फाइनेंशियल इनक्लूजन मुहिम में जन धन खातों के बढ़ते कदम

जन धन स्कीम से बदल रही है बैंकों की तस्वीर 

मोदी सरकार द्वारा सबको बैंकिंग सुविधा से जोड़ने और फाइनेंशियल इनक्लूजन मुहिम में तेजी लाने के लिए शुरू की गई जनधन योजना का फायदा दिखने लगा है। इस योजना के तहत खुले अकाउंट में जीरो बैलेंस अकाउंट की अधिक संख्या को लकेर इसकी आलोचना की जा रही थी लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है। अब जीरो बैलेंस खातों की संख्या में काफी कमी आई है। जनधन खाते के जरिए अब लेन-देन की गतिविधियां बढ़ रही है।

सरकारी डाटा के मुताबिक, कुल जनधन खातों में निष्क्रिय या जीरो बैलेंस खातों का हिस्सा 77% से कम होकर अब 36% आ गया है। अब तक इसके तहत 27 हजार करोड़ रुपए बैलेंस के साथ करीब 19 करोड़ खाता खुले चुके हैं।  इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में इन खातों में औसत बैलेंस 250 रुपए से बढ़कर 2000 रुपए हो गया है।

एक नजर में जन धन खाता:  
 बैंक                   गांवों में     शहरों में      कुल खाता     बैलेंस              जीरो बैलेंस
                          (करोड़)     (करोड़)       (करोड़)       (करोड़ रु.)         खाता  (%)
-पब्लिक सेक्टर     8.3          6.73          15.04        21,078              36.37
-प्राइवेट सेक्टर      0.44         0.29         0.73           1,148                 41.1
-क्षेत्रीय ग्रामीण      2.95         0.49         3.45           4,593                 36.23
बैंक                                                            स्रोत: सरकारी वेबसाइट्स

लोगों के बचत करने की आदत के अलावा सरकार द्वारा मनरेगा के तहत
भुगतान, सब्सिडी का हस्तांतरण जैसे कामों से जीरो बैलेंस जनधन खातों की संख्या में कमी और इन खातों के जरिए लेन-देन बढ़ रही है। आने वाले दिनों में जीरो बैलेंस जनधन खातों की संख्या में और कमी की उम्मीद है।

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((गरीब भी बनें फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा: प्रधानमंत्री 
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((फाइनेंशियल सिक्योरिटी पर पहले साल में मोदी सरकार की बड़ी पहल, पढ़ें 
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