RBI ने फाइनेंशियल इनक्लूजन पर रिपोर्ट जारी की, मांगे सुझाव

RBI वित्तीय साक्षरता का स्तर जांचने के लिए सर्वे शुरू करेगा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दीपक मोहंती की अध्यक्षता वाली वित्तीय समावेशन पर मध्यावधि पथ (Medium Term-5 साल के लिए ) संबंधी समिति की रिपोर्ट जारी की है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही इस रिपोर्ट की सिफारिशों पर राय मांगी है। 

-कृषि ब्याज माफी योजना को धीरे-धीरे खत्म किया जाए: RBI समिति  
-वित्तीय साक्षरता के लिए वित्तीय साक्षरता केंद्र नेटवर्क मजबूत हो: RBI समिति

-वित्तीय समावेशन के लिए सरकार से व्यक्ति (G2P) को नकदी अंतरण बढ़े: RBI 

मोहंती समिति की मुख्य सिफारिशें: 
-बैंकों को महिलाओं के लिए खाते खोलने को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे और सरकार बालिकाओं के लिए जमा योजना - सुकन्या शिक्षा - पर कल्याणकारी उपाय के रूप में विचार कर सकती है।

-व्यक्तिगत खाताधारण के प्रभाव (कुल ऋण खातों का 94%) को देखते हुए, आधार जैसा विशिष्ट बायोमीट्रिक 
अभिज्ञापक प्रत्येक व्यक्तिगत ऋण खाते और ऋण सूचना कंपनियों के साथ शेयर की गई सूचना के साथ जोड़ा जाना चाहिए ताकि ऋण प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित हो सके और पहुंच में सुधार किया जा सके। 

-‘अंतिम समय’ (लास्ट माइल) की सेवा डिलीवरी में सुधार करने और बढ़ी हुई सुविधा तथा उपयोग में वित्तीय 
पहुंच को अंतरित करने के लिए संभावित अधिकाधिक जी2पी भुगतानों के लिए मोबाइल बैंकिंग सुविधा के 
उपयोग द्वारा न्यून-लागत सल्यूशन विकसित किया जाना चाहिए।

-कृषि के सभी खंडों के लिए औपचारिक ऋण आपूर्ति बढ़ाने के लिए भूमि अभिलेखों का डिजीटलीकरण अगला 
कदम है। इसे ऋण पात्रता प्रमाण-पत्रों हेतु आधार से जुड़ी व्यवस्था द्वारा सहायता प्रदान की जानी चाहिए 
जिससे कि वास्तविक खेतिहरों के लिए ऋण प्रवाह सुगम हो सके। 

-कृषि ब्याज माफी योजना जिसने कृषि ऋण प्रणाली को विकृत बना दिया है, को चरणबद्ध तरीके से समाप्त 
करना और मार्जिनल तथा छोटे किसानों के लिए नाममात्र प्रीमियम पर रु.200,000 की मौद्रिक सीमा तक 
सभी फसलों के लिए वहनीय प्रौद्योगिकी सहायताप्राप्त सार्वभौमिक फसल बीमा योजना में सब्सिडी की राशि 
का पुनर्निवेश करना।  

-शीघ्र चुकौती रिकार्ड वाले उधारकर्ताओं के लिए उच्चतर लचीलेपन के साथ स्वर्ण किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की योजना शुरू करना जिसे सरकार प्रायोजित व्यक्तिगत बीमा से सही ढंग से किया जा सकता है और व्यय 
पैटर्न का पता लगाने के लिए केसीसी का डिजीटलीकरण करना।

-सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए बहु-गारंटी 
एजेंसियों को प्रोत्साहित करना तथा काउंटर गारंटी और पुनर्बीमा की संभावना तलाशना।

-सभी एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए विशिष्ट पहचान की प्रणाली की शुरूआत और क्रेडिट ब्यूरो के साथ इस तरह की जानकारी प्रदान करना।

-ऋण मूल्‍यांकन में क्षेत्रकीय बैंकों की मदद के लिए एमएसएमई क्षेत्र के लिए पेशेवर क्रेडिट बिचौलियों/ सलाहकारों की एक प्रणाली स्थापित करना।

-एमएसई क्षेत्र के वित्‍तपोषण में वृद्धि के लिए चल जमानत के पंजीकरण की रूपरेखा तैयार की जाए।

-वाणिज्यिक बैंकों को दायित्व पक्ष में मांग जमाओं, एजेंसी और भागीदारी प्रमाणपत्र और आस्ति पक्ष में लागत और नियत लाभ सहित वित्तपोषण और आस्थगित भुगतान,आस्थगित वितरण ठेके की तरह सरल उत्पादों के साथ विशेष ब्याज मुक्त खिड़कियां खोलने के लिए सक्षम किया जाए ।

-विविध मॉडलों के साथ परिवेशानुकूल ऐसी प्रणाली को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिसमें राष्‍ट्र के पूर्ण–सेवा बैंकों, विभिन्न प्रकार के क्षेत्रीय बैंकों, एनबीएफसी, अर्द्ध औपचारिक वित्तीय संस्थानों के साथ ही नए 
लाइसेंसधारी भुगतान बैंकों और लघु वित्त बैंकों के बीच साझेदारी को बढ़ावा मिलें।

-बैंकों के कारोबारी मॉडल उचित निगरानी वाली नामित संपर्क शाखाओं के साथ व्यापार प्रतिनिधि (बीसी) 
और खास कर के आम आदमी का विश्वास प्राप्‍त करने के लिए निश्चित स्थानवाले  व्यापार प्रतिनिधियों (बीसी) को समेकित करें।

-व्यापार प्रतिनिधियों (बीसी) के ऑनलाइन पंजीकरण, प्रशिक्षण और अपराध सहित उनकी गतिविधियों की 
निगरानी, और अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के साथ प्रशिक्षित व्यापार प्रतिनिधियों (बीसी)  को ऋण के रूप में और अधिक जटिल वित्तीय उत्पाद सौंपने जैसी प्रणाली की शुरूआत।

-सभी प्रकार के बैंकिंग तक पहुंचने के लिए एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) नक्‍शा तैयार किया 
जाए।

-एक आजीविका मॉडल के रूप में सरकारी एजेंसियों सहित संबंधित हितधारकों की मदद से नाबार्ड द्वारा शुरू 
किए गए स्वयं सहायता समूह  (एसएचजी)-बैंक लिंकेज कार्यक्रम (एसबीएलपी) को आगे बढ़ाया जाए।

-कॉरपोरेट्स को अपने निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहलों के भाग के रूप में स्वयं सहायता समूहों का पोषण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

-अधिक ऋणग्रस्तता की जाँच करने के लिए सभी स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को उनके  व्यक्तिगत आधार नंबर के साथ जोड़कर उनके ऋण पूर्ववृत्‍त का प्रावधान किया जाए ।

-प्रभावी जोखिम अंतरण के लिए प्रतिभूतिकरण माध्‍यम की कर मुक्त स्थिति की पुन: बहाली की जाए।
-ग्रामीण और अर्ध -शहरी केंद्रों में अधिक एटीएम, मैक्रो एटीएमों की  अंतर-उपयोगिता  और ग्राहकों के लिए 
अधिक संपर्क बिंदु बनाने के लिए विक्रय स्‍थान (पीओएस) के रूप में अनुप्रयोग आधारित मोबाइलों उपयोग।

-भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) गैर स्मार्ट फोन का उपयोग करने वाले ग्राहकों के लिए, विशेष 
रूप से राष्ट्रीय एकीकृत यूएसएसडी प्‍लेटफार्म (एनयूयूपी) के उपयोगकर्ताओं के लिए, एक बहुभाषी मोबाइल 
अनुप्रयोग विकसित करें।

-उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए गैर-बैंक प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) के लिए पर्याप्त केवाईसी के 
साथ छोटे मूल्य के नकदी भुगतानों के लिए अनुमति।

-गैर बैंकों के लिए अंतर पीपीआई की अनुमति देना।

-व्यापारिक प्रतिष्ठानों द्वारा क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर अधिभार लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

-बैंकों द्वारा समयबद्ध तरीके से आधार कार्ड के साथ जमा खातों को जोड़ने का कार्य पूरा कर लिया जाए ताकि 
सामाजिक नकदी हस्तांतरण के लिए आवश्यक परिवेशानुकूल प्रणाली का निर्माण किया जा सके।  

-वित्तीय साक्षरता केंद्र (एफएलसी) नेटवर्क को मजबूत किया जाए ताकि बुनियादी स्तर पर वित्तीय साक्षरता 
प्रदान की जा सके। बैंकों द्वारा अग्रणी साक्षरता अधिकारियों की पहचान की जाए जिन्‍हें रिजर्व बैंक द्वारा अपने कृषि बैंकिंग महाविद्यालय (सीएबी) में प्रशिक्षित किया जाएगा और जो वित्‍तीय साक्षरता केंद्र चलानेवाले लोगों को प्रशिक्षित कर सकते हैं।

-रिजर्व बैंक वित्तीय साक्षरता के स्‍तर का पता लगाने के लिए राज्यों में आवधिक डिपस्टिक सर्वेक्षण शुरू करेगा।  
-सभी विनियमित संस्थाएं एसएमएस रसीद और ग्राहकों की शिकायतों के निपटान के लिए सुनिश्चित रूप से 
एक प्रौद्योगिकी आधारित मंच स्‍थापित करें।

-जिला सलाहकार समितियों (डीसीसी) और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (बीएलबीसी) के विचार-विमर्श लिए 
सूचना निगरानी प्रणाली मजबूत करना।

-प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करने के लिए एसएलबीसी / अग्रणी बैंक योजना की जिम्मेदारी बारी-बारी से सभी 
को सौंपी जाए।

-एसएलबीसी अंतर -संस्थागत मुद्दों, आजीविका मॉडलों, सामाजिक नकदी अंतरणों, जेंडर इनक्लुजन, आधार संख्या की सीडिंग, सार्वभौमिक खाता खोलने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे और ऋण जमा अनुपात जो एक 
उप-उत्पाद है, पर कम ध्यान केंद्रित करेंगे।

-दूसरी पीढ़ी के सुधारों के एक हिस्से के रूप में, सरकार एक प्रत्यक्ष आय अंतरण योजना द्वारा मौजूदा कृषि 
इनपुट सब्सिडी का स्‍थान खाद, बिजली और सिंचाई के साथ बदल सकता है। समिति ने कई अन्य सिफारिशें की हैं ताकि शासन प्रणाली में सुधार हो, क्रेडिट का बुनियादी ढांचा मजबूत बने और सरकारी सामाजिक नकद हस्तांतरण बढ़ें ताकि गरीबों की व्यक्तिगत प्रयोज्य आय बढ़े और अर्थव्यवस्था को मध्यावधि के लिए एक धारणीय समावेशक पथ पर स्‍थापित किया जा सके।



सिफारिश पर अपनी राय ई-मेल करें या प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय समावेशन और 
विकास विभाग, 10वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को 29 जनवरी 
2016 तक डाक द्वारा भेजें।

विज़न: 
समिति द्वारा परिकल्पित वित्तीय समावेशन पहल का क्षेत्र काफी व्यापक है जो रिज़र्व बैंक के पारंपरिक क्षेत्र से 
परे है। समिति ने माना कि विशेषकर जन धन योजना की शुरुआत के बाद से वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की 
सुलभता के मामले में काफी प्रगति हुई है। तथापि, उपयोग, ‘अंतिम समय’ (लास्ट माइल) की अपर्याप्त सेवा 
डिलीवरी और महिलाओं तथा लघु एवं मार्जिनल किसानों को बाहर रखने और सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों के लिए 
बहुत न्यून औपचारिक संबंध के मामले में काफी अंतराल था। 

ऋण प्रणाली की स्थिरता, अधिक ऋणग्रस्तता और कृषि के संकट के प्रणालीगत मुद्दे भी थे। इस पृष्ठभूमि में 
समिति ने “वित्तीय समावेशन के व्यापक विज़न को उन मूलभूत वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बास्केट की आसान पहुंच के रूप में निर्धारित किया जिसमें बचत, विप्रेषण, ऋण, लघु और मार्जिनल किसानों तथा कम आय वाले परिवारों के लिए उचित लागत पर सरकारी सहायताप्राप्त बीमा और पेंशन उत्पाद शामिल होंगे। 
इसमें सामाजिक नकदी अंतरण के माध्यम से पर्याप्त संरक्षण के साथ लघु और मार्जिनल उद्यमों के लिए औपचारित वित्त की पहुंच बढ़ाई जाएगी जिसमें लागत कम करने और सेवा डिलीवरी में सुधार करने के लिए प्रौद्योगिकी पर अधिक जोर दिया जाएगा जिससे कि वर्ष 2021 तक समाज का अब तक 90% से अधिक 
अल्पसेवाप्राप्त वर्ग औपचारिक वित्त से सशक्त आर्थिक प्रगति में सक्रिय स्टेकधारक बन सके।” समिति का विचार था कि सरकार से व्यक्ति (जी2पी) को नकदी अंतरण किए बिना सार्थक वित्तीय समावेशन व्यवहार्य नहीं है।

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