संसद का शीतकालीन सत्र कल से, जानिए कौन कौन से विधेयक होंगे फोकस में
सरकार ने कल से प्रारंभ होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सभी दलो  के नेताओं के साथ बैठक की 

​​​​​​​श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सभी राजनीतिक दलों से सकारात्मक विचार-विमर्श करने का आग्रह किया 29 दिन के शीतकालीन सत्र में कुल 20 बैठकें होंगी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सरकार संसद के दोनों संदनों में राजनीतिक दलों द्वारा उठाये जाने वाले राष्ट्रीय महत्व के सभी विषयों पर विचार विमर्श करने को तैयार हैं। श्री नरेन्द्र मोदी कल से प्रारंभ होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र-2018 से पहले राज्यसभा और लोकसभा में राजनीतिक दलों के नेताओं को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को शीतकालीन सत्र में सकारात्मक माहौल बनाने तथा लोक कल्याण से संबंधित विषयों का सामूहिक समाधान निकालने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का सुचारू रुप से कामकाज सुनिश्चित करते हुए देश और जनता की सेवा के लिए योगदान करने के हम लोगों का प्राथमिक दायित्व है।
सभी नेताओं ने पूर्व मंत्री एच एन अनंत कुमार को श्रृंद्धाजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद विभिन्न दलों के नेताओं ने बाधारहित ढंग से संसद का कामकाज सुचारूरप से सुनिश्चत करने तथा संसद के दोनों संदनों में सकारात्मक विचार विमर्श के माध्यम से गतिरोध समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की।
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए केन्द्रीय संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास. पंचायती राज तथा खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने संसद के दोनों संदनों का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी दलों, विशेष कर विपक्षी दल, से सहयोग का अनुरोध किया है।
श्री तोमर ने बताया कि शीतकालीन सत्र में सभी दलों ने कामकाज सुचारू रूप से चलाने के पक्ष में राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार प्रक्रिया नियमों के अंतगर्त किसी भी विषय पर संदन में विचार विमर्श के लिए तैयार है।
श्री तोमर ने बताया कि संसद का शीतकालीन सत्र 2018 मंगलवार 11 दिसंबर 2018 से प्रारंभ होगा और सत्र 8 जनवरी 2019 को समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि 29 दिन के सत्र में संसद की 20 बैठकें होंगी। शीतकालीन सत्र-2018 के दौरान 46 विषयों (इसमें 45 विधेयक तथा एक वित्तीय विषय शामिल हैं) पर चर्चा होगी।  
शीतकालीन सत्र में (1) मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अध्यादेश, 2018 (2) भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2018 तथा (3) कंपनी संशोधन अध्यादेश 2018 का स्थान तीन विधेयक लेंगे।
शीतकालीन सत्र में कुछ महत्वपूर्ण लंबित विधेयकों पर चर्चा होगी और उन्हें पारित किया जाएगा। ये विधेयक हैं (1) दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक, 2017 (2) उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 (3) नई दिल्ली अंतरार्ष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र विधेयक, 2018  (4) सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जा खाली कराना) संशोधन विधेयक, 2017 (5) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2018 (6) डीएनए टैक्नालोजी (उपयोग और एप्लीकेशन) नियमन विधेयक, 2018 (7) प्रमुख बंदरगाह प्राधिकार विधेयक, 2016 (8) व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण तथा पुर्नवास) विधेयक, 2018 (9) ऑटिज्म सेरेब्रल पाल्सी, मंदबुद्धि तथा विविध दिव्यांगता (संशोधन) विधेयक, 2018 तथा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग 2017 हैं। इस सत्र में अध्यादेशों के स्थान पर लाये जाने वाले तीन विधेयकों के अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पर प्रस्तुत किये जा सकते हैं, उन पर विचार विमर्श हो सकता है और उन्हें पारित किया जा सकता है। ऐसे विधेयक हैं (1) भारतीय चिकित्सा पद्धति  के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018 (2) होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीएच) विधेयक, 2018 (3) विमान संशोधन विधेयक, 2018 (4) जालियान वाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2018) (5) सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) विधेयक, 2018 (6) संबंद्ध तथा स्वास्थ्य देखभाल पेशा विधेयक, 2018 और (7) केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018
सर्वदलीय बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह, वित्त और कारपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली, संसदीय कार्य तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री श्री विजय गोयल, संसदीय कार्य तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल तथा अन्य मंत्री उपस्थित थे।
शीतकालीन सत्र-2018 के दौरान संसद के दोनों संदनों में लाये जाने वाले सरकारी कार्य के विषय
प्रस्तुतीकरण विचार और पारित करने के लिए विधेयक
  1. कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2018 (अध्यादेश के स्थान पर)
  2. मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, 2018 (अध्यादेश के स्थान पर)
  3. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 (अध्यादेश के स्थान पर)
  4. भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018
  5. होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनएच) विधेयक, 2018
  6. योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीवाईएन) विधेयक, 2018
  7. भारतीय औषधि तथा होम्योपैथी फार्मेसी परिषद विधेयक, 2018
  8. विमान (संशोधन) विधेयक, 2018
  9. राष्ट्रीय डिजाईन संस्थान (एनआईडी) (संशोधन) विधेयक, 2018
  10.  जालियानवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2018
  11.  मेरिटाईम पायरेसी रोधी विधेयक, 2018
  12.  सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) विधेयक, 2018
  13.  भारतीय स्टैम्प (संशोधन) विधेयक, 2018)
  14.  राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यशीलता तथा प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) विधेयक, 2018
  15.  संबंद्ध तथा स्वास्थ्य देखभाल पेशा विधेयक, 2018
  16.  गैर-कानून गतिविधि (रोकथाम) (संशोधन) विधेयक, 2018
  17.  राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक, 2018
  18.  बांध सुरक्षा विधेयक, 2018
  19.  केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018
  20.  राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण विधेयक, 2018
विचार और पारित करने के लिए बिल
लोकसभा में लंबित बिल
  1. अनियमित जमा योजना विधेयक2018 पर प्रतिबंध
  2. सूक्ष्मलघु और मध्यम उद्यम विकास (संशोधन) विधेयक2018
  3. लोक परिसर (अनधिकृत कब्जा खाली कराना) संशोधन विधेयक2017
  4. दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक2017
  5. उपभोक्ता संरक्षण विधेयक2018
  6. नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक2018
  7. एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (संशोधन) विधेयक2018
  8. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक2018
  9. डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और ऐप्पलीकेशन) विनियमन विधेयक2018
  10. मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक2018
  11. व्यक्तिगत कानून (संशोधन) विधेयक2018
  12. ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक2016
  13. सरोगेसी (विनियमन) विधेयक2016
  14. प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक2016
  15. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक2017
  16. चिट फंड (संशोधन) विधेयक2018

राज्यसभा में लंबित बिल
  1. लोक सभा द्वारा पारित व्यक्तियों की तस्करी (रोकथामसंरक्षण और पुनर्वास) विधेयक2018
  2. लोक सभा द्वारा पारित शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक2018
  3. लोक सभा द्वारा पारित जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक2018
  4. लोक सभा द्वारा पारित मध्यस्थता और समझौता (संशोधन) विधेयक2018
  5. ऑटिज़्मसेरेब्रल पाल्सी मानसिक मंदता और विविध दिव्यांगता के शिकार व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट (संशोधन) विधेयक2018
  6. लोक सभा द्वारा पारित बच्चों की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक2018
  7. लोकसभा द्वारा पारित मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक2017

वित्तीय कामकाज
2018-19 के लिए पूरक अनुदान मांग (रेलवे समेत) की दूसरी बैच।

वापसी के लिए बिल
  1. राज्यसभा में मुस्लिम महिलाएं (विवाह अधिकारों संरक्षण) विधेयक2017,
  2. नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक2013
(सौ. पीआईबी)

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Rajanish Kant सोमवार, 10 दिसंबर 2018
प्रत्यक्ष कर संग्रह करीब 16 प्रतिशत बढ़ा
वित्‍तीय वर्ष 2018-19 में, नवम्‍बर 2018 तक प्रत्‍यक्ष कर संगह दर्शाता है कि सकल संग्रह 6.75 लाख करोड़ रूपये रहा है। यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक है।    
प्रत्‍यक्ष कर संग्रह के नवम्‍बर 2018 तक के अनंतिम आकड़े यह दर्शाते हैं कि सकल संग्रह 6.75 लाख करोड़ रूपये रहा है। यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल 2018 से नवम्‍बर 2018 तक तक की अवधि के दौरान 1.23 लाख करोड़ रूपये की धन वापसी जारी की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में जारी की गई धन वापसी की तुलना में 20.8 प्रतिशत अधिक है। शुद्ध संग्रह (धन वापसी के समायोजन के बाद) अप्रैल-नवम्‍बर 2018 के दौरान 14.7 प्रतिशत बढ़कर 5.51 लाख करोड़ रूपये रहा है। शुद्ध प्रत्‍यक्ष कर संग्रह वित्‍तीय वर्ष 2018-19 के लिए प्रत्‍यक्ष करों के कुल बजट अनुमानों (11.50 लाख करोड़ रूपये) का 48 प्रतिशत रहा है।
जहां तक कार्पोरेट आयकर (सीआईटी) और व्‍यक्तिगत आयकर (पीआईटी) की वृद्धि दर का संबंध है,सीआईटी के लिए सकल संग्रह की वृद्धि दर 17.7 प्रतिशत और पीआईटी (एसटीटी समेत) की 18.3 प्रतिशत रही है। धन वापसी के समायोजन के बाद सीआईटी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 18.4 प्रतिशत और पीआईटी संग्रह में 16 प्रतिशत रही है। यह उल्‍लेखनीय है कि वित्‍तीय वर्ष 2017-18 की इसी अवधि के दौरान कर संग्रह में आय घोषणा योजना (आईटीएस) के तहत हुए असाधारण संग्रह 10,833 करोड़ रूपये (आईडीएस की तीसरी और अंतिम किश्‍त) की राशि भी शामिल है। यह वर्तमान वर्ष के संग्रह का एक हिस्‍सा नहीं है। 
(सौ. पीआईबी)

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Rajanish Kant
सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS में किए गए बदलाव, जानें क्या होगा फायदा
               राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) सरल बनाई गई

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 6 दिसम्‍बर, 2018 को अपनी बैठक में राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को युक्तिसंगत या सरल बनाने के लिए निम्‍नलिखित प्रस्‍ताव को मंजूरी दी।
  • केन्‍द्र सरकार द्वारा एनपीएस टियर-। के दायरे में आने वाले अपने कर्मचारियों के लिए अपना अनिवार्य अंशदान मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन फंडों और निवेश के स्‍वरूप के चयन की आजादी दी गई है।
  • वर्ष 2004-2012 के दौरान एनपीएस में अंशदान न करने या इसमें विलम्‍ब होने पर क्षतिपूर्ति की जाएगी।
  • एनपीएस से बाहर निकलने पर मिलने वाली एकमुश्‍त निकासी राशि पर कर छूट सीमा बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है। इसके साथ ही समूची निकासी राशि अब आयकर से मुक्‍त हो जाएगी। (मौजूदा समय में वार्षिकी की खरीद के लिए इस्‍तेमाल की गई कुल संचित राशि का 40 प्रतिशत कर मुक्‍त है। सेवानिवृत्ति के समय एनपीएस के सदस्‍य द्वारा निकाली जाने वाली संचित राशि के 60 प्रतिशत में से 40 प्रतिशत कर मुक्‍त है, जबकि शेष 20 प्रतिशत राशि कर योग्‍य है।)
  • एनपीएस के टियर-।। के तहत सरकारी कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाला अंशदान अब आयकर की दृष्टि से 1.50 लाख रुपये तक की छूट के लिए धारा 80 सी के अंतर्गत कवर होगा। यह अन्‍य योजनाओं जैसे कि सामान्‍य भविष्‍य निधि, अंशकारी भविष्‍य निधि, कर्मचारी भविष्‍य निधि और सार्वजनिक भविष्‍य निधि के सम्‍तुलय है, बशर्तें कि इसमें तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि हो।
पृष्‍ठभूमि
1 जनवरी, 2004 को अथवा उसके बाद केन्‍द्र सरकार की सेवा से जुड़ने वाले नये कर्मचारियों को राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत कवर किया जाता है। 7वें वेतन आयोग ने वर्ष 2015 में अपने विचार विमर्श के दौरान एनपीएस से जुड़ी विशिष्‍ट चिंताओं पर गौर किया और सिफारिशें पेश कीं। 7वें वेतन आयोग ने इस संबंध में सचिवों की एक समिति गठित करने की सिफारिश की। तदनुसार, सरकार द्वारा वर्ष 2016 में सचिवों की एक समिति गठित की गई जिसे एनपीएस के कार्यान्‍वयन को युक्तिसंगत अथवा सरल बनाने के लिए विभिन्‍न उपाय सुझाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई। समिति ने वर्ष 2018 में अपनी रिपोर्ट पेश की। तदनुसार, समि‍ति की सिफारिशों के आधार पर मसौदा कैबिनेट नोट को मंजूरी के लिए कैबिनेट के विचारार्थ पेश किया गया।
कार्यान्‍वयन रणनीति और लक्ष्‍य
अन्‍य संबंधित मंत्रालयों / विभागों से सलाह-मशविरा करने के बाद महत्‍वपूर्ण निर्णय लिये जाने के पश्‍चात एनपीएस में प्रस्‍तावित बदलावों को तत्‍काल लागू कर दिया जायेगा।
प्रमुख प्रभाव
  • एनपीएस के दायरे में आने वाले केन्‍द्र सरकार के सभी कर्मचारियों की अंतिम संचित राशि में वृद्धि होगी।
  • कर्मचारियों पर कोई अतिरिक्‍त बोझ पड़े बगैर ही सेवानिवृत्ति के बाद उन्‍हें मिलने वाली पेंशन राशि बढ़ जायेगी।
  • केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन फंडों और निवेश के स्‍वरूप या रूपरेखा के चयन में आजादी मिलेगी।
  • एनपीएस के दायरे में आने वाले केन्‍द्र सरकार के लगभग 18 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
  • जीवन प्रत्‍याशा बढ़ने की स्थिति में वृद्धावस्‍था सुरक्षा बढ़ जायेगी।
  • एनपीएस को और ज्‍यादा आकर्षक बनाने से सरकार को सर्वोत्‍तम प्रतिभाओं को आकर्षि‍त करने एवं उन्‍हें सेवा में बनाये रखने में आसानी होगी।
निहित व्‍यय
  • इस वजह से वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान राजकोष पर लगभग 2840 करोड़ रुपये का भार पड़ने का अनुमान है और यह एक आवर्ती व्यय के रूप में होगा। वर्ष 2004-2012 के दौरान एनपीएस में अंशदान न करने या इसमें विलम्‍ब होने पर क्षतिपूर्ति किये जाने के प्रावधान के कारण जो वित्‍तीय भार पड़ेगा वह इस राशि के अतिरिक्‍त होगा।
लाभार्थियों की संख्‍या
राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने से एनपीएस के दायरे में आने वाले केन्‍द्र सरकार के लगभग 18 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
दायरे में आने वाले राज्‍य/जिले
समस्‍त भारत
पहले से ही कार्यान्वित की जा रही योजना, यदि कोई हो, का विवरण एवं प्रगति
फिलहाल यह स्थिति है कि 1 जनवरी 2004 को अथवा उसके बाद केन्‍द्र सरकार की सेवा से जुड़ने वाले नये कर्मचारियों को राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत कवर किया जाता है। देश में एनपीएस का कार्यान्‍वयन और नियमन पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है।


(सौ. पीआईबी)

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