अगर आप किसी भी बैंक से लोन लेने जा रहे हैं तो नई प्रणाली के आधार पर (MCLR) बैंकों की कर्ज दरों पर नजर डालना मत भूलिएगा।
>नई प्रणाली के आधार पर बैंकों की लेंडिंग रेट्स:
MCLR (%) SBI BoB HDFC Bank PNB SBBJ
ओवरनाइट 8.95 9 - - -
एक महीना 9.05 - - - -
तीन महीना 9.10 - - - 9.5
छह महीना 9.15 - - - 9.6
एक साल 9.20 9.20 9.20 9.40 9.7
दो साल 9.30 9.30 9.30 -
तीन साल 9.35 9.35 9.35 9.55
5 साल - 9.65 9.70
>बेस रेट (%)
SBI: 9.3
BoB:9.65
HDFC Bank: 9.30
दरअसल बैंकों ने आज यानी एक अप्रैल से कोष की सीमांत लागत (MCLR-Marginal Cost of Funds based Lending Rate) के आधार पर कर्ज की दरें तय करना शुरू कर दिया है। रिजर्व बैंक ने बैंकों की तीन साल की अवधि तक वाले कर्ज की दर तय करने के लिए बैंकों MCLR के आधार पर दर तय करने निदेश दिए हैं जबकि लंबी अवधि के कर्ज की दर तय करने के लिए बैंकों को छूट दी गई है।
अभी तक बैंक एवरेज कॉस्ट ऑफ फंड्स के आधार पर कर्ज की दर तय करते रहे हैं। बैंकों से हमेशा शिकायत रही है कि रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने में आनाकानी करते हैं। मसलन, पिछले साल रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में 125 बेसिस प्वाइंट (1.25%) की कमी की, लेकिन बैंक मुश्किल से कर्ज दरों में 55-60 बेसिस प्वाइंट (0.55-0.60%) की कमी का ही फायदा ग्राहकों को दे पाए। रिजर्व बैंक चाहता है कि बैंक भी ग्राहकों को उसी अनुपात में तुरंत फायदा दें जिस अनुपात में प्रमुख दरों में कटौती की जाती है। इसलिए कर्ज की दर तय करने के लिए कोष की सीमांत लागत (MCLR-Marginal Cost of Funds based Lending Rate) प्रणाली लागू की गई है। नई प्रणाली से कर्ज की दर बेस रेट के मुकाबले कर्ज की दर 0.25-0.30% कम रहने की उम्मीद है।
((RBI का MCLR प्रणाली पर अपने निदेशों पर सफाई
((आपके पैसों पर अप्रैल इफेक्ट: कहीं कम ब्याज, कहीं मिलेगा ब्याज, कर्ज दर के नए नियम
>नई प्रणाली के आधार पर बैंकों की लेंडिंग रेट्स:
MCLR (%) SBI BoB HDFC Bank PNB SBBJ
ओवरनाइट 8.95 9 - - -
एक महीना 9.05 - - - -
तीन महीना 9.10 - - - 9.5
छह महीना 9.15 - - - 9.6
एक साल 9.20 9.20 9.20 9.40 9.7
दो साल 9.30 9.30 9.30 -
तीन साल 9.35 9.35 9.35 9.55
5 साल - 9.65 9.70
>बेस रेट (%)
SBI: 9.3
BoB:9.65
HDFC Bank: 9.30
दरअसल बैंकों ने आज यानी एक अप्रैल से कोष की सीमांत लागत (MCLR-Marginal Cost of Funds based Lending Rate) के आधार पर कर्ज की दरें तय करना शुरू कर दिया है। रिजर्व बैंक ने बैंकों की तीन साल की अवधि तक वाले कर्ज की दर तय करने के लिए बैंकों MCLR के आधार पर दर तय करने निदेश दिए हैं जबकि लंबी अवधि के कर्ज की दर तय करने के लिए बैंकों को छूट दी गई है।
अभी तक बैंक एवरेज कॉस्ट ऑफ फंड्स के आधार पर कर्ज की दर तय करते रहे हैं। बैंकों से हमेशा शिकायत रही है कि रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने में आनाकानी करते हैं। मसलन, पिछले साल रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में 125 बेसिस प्वाइंट (1.25%) की कमी की, लेकिन बैंक मुश्किल से कर्ज दरों में 55-60 बेसिस प्वाइंट (0.55-0.60%) की कमी का ही फायदा ग्राहकों को दे पाए। रिजर्व बैंक चाहता है कि बैंक भी ग्राहकों को उसी अनुपात में तुरंत फायदा दें जिस अनुपात में प्रमुख दरों में कटौती की जाती है। इसलिए कर्ज की दर तय करने के लिए कोष की सीमांत लागत (MCLR-Marginal Cost of Funds based Lending Rate) प्रणाली लागू की गई है। नई प्रणाली से कर्ज की दर बेस रेट के मुकाबले कर्ज की दर 0.25-0.30% कम रहने की उम्मीद है।
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