गरीब भी बनें फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 69 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए गरीबों को भी फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि विकास के लिए फाइनेंशियल इक्लूजन बहुत जरूरी है और इसके लिए गरीबों का भी बैंक में अकाउंट हो। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था का हिस्सा बनाए बगैर विकसित भारत का सपना अधुरा है।

मोदी ने फाइनेंशियल इनक्लूजन के लिए पिछले  साल शुरू हुई योजना प्रधानमंत्री जनधन योजना की तारीफ करते हुए कहा कि इसमें ''गरीबों की अमीरी'' झलकती है। इस योजना के  तहत अब तक 20 हजार करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं जबकि 17 करोड़ नए बैंक अकाउंट खुले हैं।


प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए अपनी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना बगैरह का भी जिक्र किया।

'स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया' का नारा:

प्रधानमंत्री ने 69वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए 'स्टार्ट-अप इंडिया' मुहिम की भी घोषणा की। इसके जरिए देश के युवाओं में आंत्रप्रन्योरशिप का बढ़ावा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश भर की हरेक 1.25 लाख बैंक शाखाओं को एक-एक दलित या आदिवासी और कम से कम एक महिला आंत्रप्रन्योर को बढ़ावा देना चाहिए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने  "Start-Up India, Stand-Up India," का भी नारा दिया।



फाइनेंशियल सिक्योरिटी पर पहले साल में मोदी सरकार की बड़ी पहल, पढ़ें 
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छोटे कारोबारियों के जीवन में रंग भरेगा मुद्रा बैंक
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फाइनेंशियल इनक्लूजन पर प्रधानमंत्री का संबोधन-
भाईयों-बहनों, गत 15 अगस्त को मैंने आपके सामने कुछ विचार रखे थे, तब मैं नया था। अब मैंने जो शुरू-शुरू में देखा था, उसको मैंने, कोई लाग-लपेट के बिना खुले मन से सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने रख दिया था लेकिन आज, एक वर्ष के बाद, उसी लालकिले की प्राचीर से पवित्र तिरंगे झंडे की साक्षी से, मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि एक साल में Team India, सवा सौ करोड़ देशवासी, एक नए विश्वास के साथ, नए सामर्थ्य के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए समय-सीमा में सपनों को साकार करने में जुट गए हैं। एक नया विश्वास का माहौल पैदा हुआ। मैंनें गत 15 अगस्त को प्रधानमंत्री जन-धन योजना इसकी घोषणा की। देश में साठ साल बीते, गरीबों के लिये बैंको का राष्ट्रीयकरण किया गया लेकिन इसके बावजूद भी साठ साल से भी अधिक समय के बाद गत 15 अगस्त को देश के चालीस प्रतिशत लोग बैंक खातों से वंचित थे। गरीब के लिये बैंकों के दरवाजे बंद थे। हमने संकल्प किया कि इस कलंक को मिटाना है और विश्व में Financial Inclusion की बातें होती हैं, उस Financial Inclusion को एक मजबूत धरातल पर लाना है तो देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को आर्थिक गतिविधि की मुख्य धारा में जोड़ना पड़ेगा और Bank account, ये उसका एक प्रारम्भ बिंदु है। हमने तय किया था, ''करेंगे, करते हैं, सोचते हैं, देखते हैं'' ऐसा नहीं, हमने कहा था- 26 जनवरी को जब देश फिर एक बार तिरंगे झंडे के सामने खड़ा होगा तब तक समय सीमा में काम पूरा करेंगे। मेरे देशवासियों मैं आज गर्व से कहता हूं कि हमने समय सीमा पर काम पूरा किया। 17 करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत खाते खुलवाए। हमने तो कहा था, गरीबों को अवसर देना था इसलिए कहा था- एक भी रूपया नहीं होगा, एक नया पैसा भी नहीं होगा, तो भी बैंक का accounts खोलेगें। बैंकों को खोलने की कागज़ पट्टी का खर्चा होगा तो होने देंगे। आखिर बैंक किसके लिए हैं! गरीब के लिए होना चाहिए, और इसलिए जीरो बैलेंस से हमने अकाउंट खोलने का संकल्‍प किया था। लेकिन, मेरे देश के अमीरों को हमने देखा है, और इस बार देश ने गरीबों को भी देखा है और गरीबों की अमीरी को देखा है। मैं इन गरीबों की अमीरी को आज लालकिले के प्राचीर से शत-शत नमन करना चाहता हूं, सलाम करना चाहता हूं क्योंकि जीरो बैलेंस से अकाउंट खोलने का कहने के बावजूद भी इन गरीबों ने बीस हजार करोड़ रुपया बैंक के खातों में जमा करवाया। 

अगर ये गरीबों की अमीरी न होती तो कैसे संभव होता और इसलिये गरीबों की अमीरी के बलबूते ये टीम इंडिया आगे बढ़ेगी, ये मेरा विश्‍वास आज प्रकट हो रहा है। भाइयों-बहनों हमारे देश में कहीं पर एक बैंक का ब्रांच खुल जाए या बैंक का नया मकान बन जाए तो इतनी बड़ी चर्चा होती है कि वाह! बहुत बड़ा काम हो गया, बड़ा विकास हो रहा है, बड़ी प्रगति हो रही है क्‍योंकि 60 साल तक हमने इन्‍हीं मानदंडों से देश के विकास को नापा है। वो नापने की पट्टी यही रही है कि एक बैंक का ब्रांच खुल जाए, बहुत बड़ी वाहवाही हो जाती है, बहुत बड़ा जय-जयकार हो जाता है। सरकार की बल्‍ले-बल्‍ले बात हो जाती है। लेकिन मेरे प्‍यारे देशवासियों, बैंक का ब्रांच खोलना मुश्‍किल काम नहीं है। सरकारी तिजोरी से वो काम हो जाता है। लेकिन 17 करोड़ देशवासियों को बैंक के दरवाजे तक लाना ये बहुत बड़ा कठिन काम होता है, बहुत बड़ा परिश्रम लगता है। जी-जान से जुटना पड़ता है, पल-पल हिसाब मांगना पड़ता है। और मैं टीम इंडिया के मेरे महत्‍वपूर्ण साथी, टीम इंडिया के इस महत्‍वपूर्ण साथी बैंक के कर्मचारियों का, बैंकों का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने बैंक को गरीबों के सामने ला करके रख दिया और ये चीज आने वाले दिनों में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाली है। 

दुनिया में आर्थिक चिंतनधाराओं में एक चिन्‍तनधारा ये भी है कि financial inclusion यह हमेशा अच्‍छा नहीं होता है और उसके कारण गरीबी का बोझ व्‍यवस्‍थाओं पर पड़ता है। मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं। भारत जैसे देश में अगर विकास का Pyramid हम देखें। तो Pyramid के जो सबसे नीचे की सतह होती है, वो सबसे चौड़ी होती है। अगर वो मजबूत हो तो विकास का सारा Pyramid मजबूत होता है। आज विकास के Pyramid में हमारे देश का दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, उपेक्षित, वो वहां पर बैठा हुआ है। हमें विकास की Pyramid की इस नींव को मजबूत करना है ताकि, financial inclusion के द्वारा अगर वो ताकतवर होगा तो विकास का Pyramid कभी हिलेगा नहीं। कितने ही झोंके क्‍यों न आए, उसे कोई संकट नहीं आएगा और विकास का ये Pyramid आर्थिक मजबूती पर खड़ा होगा तो उनकी खरीद शक्‍ति बहुत बढ़ेगी और जब समाज के आखिरी इंसान की खरीद शक्‍ति बढ़ती है तो इस economy को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। वो बहुत तेज गति से देश को विकास की नई उंचाइयों पर ले जाता है और इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हम उस पर बल दें। हमने सामाजिक सुरक्षा पर बल दिया है। गरीबों की भलाई पर बल दिया है। 

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और जीवन-ज्‍योति योजना, हमारे देश में करोड़ों-करोड़ों लोग हैं जिनको सुरक्षा का कवच नहीं है। Insurance का लाभ हमारे देश में निम्‍न मध्‍यम वर्ग को भी नहीं पहुंचा है गरीब की बात तो छोड़ो। हमने योजना बनाई एक महीने का एक रुपया, ज्‍यादा नहीं एक महीने का एक रुपया। 12 महीने का 12 रुपया और आप प्रधानमंत्री सुरक्षा-बीमा के हकदार बन जाइए। अगर आपके परिवार में कोर्इ आपत्ति आई तो दो लाख रुपया आपके परिवार को मिल जाएगा। अर्थतंत्र को कैसे चलाया जाता है। हम प्रधानमंत्री जीवन-ज्‍योति बीमा लाये। एक दिन के 90 पैसे, एक रुपए से भी कम, सालभर का 330 रुपया। आपके परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, आपके परिवार की सुरक्षा के लिए 2 लाख रुपयों का बीमा सिर्फ 90 पैसे दो रोज के, हमने किया। भाइयो-बहनों भूतकाल में योजनाएं तो बनती रहीं, कौन सरकार होगी जो योजना नहीं बनाती होगी। हर कोई बनाता है, कौन सरकार होगी जो घोषणाएं नहीं करती होगी हर कोई करती है। कौन सरकार होती है जो उद्घाटन दीये न जलाती हो, फीता न काटती हो, सब कोई करते हैं, लेकिन कसौटी इस बात की होती है कि हम जिन बातों को कहते हैं, उसको पूरा करते हैं कि नहीं करते हैं। हमने एक नये Work culture पर दबाव डाला है, हमने एक नई कार्य-संस्‍कृति पर दबाव डाला है। और भाइयो-बहनों हमारे देश की कई योजनाएं जो 40 साल पुरानी हैं, 50 साल पुरानी हैं, 5 करोड़, 7 करोड़ लोगों से आगे नहीं पहुंच पाती हैं। इस योजना को अभी तो 100 दिन पूरे हुए है, 100 दिन। 100 दिन में 10 करोड़ नागरिकों ने इसका लाभ लिया है, 10 करोड़ नागरिकों ने। हमारे देश में ये 10 करोड़ नागरिक मतलब कि 10 करोड़ परिवार हैं। इसका मतलब ये हुआ कि देश में जो 30-35 करोड़ परिवार हैं उसमें से 100 दिन के भीतर-भीतर 10 करोड़ परिवार इस योजना में शरी‍क हो गए हैं।


स्टार्ट अप पर मोदी का संबोधन-
भाईयों-बहनों, 21वीं सदी में देश को आगे बढ़ाने में हमारी युवा शक्ति का महत्व है और आज मैं घोषित करना चाहता हूं। पूरे विश्व की तुलना में हमें आगे बढ़ना है तो हमारे युवकों को हमें प्रोत्साहित करना होगा, उनको अवसर देना होगा। हमारे युवक नए उद्योगकार कैसे बने, हमारे युवक, नए उत्पादक कैसे बने, पूरे देश में इन नए उद्यमियों के द्वारा एक Start up का पूरा Network कैसे खड़ा हो? हिंदुस्तान का कोई जिला, हिन्‍दुस्‍तान का कोई ब्लॉक ऐसा न हो जहां आने वाले दिनों में नए Start up शुरु न हुए हों। क्या भारत यह सपना नहीं देख सकता कि हम दुनिया में, Start up की दुनिया में भारत नंबर एक पर पुहंचेगा, आज हम नहीं हैं। भाईयों और बहनों इस Start up को मुझे बल देना है और इसलिए मेरा संकल्प है आने वाले दिनों में Start up India और देश के भविष्य के लिये Stand Up India! Start Up India! Stand up India… यह Start Up India! Stand Up India! इस काम को जब मैं आगे लेकर जाना चाहता हूं तब मेरे भाइयों-बहनों हमारे देश में पिछले एक साल में बैंक के लोगों ने बहुत बड़ा पराक्रम किया.. और जब आप अच्छा करते हो तो मेरी जरा अपेक्षाएं भी ज्यादा बढ़ जाती है। मेरे बैंक के मित्रों बाबा साहब आंबेडकर की सवा सौवीं जयंती का वर्ष 125वीं जयंती का वर्ष, सवा लाख बैंक की ब्रांच हैं। क्या हमारे बैंक की ब्रांच.. ये जो मेरा Start Up India का कार्यक्रम है, उसकी और कोई योजनाएं बनेंगी.. लेकिन हर ब्रांच यह संकल्प करे और आने वाले दिनों में इसको पूरा करे कि अपने बैंक के ब्रांच के इलाके में हर ब्रांच जहां, Tribal बस्ती हो वहां मेरे आदिवासी भाई को जहां, आदिवासी बस्ती नहीं हैं वहां मेरे दलित भाई को और हर ब्रांच एक दलित को या एक आदिवासी को Start Up के लिये लोन दें Financial मदद करें औऱ एक साथ देश में सवा लाख मेरे दलित उद्योगकार पैदा हों। इस देश में Tribal बस्ती में मेरे आदिवासी उद्योगकार पैदा हों। ये काम हम कर सकते हैं Start Up को एक नया Dimension दे सकते हैं। और दूसरा ये सवा लाख ब्रांच.. क्या विशेष योजना.. महिला उद्यमी के लिये बना सकती हैं। सवा लाख ब्रांच, सवा लाख महिला उद्यमी उनके Start Up को Promote करें उनको मदद करें। आप देखिए, देखते ही देखते हिन्दुस्तान के कोने कोने में Start Up का जाल बिछ जाएगा। नये उद्योगकार तैयार होंगे। कोई एक कोई दो कोई कोई चार को नौकरी देगा और देश के आर्थिक जीवन में बदलाव आएगा। भाइयों बहनों देश में जब पूंजी निवेश होता है तो हम एक बात पर आग्रह रखते हैं कि Manufacturing का काम हो और ज्यादा से ज्यादा Export हो और उसके लिये पूंजी निवेश करने वालों को सरकार का आर्थिक विभाग अनेक नई - नई स्कीम देता है। इसका अपना महत्व है इसको बनाए रखना है। लेकिन आज मैं एक नई बात लेकर करे आगे बढ़ना चाहता हूं। हमारे देश में जो पूंजी निवेश हो, Manufacturing Sector में पूंजी निवेश हो, उसमें सरकार की मदद के जो Parameter है उसमें एक महत्वपूर्ण Parameter यह रहेगा कि आप जिस उद्योग को ला रहे हो उसमें आप अधिकतम - अधिकतम लोगों को अगर रोज़गार देंगे तो आपको आर्थिक Package अलग प्रकार का मिलेगा। सरकार की सहायता रोज़गार के साथ जोड़कर के नई इकाइयों के लिये सरकार अब योजना बनाएगी। देश में रोज़गार के अवसर बढ़ें, उस पर हम बल देना चाहते हैं। Skill India, Digital India इन सपनों को पूरा करने की दिशा में हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं।







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