प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सम्पन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं (जीएमएस) को मंजूरी दी गई। इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2015-16 में की गई थी।
इसका उद्देश्य योजनाओं में इस तरह सुधार करना है ताकि मौजूदा स्थिति प्रभावशाली हो तथा मौजूदा योजनाओं का दायरा बढ़ाया जा सके। इसके तहत देश के नागरिकों और संस्थानों के पास जो सोना है उसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसका दीर्घकालिक उद्देश्य यह है कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत सोने के आयात पर देश की निर्भरता कम हो ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके।
जीएमएस से भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को फायदा होगा। यह क्षेत्र भारत के आयातों में प्रमुख योगदान करता है। वित्त वर्ष 2014-15 में भारत के कुल निर्यातों में रत्नों एवं आभूषणों का 12 प्रतिशत योगदान था जिनमें अकेले स्वर्ण सामग्रियों का मूल्य 13 अरब अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़े) से अधिक है।
एकत्र स्वर्ण के इस्तेमाल से न केवल भारतीय रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार में इजाफा होगा बल्कि सरकार की उधार लागत भी कम होगी।
संशोधित स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस) और स्वर्ण धातु ऋण (जीएमएल) योजना का संबंध दिशा-निर्देशों में केवल परिवर्तनों से है। सोने की कीमतों में बदलाव का जोखिम स्वर्ण भंडार निधि के जरिए उठाया जाएगा। इससे सरकार को यह लाभ होगा कि उधार लागत के संबंध में कमी आएगी जिसे स्वर्ण भंडार निधि में स्थानांतरित किया जाएगा।
इस योजना से भारत के नागरिकों, न्यासों और विभिन्न संस्थानों के पास जो अनुपयुक्त सोना पड़ा हुआ है उसे इस्तेमाल करके रत्नों एवं आभूषण क्षेत्र को मदद दी जा सकेगी। आगे चलकर सोने के आयात पर देश की निर्भरता में भी कमी आने की उम्मीद है। नई योजना में संशोधित जीडीएस और संशोधित जीएमएल योजना शामिल हैं।
संशोधित स्वर्ण जमा योजना:
संकलन, शुद्धता प्रमाणीकरण और संशोधित जीडीएस के तहत स्वर्ण जमा
देश के विभिन्न भागों में सोने के शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण से संबंधित 331 केंद्र हैं। इनमें से जो केंद्र भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप होंगे केवल उन्हें ही सोने के संकलन और उनकी शुद्धता की जांच करने की अनुमति दी जाएगी। एक ग्राहक को सोने की न्यूनतम मात्रा लाने का प्रस्ताव है जिसे 30 तोला निर्धारित किया गया है। यह सोना किसी भी प्रकार (सिक्के या आभूषण) में हो सकता है। उम्मीद है कि इन केंद्रों की संख्या भविष्य में बढ़ेगी।
स्वर्ण बचत खाता:
संशोधित योजना में ग्राहक किसी भी समय केवार्इसी नियमों के तहत स्वर्ण बचत खाता खोल सकता है। इस खाते में ग्राम के हिसाब से सोना रखा जाएगा।
शोधकों को सोने का स्थानांतरण:
संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्र सोने को शोधकों के पास भेजेंगे। अगर बैंक सोने को अपने पास नहीं रखते तो शोधक स्वर्ण को अपने गोदामों में रखेंगे। शोधकों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के लिए बैंक उन्हें शुल्क अदा करेंगे। ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
बैंक शोधकों और संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्रों के साथ एक त्रिपक्षीय वैधानिक समझौता करेंगे। यह समझौता उन केंद्रों और शोधकों के साथ किया जाएगा जिन्हें योजना में बैंक अपने साझीदार के रूप में चुनेंगे।
अवधि :
संशोधित योजना के तहत स्वर्ण जमा एक से तीन वर्ष की छोटी अवधि के लिए किया जा सकता है जिसे एक-एक वर्ष करके बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा मध्यकालीन अवधि 5 से 7 वर्षों की और दीर्घकालीन अवधि 12 से 15 वर्ष की होगी। इसे समय-समय पर तय किया जाएगा। स्थाई जमा की तरह ही इसमें भी लॉक-इन पीरियड होगा। समय से पहले स्वर्ण वापस लेने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
ब्याज दर:
छोटी अवधि के लिए जो जमा होगी उस पर ब्याज दर बैंक निर्धारित करेगा। ब्याज दर का निर्धारण मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय उधार दर, अन्य खर्च, बाजार की परिस्थितियों इत्यादि को ध्यान में रखकर किया जाएगा। इसके संबंध में ग्राम के आधार पर निर्धारण होगा। मध्यकालीन और दीर्घकालीन जमा के संबंध में ब्याज दर सरकार तय करेगी। सेवाओं के लिए बैंकों को शुल्क दिया जाएगा। ब्याज दर का निर्धारण सरकार समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह से करेगी। मध्यकालीन और दीर्घकालीन जमाओं की ब्याज दर रुपये में देय होगी जो जमा किए गए सोने के मूल्य पर आधारित होगी।
वापस लेना:
छोटी अवधि की जमा को ग्राहक के पास वापस लेने का विकल्प रहेगा। यह विकल्प मूल जमा और उस पर अर्जित ब्याज के संबंध में होगा जिसे नकदी या सोने के रूप में वापस लिया जा सकेगा। नकदी के संबंध में वापस लेने के समय सोने की जो मौजूदा कीमत होगी उसके वजन के आधार पर नकद पैसा दिया जाएगा। सोना लेने की स्थिति में जमाशुदा सोने के वजन के बराबर वापस दिया जाएगा। इसके विषय में जमा करते समय यह बताना होगा कि वापसी नकद लेनी है या सोने के रूप में। यदि कोई ग्राहक अपने विकल्प बदलना चाहता है तो उसे अनुमति देने पर बैंक स्वयं विचार करेगा। यदि सोने की छड़ या सिक्का उपलब्ध नहीं है तो कम मात्रा में वापसी नकद के तौर पर होगी। मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन जमाओं के संबंध में वापसी केवल नकद में की जाएगी जो वापस लेने के समय जमाशुदा सोने की मौजूदा कीमत और वजन के अनुरूप तय की जाएगी। जमाशुदा सोने पर अर्जित किया जाने वाला ब्याज सोने के मूल्य और तयशुदा ब्याज दर के आधार पर होगा।
उपयोग: जमाशुदा सोने का उपयोग इस प्रकार होगा:
· मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन जमा के तहत
-नीलामी
-भारतीय रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडारों को परिपूर्ण करना
- सिक्के
-सुनारों को उधार देना
· लघुकालीन जमा के तहत:
- सिक्के
-सुनारों को उधार देना
-कर छूट: संशोधित जीडीएस के तहत सभी ग्राहकों को वही कर छूट प्रदान की जाएगी जो जीडीएस के अंतर्गत उन्हें उपलब्ध है।
-स्वर्ण भंडार निधि: मध्यम/दीर्घकालीन जमा के अंतर्गत सरकार की मौजूदा उधार लागत और सरकार द्वारा देय ब्याज दर को स्वर्ण भंडार निधि में जमा किया जाएगा।
· संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना
स्वर्ण धातु ऋण खाता: सुनारों के लिए बैंक स्वर्ण धातु ऋण खाता खोलेगा जो सोने के वजन ग्राम के आधार पर होंगे। लघुकालीन विकल्प के तहत संशोधित जीडीएस के जरिए जो सोना प्राप्त किया जाएगा उसे सुनारों को उधार पर दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बैंक शर्तें तय करेंगे।
सुनारों को सोने की आपूर्ति: जब स्वर्ण ऋण मंजूर हो जाएगा तो सुनारों को शोधकों द्वारा सोने की आपूर्ति की जाएगी। बैंक इसके संबंध में सुनारों के स्वर्ण ऋण खाते में आवश्यक प्रविष्टियां करेंगे। बैंकों द्वारा अर्जित ब्याज: जीएमएल पर लागू ब्याज दर सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तय करेंगे।
अवधि: जीएमएल की अवधि इस समय 180 दिन है। स्वर्ण जमाओं पर न्यूनतम लॉक-इन पीरियड एक वर्ष के आधार पर और प्राप्त अनुभवों को देखते हुए भविष्य में जीएमएल की अवधि की समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यक होगा तो समुचित संशोधन किया जाएगा।
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इसका उद्देश्य योजनाओं में इस तरह सुधार करना है ताकि मौजूदा स्थिति प्रभावशाली हो तथा मौजूदा योजनाओं का दायरा बढ़ाया जा सके। इसके तहत देश के नागरिकों और संस्थानों के पास जो सोना है उसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसका दीर्घकालिक उद्देश्य यह है कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत सोने के आयात पर देश की निर्भरता कम हो ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके।
जीएमएस से भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को फायदा होगा। यह क्षेत्र भारत के आयातों में प्रमुख योगदान करता है। वित्त वर्ष 2014-15 में भारत के कुल निर्यातों में रत्नों एवं आभूषणों का 12 प्रतिशत योगदान था जिनमें अकेले स्वर्ण सामग्रियों का मूल्य 13 अरब अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़े) से अधिक है।
एकत्र स्वर्ण के इस्तेमाल से न केवल भारतीय रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार में इजाफा होगा बल्कि सरकार की उधार लागत भी कम होगी।
संशोधित स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस) और स्वर्ण धातु ऋण (जीएमएल) योजना का संबंध दिशा-निर्देशों में केवल परिवर्तनों से है। सोने की कीमतों में बदलाव का जोखिम स्वर्ण भंडार निधि के जरिए उठाया जाएगा। इससे सरकार को यह लाभ होगा कि उधार लागत के संबंध में कमी आएगी जिसे स्वर्ण भंडार निधि में स्थानांतरित किया जाएगा।
इस योजना से भारत के नागरिकों, न्यासों और विभिन्न संस्थानों के पास जो अनुपयुक्त सोना पड़ा हुआ है उसे इस्तेमाल करके रत्नों एवं आभूषण क्षेत्र को मदद दी जा सकेगी। आगे चलकर सोने के आयात पर देश की निर्भरता में भी कमी आने की उम्मीद है। नई योजना में संशोधित जीडीएस और संशोधित जीएमएल योजना शामिल हैं।
संशोधित स्वर्ण जमा योजना:
संकलन, शुद्धता प्रमाणीकरण और संशोधित जीडीएस के तहत स्वर्ण जमा
देश के विभिन्न भागों में सोने के शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण से संबंधित 331 केंद्र हैं। इनमें से जो केंद्र भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप होंगे केवल उन्हें ही सोने के संकलन और उनकी शुद्धता की जांच करने की अनुमति दी जाएगी। एक ग्राहक को सोने की न्यूनतम मात्रा लाने का प्रस्ताव है जिसे 30 तोला निर्धारित किया गया है। यह सोना किसी भी प्रकार (सिक्के या आभूषण) में हो सकता है। उम्मीद है कि इन केंद्रों की संख्या भविष्य में बढ़ेगी।
स्वर्ण बचत खाता:
संशोधित योजना में ग्राहक किसी भी समय केवार्इसी नियमों के तहत स्वर्ण बचत खाता खोल सकता है। इस खाते में ग्राम के हिसाब से सोना रखा जाएगा।
शोधकों को सोने का स्थानांतरण:
संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्र सोने को शोधकों के पास भेजेंगे। अगर बैंक सोने को अपने पास नहीं रखते तो शोधक स्वर्ण को अपने गोदामों में रखेंगे। शोधकों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के लिए बैंक उन्हें शुल्क अदा करेंगे। ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
बैंक शोधकों और संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्रों के साथ एक त्रिपक्षीय वैधानिक समझौता करेंगे। यह समझौता उन केंद्रों और शोधकों के साथ किया जाएगा जिन्हें योजना में बैंक अपने साझीदार के रूप में चुनेंगे।
अवधि :
संशोधित योजना के तहत स्वर्ण जमा एक से तीन वर्ष की छोटी अवधि के लिए किया जा सकता है जिसे एक-एक वर्ष करके बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा मध्यकालीन अवधि 5 से 7 वर्षों की और दीर्घकालीन अवधि 12 से 15 वर्ष की होगी। इसे समय-समय पर तय किया जाएगा। स्थाई जमा की तरह ही इसमें भी लॉक-इन पीरियड होगा। समय से पहले स्वर्ण वापस लेने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
ब्याज दर:
छोटी अवधि के लिए जो जमा होगी उस पर ब्याज दर बैंक निर्धारित करेगा। ब्याज दर का निर्धारण मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय उधार दर, अन्य खर्च, बाजार की परिस्थितियों इत्यादि को ध्यान में रखकर किया जाएगा। इसके संबंध में ग्राम के आधार पर निर्धारण होगा। मध्यकालीन और दीर्घकालीन जमा के संबंध में ब्याज दर सरकार तय करेगी। सेवाओं के लिए बैंकों को शुल्क दिया जाएगा। ब्याज दर का निर्धारण सरकार समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह से करेगी। मध्यकालीन और दीर्घकालीन जमाओं की ब्याज दर रुपये में देय होगी जो जमा किए गए सोने के मूल्य पर आधारित होगी।
वापस लेना:
छोटी अवधि की जमा को ग्राहक के पास वापस लेने का विकल्प रहेगा। यह विकल्प मूल जमा और उस पर अर्जित ब्याज के संबंध में होगा जिसे नकदी या सोने के रूप में वापस लिया जा सकेगा। नकदी के संबंध में वापस लेने के समय सोने की जो मौजूदा कीमत होगी उसके वजन के आधार पर नकद पैसा दिया जाएगा। सोना लेने की स्थिति में जमाशुदा सोने के वजन के बराबर वापस दिया जाएगा। इसके विषय में जमा करते समय यह बताना होगा कि वापसी नकद लेनी है या सोने के रूप में। यदि कोई ग्राहक अपने विकल्प बदलना चाहता है तो उसे अनुमति देने पर बैंक स्वयं विचार करेगा। यदि सोने की छड़ या सिक्का उपलब्ध नहीं है तो कम मात्रा में वापसी नकद के तौर पर होगी। मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन जमाओं के संबंध में वापसी केवल नकद में की जाएगी जो वापस लेने के समय जमाशुदा सोने की मौजूदा कीमत और वजन के अनुरूप तय की जाएगी। जमाशुदा सोने पर अर्जित किया जाने वाला ब्याज सोने के मूल्य और तयशुदा ब्याज दर के आधार पर होगा।
उपयोग: जमाशुदा सोने का उपयोग इस प्रकार होगा:
· मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन जमा के तहत
-नीलामी
-भारतीय रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडारों को परिपूर्ण करना
- सिक्के
-सुनारों को उधार देना
· लघुकालीन जमा के तहत:
- सिक्के
-सुनारों को उधार देना
-कर छूट: संशोधित जीडीएस के तहत सभी ग्राहकों को वही कर छूट प्रदान की जाएगी जो जीडीएस के अंतर्गत उन्हें उपलब्ध है।
-स्वर्ण भंडार निधि: मध्यम/दीर्घकालीन जमा के अंतर्गत सरकार की मौजूदा उधार लागत और सरकार द्वारा देय ब्याज दर को स्वर्ण भंडार निधि में जमा किया जाएगा।
· संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना
स्वर्ण धातु ऋण खाता: सुनारों के लिए बैंक स्वर्ण धातु ऋण खाता खोलेगा जो सोने के वजन ग्राम के आधार पर होंगे। लघुकालीन विकल्प के तहत संशोधित जीडीएस के जरिए जो सोना प्राप्त किया जाएगा उसे सुनारों को उधार पर दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बैंक शर्तें तय करेंगे।
सुनारों को सोने की आपूर्ति: जब स्वर्ण ऋण मंजूर हो जाएगा तो सुनारों को शोधकों द्वारा सोने की आपूर्ति की जाएगी। बैंक इसके संबंध में सुनारों के स्वर्ण ऋण खाते में आवश्यक प्रविष्टियां करेंगे। बैंकों द्वारा अर्जित ब्याज: जीएमएल पर लागू ब्याज दर सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तय करेंगे।
अवधि: जीएमएल की अवधि इस समय 180 दिन है। स्वर्ण जमाओं पर न्यूनतम लॉक-इन पीरियड एक वर्ष के आधार पर और प्राप्त अनुभवों को देखते हुए भविष्य में जीएमएल की अवधि की समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यक होगा तो समुचित संशोधन किया जाएगा।
((गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम को हरी झंडी, कैसे उठाएं फायदा
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((गोल्ड डिपॉजिट स्कीम: ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/07/gds.html
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