मूडीज ने बिगाड़ा PM मोदी का मूड !

चीन का 'Pain' भारत के लिए कैसे बनाएंगे 'Gain', प्रधानमंत्री जी ! 


प्रधानमंत्री मोदी जी, बीफ को लेकर आपके नेताओं की बेवजह की बयानबाजी, उसपर आपकी खामोशी और अपने वादे को पूरे नहीं करने पर इस बार आपके खिलाफ आवाज विपक्ष या देश के लेखक, वैज्ञानिक, इतिहासकार या फिल्मकारों ने नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने उठाया है।

मूडीज ने आपको चेताया है कि अगर आप अपने नेताओं पर लगाम नहीं लगाएंगे, तो भारत की साख गिरना तय है। आपकी चुप्पी पर देश का हर विरोध आपको और आपके मंत्री को आपकी पार्टी, आपकी सरकार और यहां तक की देश के खिलाफ साजिश दिखती है लेकिन अगर आप मूडीज की चेतावनी को भी चुनावी हथकंडा
बनाएंगे मोदी जी, तो ये देश के लिए दुर्भाग्य होगा। विपक्ष के 'हवावाजी', 'वादाखिलाफी' जैसे आरोपों को आप खिल्ली में उड़ा सकते हैं लेकिन मूडीज की चेतावनी को हल्के में लेना महंगा साबित हो सकता है, प्रधानमंत्री जी !

प्रधानमंत्री जी, जरा सोचिए दुनिया भर में धूम-धूमकर आप जिन निवेशकों से भारत में पैसे लगाने की अपील करते हैं, अगर उनका ही भरोसा आपकी सरकार से टूट जाती है तो फिर फायदा क्या है। मूडीज ने आगाह किया है कि गोमांस को लेकर रोज-रोज के विवादों जैसी घटनाओं पर लगाम नहीं कसी गई तो इसका खामियाजा
भारत को भुगतना पड़ सकता है। निवेशकों को विश्वास टूट सकता है।

मूडीज का इशारा समझिए, प्रधानमंत्री जी! 

एजेंसी ने अपनी 'इंडिया आउटलुक-सर्चिंग फॉर पोटेंशियल' रिपोर्ट में कहा है कि  हाल के दिनों में कुछ घटनाओं से भारत की साख पर असर पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक निवेशकों में भरोसा पैदा करने के लिए मोदी सरकार को अपने वादों पर खरा उतरना होगा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उनसे जुड़े संगठनों के नेताओं की बयानबाजी से सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये सच है कि सत्ताधारी भाजपा सरकार की राज्यसभा में बहुमत नहीं है, और विपक्ष के विरोध की वजह से आर्थिक सुधारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण विधेयक लटके हुए हैं, लेकिन सरकार भी अपनी तरफ से ईमानदार कोशिश नहीं कर रही है। मूडीज के मुताबिक पीएम मोदी ने हाल की घटनाओं से दूरी बनाई है, लेकिन सांप्रदायिक सौहार्द में आ रही कमी चिंता का विषय है।

रिपोर्ट में मोदी सरकार को हिदायत दी गई है कि, अगर भारत में सांप्रदायिक हिंसा में इजाफा होता है तो उसका असर राज्यसभा में दिखेगा। लंबित विधेयकों पर सरकार विपक्ष के विरोध से कुछ नहीं कर पाएगी, और इसका असर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश में देखने को मिलेगा।

एजेंसी ने कहा कि इस वर्ष और 2016 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6% रह सकती है, जबकि बाहरी विपरीत परिस्थितियों और सुधार के मोर्चे पर सरकार की विफलता के कारण नकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर कठिनाई पैदा करने वाली होगी।

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, कुल मिलाकर यह अस्पष्ट है कि भारत सुधार संबंधित वादे पूरे कर सकता है या नहीं। निस्संदेह तमाम राजनीतिक घटनाक्रम सफलता की संभावना क्षीण ही करेंगे। रपट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सितंबर तिमाही में वर्ष दर वर्ष आधार पर लगभग 7.3% रह सकती है,
जो अपेक्षित नौ या 10% की दर से काफी कम है। संस्था ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर, श्रम कानूनों में सुधार और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे प्रमुख सुधारों से भारत की उत्पादकता सुधर सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज दर में कमी से अर्थव्यवस्था को अल्पकालिक लाभ ही मिल सकता है और वित्त बाजार की भावना मंद पड़ गई है। वर्ष 2015 में अब और दर कटौती संभव नहीं है, लेकिन अगले वर्ष दर कटौती हो सकती है। भारतीय शेयर बाजार और विदेशों से धनागम में मंदी छाई हुई है, जबकि वैश्विक वृद्धि दर में
सुस्ती और बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियां भारतीय एक्सपोर्टर्स को आघात पहुंचा रही हैं।

मूडीज एनलिटिक्स को अनुमान है कि भारतीय एक्सपोर्ट में 2016 में भी गिरावट बनी रहेगी, और यदि वैश्विक वृद्धि में और गिरावट आई तो भारत के चालू खाता संतुलन पर और दबाव बन सकता है। रपट में कहा गया है, अभी तक तेल मूल्य में गिरावट के कारण व्यापार संतुलन को सहारा मिला है। लेकिन तेल कीमतों में फिर
से आई तेजी के कारण व्यापार संतुलन (ट्रेड बैलेंश) बिगड़ सकता है।

मूडीज के अनुसार, इस तरह के संकेत हैं कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर विदेशी निवेशकों की आशाएं क्षीण हो रही हैं। जब विदेशी निवेशक की आपकी सरकार से उम्मीद कम हो रही है प्रधानमंत्री जी, तो कैसे आएगा निवेशक और चीन या अंतर्राष्ट्रीय 'Pain' को भारत के लिए 'Gain' में कैसे बदलेंगे।

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