देश पर इस साल मार्च में खत्म अवधि के दौरान
बाहरी कर्ज पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 6.6 % बढ़ा है। इस दौरान कुल GDP में बाहरी कर्ज का हिस्सा 23.6% से बढ़कर 23.8% हो गया। वित्त मंत्रालय ने ‘India’s External Debt: A Status Report 2014-15’ में इसकी जानकारी दी है।
वित्त मंत्रालय के इन आंकड़ों के
मुताबिक, मार्च 2015 तक देश पर 475.8 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज था जो कि पिछले साल
की इसी अवधि के मुकाबले 29.5 अरब अमेरिकी डॉलर अधिक है। बाहरी कर्ज में ये बढ़ोतरी
मुख्य तौर पर लॉन्ग टर्म डेट खासकर कमर्शियल बॉरोइंग और NRI डिपॉजिट्स में बढ़ोतरी की वजह से हुई। वित्त मंत्रालय ने
रिजर्व बैंक से 30 जून को मिली जानकारी के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है।
भारत: प्रमुख बाह्य कर्ज संकेतक
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मार्च अंत
तक
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बाह्य कर्ज
(US$ bn)
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GDP के मुकाबले बाह्य कर्ज
(%)
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डेट सर्विस
रेश्यो
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कुल कर्ज के मुकाबले
फॉरेन एकिसचेंज रिजर्व (%)
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कुल कर्ज में कंसेशनल कर्ज का हिस्सा (%)
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फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में शॉर्ट टर्म का हिस्सा (%)
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कुल कर्ज में शॉर्ट टर्म कर्ज का हिस्सा(%)
|
2012-13
|
409.5
|
22.3
|
5.9
|
71.3
|
11.1
|
33.1
|
23.6
|
2013-14 PR
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446.3
|
23.6
|
5.9
|
68.2
|
10.4
|
30.1
|
20.5
|
2014-15 QE
|
475.8
|
23.8
|
7.5
|
71.8
|
8.8
|
24.8
|
17.8
|
PR: Partially Revised (आंशिक संशोधित), QE: Quick Estimate
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इस साल मार्च अंत तक लॉन्ग टर्म बाहरी कर्ज 391.1
अरब अमेरिकी डॉलर था जो कि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 10.3% अधिक है। कुल बाहरी कर्ज में लॉन्ग टर्म बाहरी
कर्ज का हिस्सा मार्च 2015 में 82.2%
दर्ज किया गया जो कि पिछले साल की इसी अवधि में
79.5% था।
वहीं इस दौरान शॉर्ट टर्म बाहरी कर्ज 7.6%
कम होकर 91.7 अरब अमेरिकी डॉलर से 84.7
अरब अमेरिकी डॉलर पर
आ गया। इस कारण कुल बाहरी कर्ज में शॉर्ट टर्म
बाहरी कर्ज का हिस्सा में घटकर इस दौरान 20.5% से 17.8%
पर आ गया। शॉर्ट टर्म बाहरी कर्ज में ये कमी
सरकारी ट्रेजरी बिल्स में FII निवेश में कमी के कारण आई है।
इस दौरान GDP में
बाहरी कर्ज का हिस्सा भी बढ़ा है। मार्च 2014 में समाप्त अवधि में GDP में बाहरी कर्ज का हिस्सा 23.6 % था जो कि
इस साल मार्च में खत्म अवधि में मामूली बढ़ोतरी के साथ 23.8% पर पहुंच गया।
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