीबद्ध ऋणों और अग्रिमों में देखी गई।
(Source: rbi.org.in)
कोई टिप्पणी नहीं