सस्ता इंटरनेट...मुफ्त इंटरनेट...महंगा इंटरनेट बनाम आजाद इंटरनेट

नेट न्यूट्रैलिटी विवाद-
एक समय था जबकि बातचीत करने, एसएमएस भेजने जैसे कामों तक ही मोबाइल का इस्तेमाल सीमित था। लेकिन, स्मार्टफोन ने इंसान की जिंदगी को ही बदलकर रख दिया है। इसने मोबाइल का इस्तेमाल पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ा दिया है। मोबाइल में इंटरनेट के बिना तो आज की जिंदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
नए-नए एप्स ने तो हमारी-आपकी जिंदगी में मानो बहार ला दिया है। इससे हर तरह की सेवा बैंकिंग, एंटरटेनमेंट, टिकट बुकिंग से लेकर टैक्सी बुकिंग, कपड़े-मोबाइल बगैरह खरीदने तक सेवा अब आपके पॉकेट में है लेकिन ऐसे ही एप्स के बढ़ते इस्तेमाल ने टेलीकॉम कंपनियों की सिरदर्दी बढ़ा दी है और इसी ने नेट न्यूट्रैलिटी जैसे विवाद को जन्म दिया है।
अब कुछ टेलीकॉम कंपनियां इंटरनेट की इसी आजादी पर लगाम लगाना चाहती हैं,जिसके द्वारा कुछ एप्स का तो इस्‍तेमाल तो मुफ्त में किया जा सकेगा लेकिन कुछ के लिए पैसे देने होंगे। यहीं नहीं इन सेवाओं की स्पीड भी कम या ज्‍यादा की जा सकती है।
क्या बला है नेट न्यूट्रैलिटी- मोबाइल में इंटरनेट चलाने के लिए अक्सर आप डाटा पैक लेते हैं। टेलीकॉम
कंपनियां डाटा की स्पीड जो कि 2G, 3G, 4G के रूप में रहती है और उसके वॉल्यूम जो कि 1 GB, 2GB, 3GB, 5GB, 10GB अनलिमिटेड GB के आधार पर आपसे उसकी कीमत वसूलती हैं।
किसी डाटा से आप इंटरनेट चलाएं, इंटरनेट फोन कॉल करें, फेसबुक,ट्विवटर, लिंक्डइन जैसे सोशल साइट्स का इस्तेमाल करें,फ्लिटकार्ट, अमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से कोई ऑर्डर दें या फिर स्काईप, वाट्सअप, वीडिया कॉल, वॉयस कॉल पर अपने लोगों से जुड़ें, सबके लिए एकसमान चार्ज देना नेट न्यूट्रैलिटी कहलाती है यानी नेट के इस्तेमाल में सेवाओं या एप्स के आधार पर चार्ज में भेदभाव नहीं करना।

-आसान शब्दों में इंटरनेट पहुंच में किसी तरह का भेदभाव नहीं करना ही नेट न्यूट्रैलिटी है। नेट न्यूट्रैलिटी से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है। इंटरनेट पर सब प्रकार के डेटा ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार करना और किसी कंपनी या एप को भुगतान के आधार पर तरजीह या प्राथमिकता देना नेट न्यूट्रैलिटी की अवधारणा का उल्लंघन माना जाएगा।

नेट न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन के नुकसान-जानकारों की मानें तो अगर नेट न्यूट्रैलिटी का सम्मान नहीं किया गया तो,
-टेलीकॉम कंपनियों की मनमानी बढ़ जाएगी
-ग्राहकों के लिए विकल्पों की आजादी समाप्त हो जाएगी
-ग्राहकों को पास चुनाव के सीमित विकल्प हो जाएंगे
-टेलीकॉम कंपनी अपनी सहयोगी कंपनी (जो उसे अतिरिक्त शुल्क भुगतान करती है )
की प्रतिस्पर्धी कंपनी को ब्लॉक कर सकती है
-टेलीकॉम कंपनी अपनी सहयोगी कंपनी (जो उसे अतिरिक्त शुल्क भुगतान करती है )
 की प्रतिस्पर्धी कंपनी की स्पीड को धीमी कर सकती है
-स्टार्टअप कंपनी को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है
-आंत्रप्रन्योरशिप को झटका लग सकता है
-प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया मुहिम को झटका लग सकता है
-स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को धक्का लगने की आशंका
-टेलीकॉम कंपनियों से करार करने वाली वेबकंपनियां ग्राहकों पर इसकी
 लागत थोपने की कोशिश कर सकती है

क्यों शुरू हुआ विवाद: भारत में टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस-फेसबुक करार और फ्लिपकार्ट-एटरटेल करार ने नेट न्यूट्रैलिटी के खतरे को हवा देने का काम किया। फेसबुक ने इसी साल फरवरी में 'इंटरनेट डॉट ओआरजी(Internet.org) सर्विस शुरू की। इसके के तहत लोग रिलांयस कनेक्‍ट के जरिये मुफ्त में कई वेबसाइटों का उपयोग कर सकते हैं। इसमें तकरीबन 33 वेबसाइटों को जोड़ा गया है. जिसे इस्तेमाल करने
के लिए यूजर्स को अलग से इंटरनेट डाटा पैक शुरू करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।
दूसरी ओर, काफी हो-हल्ला के बाद फ्लिपकार्ट ने एयरटेल जीरो के साथ अपना करार रद्द करने की घोषणा कर दी है। इस करार के तहत एयरटेल के ग्राहक फ्लिपकार्ट का मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते थे जबकि ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल किए गए डेटा का चार्ज एययरटेल को फ्लिपकार्ट चुकाता।

एक समान नियम की मांग : आम लोगों के साथ-साथ मोबाइल कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्यूलर, रिलायंस जिओ, टेलीनॉर, वीडियोकॉन,एयरसेल ने भी नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में हामी भरी है। उधर, सरकार ने भी इंटरनेट की आजादी से किसी को भी खेलने की आजादी नहीं देने का भरोसा दिया है।

किसने क्या कहा- 
-अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है नेट न्यूट्रैलिटी का उल्लंघन। नेट न्यूट्रैलिटी से एक खुला मैदान
तैयार होता है जो कि नवोन्मेष और स्वीकरण को सुगम बनाता है -नासकॉम
-सरकार सभी के लिए इंटरनेट की समान पहुंच के प्रति प्रतिबद्ध और वह गैर-भेदभावपूर्ण
उपलब्धता सुनिश्चित करेगी- रवि शंकर प्रसाद (सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री)
-दुनिया के नौ देशों में करीब 80 करोड़ लोग इंटरनेट डॉट ओरजी के जरिए मुफ्त
में बेसिक इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। भारत में भी कंपनी तमिलनाडु, महाराष्ट्र,
आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और तेलंगाना में मुफ्त बेसिक सेवाएं उपलब्ध
करा रही है।- जुकरबर्ग, फेसबुक

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