अमेरिका, चीन के बीच में फंसे राजन, 2 फरवरी का क्या करेंगे ?

2 फरवरी को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन छठा द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करेंगे। इससे पहले 1 दिसंबर को हुई बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया था। हालांकि, पिछले साल राजन ब्याज दर में 1.25% की कटौती कर चुके हैं। अब सबकी नजर 2 फरवरी को राजन के संभावित फैसले पर है। घरेलू के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी ब्याज दर को लेकर राजन के सामने कई उलझनें हैं।

(( 1 दिसंबर की बैठक में RBI ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया
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घरेलू मोर्चे की बात करें, तो औद्योगिक उत्पादन 4 साल के निचले स्तर पर चला गया है, इस साल जीडीपी कम होने का अनुमान है, क्रेडिट ग्रोथ में संतोषजनक बढ़ोतरी का इंतजार है, ये कुछ ऐसी बातें हैं जो कि ब्याज दर में कमी की उम्मीद जगाती हैं। दूसरी ओर, थोक और खुदरा महंगाई दर फिर से चिंता पैदा कर रही है। रबी फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले कम हो रही है, जो कि महंगाई बढ़ाने की वजह साबित हो सकती है और इसके मद्देनजर राजन ब्याज दर में शायद ही कटौती करें।

उधर, ग्लोबल स्तर पर इस साल ग्रोथ में कमी का अंदेशा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की हालत पतली है, लेकिन महाशक्ति अमेरिका इन सबके बीच ब्याज बढ़ाने को तरजीह दे रहा है।

चीन की अर्थव्यवस्था साल 2015 में 6.9% की दर से बढ़ी, जबकि इसके पहले वाले साल यानी 2014 में इसमें 7.3% की दर से बढ़ोतरी हुई थी। चीनी अर्थव्यवस्था की पिछले साल की बढ़ोतरी रफ़्तार बीते 25 सालों में सबसे कम थी। चीन में जहां एक ओर आर्थिक विकास की दर लगातार धीमी होती जा रही है, चीन निर्यात और निवेश वाली अर्थव्यवस्था की बजाय उस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा है जो उपभोग और सेवा से संचालित होती है।

((चीन: 2015 की GDP ग्रोथ 6.9%, 25 साल में सबसे कम 
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चीन की मौजूदा धीमी विकास दर के कारण केंद्रीय बैंक नवंबर 2014 से अब तक छह बार ब्याज दर में कटौती कर चुका है. जानकारों के मुताबिक, चीनी नव वर्ष (आठ फरवरी) के पहले किसी भी वक्त चीन ब्याज दर में कटौती कर सकता है।

उधर, अमेरिका ने दिसंबर में चौंकाने वाली मजबूत जॉब रिपोर्ट जारी की है। इस जॉब रिपोर्ट से जहां मंदी की आशंका का डर कम होता दिख रहा है, वहीं इस साल मार्च में एक और ब्याज बढ़ोतरी की संभावना को हवा दे रही है। पिछले साल दिसंबर में ही 2006 के बाद पहली बार अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने फेडरल फंड रेट में चौथाई परसेंट की बढ़ोतरी करते हुए इसे 0-0.25% से 0.25%-0.50% कर दिया था।

((अमेरिका: मार्च में एक और ब्याज बढ़ोतरी संभव 
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अब बात घरेलू मोर्चे की। देश में औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे से अच्छी खबर नहीं है। पिछले साल यानी 2015 नवंबर में सालाना आधार पर IIP यानी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 3.2% कम हुआ है, जो कि चार साल की सबसे बड़ी गिरावट है। 2014 नवंबर में यह 5.2% बढ़ा था। 2015 अक्टूबर में यह 9.8% बढ़ा था।

((नवंबर में IIP 3.2% गिरा, 4 साल की बड़ी गिरावट
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खुदरा महंगाई फिर से तनाव बढ़ाने लगी है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2015 में दिसंबर 2014 के मुकाबले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर यानी खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। दिसंबर 2015 में महंगाई दर 5.61% बढ़ी, जबकि दिसंबर 2014 में 4.28% बढ़ी थी। अगर इससे पिछले महीने यानी नवंबर 2015 की बात करें तो खुदरा महंगाई दर में 5.41% की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी।

((दिसंबर में CPI महंगाई 5.61% बढ़ी, आगे और बढ़ने की आशंका  
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थोक महंगाई दर के मोर्चे से भी अच्छी खबर नहीं है। थोक महंगाई दर तो अभी भी शून्य से नीचे है लेकिन बढ़ोतरी का रुझान है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में लगातार 14 वें महीने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर में गिरावट आई है। दिसंबर 2015 में इसमें 0.73% की गिरावट आई है जबकि इससे पिछले महीने नवंबर में 1.99% की कमी आई थी। बात अगर 2014 के दिसंबर की करें तो WPI महंगाई दर में 0.50% की कमी आई थी।

((दिसंबर में WPI महंगाई 0.73% घटी 
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-बात अगर रबी फसल की बुआई की करें तो देश में 22 जनवरी तक गेहूं, दाल और तिलहन के साथ-साथ रबी फसल की बुआई में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले कमी आई है। हालांकि मोटे अनाज का रकबा इस दौरान बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 22 जनवरी तक रबी फसल की बुआई 589.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि तक 607.90 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। यानी पिछले साल 22 जनवरी तक की बुआई के मुकाबले इस साल इस अवधि तक करीब 17 लाख हेक्टेयर कम बुआई हुई है।

((रबी फसलों की बुआई करीब 590 लाख हेक्टेयर में (22 जन.तक)
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यानी कुल मिलाकर माहौल ब्याज दर में किसी भी तरह के बदलाव नहीं करने के अनुकूल दिख रहा है।

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