जानते हैं सिक्के को लेकर अक्सर तकरार क्यों होती है
सिक्के मेले का आयोजन करें बैंक: RBI
अक्सर सिक्कों को लेकर बस कंडक्टर, ऑटो, सब्जी या फिर किराना दुकान वालों से तकरार होने की खबर पढ़ने-सुनने को मिलती है। हममें से भी कई लोग ऐसे हैं जिनको हमेशा दो- चार दिनों पर ऐसी परिस्थियों से दो-चार होना पड़ता है। जानते हैं ऐसा क्यों है। रिजर्व बैंक की मानें तो सिक्के की मांग और आपूर्ति में काफी बड़ा अंतर है।
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। साथ ही सरकार, बैंक और प्रशासन से इस कमी को दूर करने की अपील भी की है।
सिक्कों की मांग और आपूर्ति: (मिलियन नग में)
साल मांग आपूर्ति
2012-13 9,554 6,878
2013-14 12,033 7,677
2014-15 13,840 7,907
स्रोत: RBI
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि 2014-15 में परिचालनगत सिक्कों की मांग में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। परिचालनात्मक सिक्कों के कुल मूल्य में 12.1%, जबकि मात्रा की दृष्टि से 8% की बढ़ोतरी रही।
सिक्कों की बढ़ी हुई मांग और आपूर्ति के उपाय:
-हाल के वर्षों में, आपूर्ति की तुलना में सिक्कों की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है और इसकी मुख्य वजह है -देश में चल रहे कई टोल प्लाजा,बस/ ऑटो/ टैक्सी के किरायों की संरचना।
खासकर सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और जल्द खपत होने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) के छोटे-छोटे रूप में बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर ग्रामीण और शहरी गरीबों की संपन्नता में हुई बढ़ोतरी।
सिक्के की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक ने भारत सरकार की टकसालों से सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने को कहा है और वितरण को आगे और सरल और कारगर बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने के सुझाव दिए हैं।
सिक्कों की कमी दूर करने के सुझाव:
-दुकानदार और दूसरे प्रतिष्ठानों , टोलगेट एजेंसियों आदि को
सिक्कों की उनकी जरूरतों के निकटतम करंसी चेस्ट के साथ
जोड़ा जाए
-बैंकों को सूचित किया गया कि वे सिक्का मेलों का आयोजन करें
ताकि लोगों को सीधे ही सिक्के प्राप्त हो सकें
-बड़ी तादाद में सिक्कों का इस्तेमाल करने वालों मसलन, बड़े
खुदरा व्यापारी और टोल प्लाजा को सूचित किया गया है
कि वे बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल/ कार्ड /ई-टोकन का
इस्तेमाल बढ़ाएं ताकि सिक्कों पर उनकी निर्भरता कम हो सके
-बैंकों को क्वाइन वेंडिंग मशीन (सीवीएम) और ऐसी मशीनें
लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जो लोगों को नगदी
संबंधित प्रदान कर सके
-रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि टकसालों में
उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने तक अल्पावधि उपाय के रूप में
सिक्कों के आयात की अनुमति दी जाए।
-सिक्का ढलाई अधिनियम, 2011 के अनुसार निजी पार्टियों द्वारा
सिक्कों को ढालने की अनुमति दी जाए
-मध्यम अवधि के उपाय के रूप में टकसालों की मौजूदा
उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए/नए टकसाल स्थापित किए
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सिक्के मेले का आयोजन करें बैंक: RBI
अक्सर सिक्कों को लेकर बस कंडक्टर, ऑटो, सब्जी या फिर किराना दुकान वालों से तकरार होने की खबर पढ़ने-सुनने को मिलती है। हममें से भी कई लोग ऐसे हैं जिनको हमेशा दो- चार दिनों पर ऐसी परिस्थियों से दो-चार होना पड़ता है। जानते हैं ऐसा क्यों है। रिजर्व बैंक की मानें तो सिक्के की मांग और आपूर्ति में काफी बड़ा अंतर है।
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। साथ ही सरकार, बैंक और प्रशासन से इस कमी को दूर करने की अपील भी की है।
सिक्कों की मांग और आपूर्ति: (मिलियन नग में)
साल मांग आपूर्ति
2012-13 9,554 6,878
2013-14 12,033 7,677
2014-15 13,840 7,907
स्रोत: RBI
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि 2014-15 में परिचालनगत सिक्कों की मांग में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। परिचालनात्मक सिक्कों के कुल मूल्य में 12.1%, जबकि मात्रा की दृष्टि से 8% की बढ़ोतरी रही।
सिक्कों की बढ़ी हुई मांग और आपूर्ति के उपाय:
-हाल के वर्षों में, आपूर्ति की तुलना में सिक्कों की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है और इसकी मुख्य वजह है -देश में चल रहे कई टोल प्लाजा,बस/ ऑटो/ टैक्सी के किरायों की संरचना।
खासकर सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और जल्द खपत होने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) के छोटे-छोटे रूप में बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर ग्रामीण और शहरी गरीबों की संपन्नता में हुई बढ़ोतरी।
सिक्के की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक ने भारत सरकार की टकसालों से सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने को कहा है और वितरण को आगे और सरल और कारगर बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने के सुझाव दिए हैं।
सिक्कों की कमी दूर करने के सुझाव:
-दुकानदार और दूसरे प्रतिष्ठानों , टोलगेट एजेंसियों आदि को
सिक्कों की उनकी जरूरतों के निकटतम करंसी चेस्ट के साथ
जोड़ा जाए
-बैंकों को सूचित किया गया कि वे सिक्का मेलों का आयोजन करें
ताकि लोगों को सीधे ही सिक्के प्राप्त हो सकें
-बड़ी तादाद में सिक्कों का इस्तेमाल करने वालों मसलन, बड़े
खुदरा व्यापारी और टोल प्लाजा को सूचित किया गया है
कि वे बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल/ कार्ड /ई-टोकन का
इस्तेमाल बढ़ाएं ताकि सिक्कों पर उनकी निर्भरता कम हो सके
-बैंकों को क्वाइन वेंडिंग मशीन (सीवीएम) और ऐसी मशीनें
लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जो लोगों को नगदी
संबंधित प्रदान कर सके
-रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि टकसालों में
उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने तक अल्पावधि उपाय के रूप में
सिक्कों के आयात की अनुमति दी जाए।
-सिक्का ढलाई अधिनियम, 2011 के अनुसार निजी पार्टियों द्वारा
सिक्कों को ढालने की अनुमति दी जाए
-मध्यम अवधि के उपाय के रूप में टकसालों की मौजूदा
उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए/नए टकसाल स्थापित किए
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