अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा अनुमान के मुताबिक सितंबर की बैठक में ब्याज दर नहीं बढ़ाया गया, लेकिन इसे दिसंबर में बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है। खुद फेडरल रिजर्व की प्रमुख जैनेट येलेन ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने एक स्पीच के दौरान कहा कि शुरुआती ब्याज दर बढ़ाने के लिए ये साल सही है।
बता दें कि अमेरिका में मौजूदा ब्याज दर 0-0.25% है जो कि 2008 से स्थिर है। आखिरी बार ब्याज दर में बढ़ोतरी 2006 में हुई थी। सितंबर की बैठक में फेजरल रिजर्व ने महंगाई दर का लक्ष्य से दूर रहना और ग्लोबल
इकोनॉमी खासकर चीन में धीमेपन की आशंका का हवाला देते हुए ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं की थी। लेकिन अब येलेन ने संकेत दिए हैं कि महंगाई का लक्ष्य जो कि 2% तय किया गया है धीरे-धीरे हासिल कर लिया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में धीमेपन का असर पॉलिसी के फैसले पर नहीं होने दिया जाएगा।
फेडरल रिजर्व हालांकि अक्टूबर में भी बैठक करने वाला है, लेकिन ज्यादातर जानकारों का मानना है कि अक्टूबर की बैठक तक फेड और मैक्रोइकोनॉमिक आंकड़ों का इंतजार करना पसंद करेगा और दिसबंर की बैठक में ही ब्याज दर में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकेगा।
((सितंबर बैठक में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर स्थिर क्यों रखा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/blog-post_18.html
((अगर अमेरिका में ब्याज बढ़े तो भारत पर क्या असर होगा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/blog-post_9.html
बता दें कि अमेरिका में मौजूदा ब्याज दर 0-0.25% है जो कि 2008 से स्थिर है। आखिरी बार ब्याज दर में बढ़ोतरी 2006 में हुई थी। सितंबर की बैठक में फेजरल रिजर्व ने महंगाई दर का लक्ष्य से दूर रहना और ग्लोबल
इकोनॉमी खासकर चीन में धीमेपन की आशंका का हवाला देते हुए ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं की थी। लेकिन अब येलेन ने संकेत दिए हैं कि महंगाई का लक्ष्य जो कि 2% तय किया गया है धीरे-धीरे हासिल कर लिया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में धीमेपन का असर पॉलिसी के फैसले पर नहीं होने दिया जाएगा।
फेडरल रिजर्व हालांकि अक्टूबर में भी बैठक करने वाला है, लेकिन ज्यादातर जानकारों का मानना है कि अक्टूबर की बैठक तक फेड और मैक्रोइकोनॉमिक आंकड़ों का इंतजार करना पसंद करेगा और दिसबंर की बैठक में ही ब्याज दर में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकेगा।
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