बैंक क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में सितंबर तिमाही में चौतरफा कमी

क्रेडिट ग्रोथ@8.9 %, डिपॉजिट ग्रोथ@10.2 %: RBI

कर्ज सस्ता होने के बावजूद बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। लेकिन, ब्याज दर कम होने के बाद बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ पर जरूर असर पड़ा है। रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर बैंकों की  डिपॉजिट (जमाराशि) और क्रेडिट (सकल बैंक ऋण) ग्रोथ में कमी आई है।

रिपोर्ट की मानें, तो पिछले साल की सितंबर तिमाही में जहां डिपॉजिट ग्रोथ 12.3% थी, वहीं इस साल सितंबर तिमाही में ये घटकर 10.2% रह गई। दूसरी ओर, इस दौरान क्रेडिट ग्रोथ 9.5% से घटकर 8.9 % हो गई।

रिजर्व बैंक के मुताबिक, इस साल की सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में गिरावट चौतरफा रही और अर्ध शहरी क्षेत्रों की जमा राशियों में स्थिर वृद्धि दर और  शहरी क्षेत्रों के सकल बैंक ऋणों में उच्च वृद्धि दर को छोड कर सभी जनसंख्‍या समूहों में पायी गयी ।

अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के कुल कारोबार (संकलित जमा राशियाँ और सकल बैंक ऋणों का योग) के आकार के क्रमानुसार सात राज्यों अर्थात महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की संयुक्त हिस्सेदारी 68.1% रही। अकेले महाराष्ट्र का कुल कारोबार में योगदान 25.1 % रहा । इन राज्यों की हिस्सेदारी संकलित जमाराशियों में 65.8% और सकल बैंक ऋण में 71.2 %रही ।

25 सितंबर 2015 को अखिल भारतीय ऋण-जमा अनुपात 75.0% था। चंडीगढ़ का ऋण-जमा अनुपात सर्वोच्च (120.9%) था जिसके बाद तामिलनाडु (115.0 %), तेलंगाना (103.3%), आंध्र-प्रदेश (103.1%), महाराष्ट्र (93.8 %), राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (91.4%) और राजस्थान (84.7 %) का स्थान रहा।

सितंबर 2015 में संकलित जमाराशियों और सकल बैंक ऋणों में वार्षिक वृद्धि दर भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहायक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिये उनके एक वर्ष पूर्व में रहे स्तर की तुलना में अधिक रही। हालांकि पिछली तिमाही की तुलना में सरकारी क्षेत्र के बैंकों (भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहायक और राष्ट्रीयकृत बैंक) की जमा राशियों की वृद्धि दर कम रही।

अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की संकलित जमाराशियाँ तथा सकल बैंक ऋण में लगभग आधी हिस्सेदारी का अंशदान देकर राष्ट्रीयकृत बैंकों ने अपनी प्रमुख स्थिति को बनाये रखा। ‘भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहायक’ तथा निजी क्षेत्र के बैंकों की संकलित जमाराशियाँ तथा सकल बैंक ऋण दोनों की हिस्सेदारियां लगभग समान थीं जो कि 20-23 % की सीमा में रही।

((लोन हुए सस्ते, लेकिन बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ अब भी धीमी
http://beyourmoneymanager.blogspot.com/2015/11/blog-post_91.html

कोई टिप्पणी नहीं