नवंबर में CPI महंगाई बढ़ी, अक्टूबर में उद्योगों (IIP) की रफ्तार घटी: सरकार

अक्‍टूबर, 2017 में औद्योगिक विकास दर 2.2 फीसदी रही
अक्‍टूबर, 2017 में औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) 123.0 अंक रहा, जो अक्‍टूबर, 2016 के मुकाबले 2.2 फीसदी ज्‍यादा है। इसका मतलब यही है कि अक्‍टूबर, 2017 में औद्योगिक विकास दर 2.2 फीसदी रही। इसी तरह अप्रैल-अक्‍टूबर, 2017 में औद्योगिक विकास दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी आंकी गई है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा अक्‍टूबर, 2017 के लिए जारी किये गये औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक के त्‍वरित आकलन (आधार वर्ष 2011-12=100) से उपर्युक्‍त जानकारी मिली है। 14 स्रोत एजेंसियों से प्राप्‍त आंकड़ों के आधार पर आईआईपी का आकलन किया जाता है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उर्वरक विभाग भी इन एजेंसियों में शामिल हैं।

अक्‍टूबर, 2017 में खनन, विनिर्माण (मैन्‍युफैक्‍चरिंग) एवं बिजली क्षेत्रों की उत्‍पादन वृद्धि दर अक्‍टूबर, 2016 के मुकाबले क्रमश: 0.2 फीसदी, 2.5 फीसदी तथा 3.2 फीसदी रही। इसी तरह अप्रैल-अक्‍टूबर 2017 में इन तीनों क्षेत्रों यानी सेक्‍टरों की उत्‍पादन वृद्धि दर पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश: 3.4, 2.1 तथा 5.3 फीसदी आंकी गई है।

उपयोग आधारित वर्गीकरण के अनुसार अक्‍टूबर, 2017 में प्राथमिक वस्‍तुओं (प्राइमरी गुड्स), पूंजीगत सामान, मध्‍यवर्ती वस्‍तुओं एवं बुनियादी ढांचागत/निर्माण वस्‍तुओं की उत्‍पादन वृद्धि दर अक्‍टूबर, 2016 की तुलना में क्रमश: 2.5 फीसदी, 6.8 फीसदी, 0.2 फीसदी और 5.2 फीसदी रही। जहां तक टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान का सवाल है, इनकी उत्‍पादन वृद्धि दर अक्‍टूबर, 2017 में (-) 6.9 फीसदी रही है। वहीं, गैर-टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान की उत्‍पादन वृद्धि दर अक्‍टूबर, 2017 में 7.7 फीसदी रही।

इस दौरान उच्‍च धनात्‍मक उत्‍पादन वृद्धि दर दर्ज करने वाली कुछ महत्‍वपूर्ण वस्‍तुओं में ट्रकों की बॉडी, लॉरी एवं ट्रेलर (199.0%), 'मीटर (बिजली और गैर-बिजली)' (64.2%), ‘कंटर अपकेंद्रित्र सहित विभाजक' (60.6%), पाचन एंजाइम और एंटासिड (पीपीआई दवाओं सहित) (53.9%), मिश्र धातु एवं स्टेनलेस स्टील की बार एवं छड़ें (52.0%), 'स्टेनलेस स्टील के सपाट उत्पाद' (50.9%), 'धुरा' (50.3%), ‘फुल क्रीम/टोंड/स्किम्ड दूध’ (21.5%) और चाय (20.1%) भी शामिल हैं।

इस दौरान उच्‍च ऋणात्‍मक उत्‍पादन वृद्धि दर दर्ज करने वाली कुछ महत्‍वपूर्ण वस्‍तुओं में स्‍वर्ण आभूषण ((नगीना जडि़त हो या ना हो) (-) 76.9%, प्लास्टिक जार, बोतलें एवं कंटेनर (-) 52.1%, इलेक्‍ट्रि‍क हीटर (-) 39.9%, एचडीपीई/एलडीपीई (प्लास्टिक) के बैग/पाउच (-) 38.2%, अन्‍य तम्‍बाकू उत्‍पाद (-) 38.1%, प्रिंटिंग मशीनरी (-) 37.5%, टूथपेस्‍ट (-) 32.4%, बिजली के सर्किटों को बदलने या सुरक्षा के लिए विद्युत उपकरण (जैसे स्विचगियर, सर्किट ब्रेकर/स्विच, कंट्रोल/मीटर पैनल (-) 31.6%, पैकिंग/क्लोज़िंग/बॉटलिंग सामान के प्‍लास्टिक पुर्जे एवं विद्युत फिटिंग (-) 30.9%, पाम ऑयल रिफाइंड (पामोलीन सहित) (-) 28.6%, टीवी सेट (-) 25.5% और कॉपर बार, रॉड एवं वायर रॉड (-) 23.4% भी शामिल हैं।


उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर नवम्बर, 2017 में 4.88 फीसदी रही  
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवम्बर, 2017 में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 4.79 फीसदी आंकी गई
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवम्बर, 2017 में शहरी क्षेत्रों के लिए 4.90 फीसदी रही
 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने आज नवम्‍बर, 2017 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी किए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर 4.79 फीसदी (अनंतिम) रही, जो नवम्‍बर, 2016 में 4.13 फीसदी थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर नवम्‍बर, 2017 में 4.90 फीसदी (अनंतिम) आंकी गयी, जो नवम्‍बर 2016 में 3.13 फीसदी थी। ये दरें अक्‍टूबर, 2017 में क्रमशः 3.36 तथा 3.81 फीसदी (अंतिम) थीं।
केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने आज नवम्‍बर, 2017 के लिए उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े भी जारी किए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सीएफपीआई आधारित महंगाई दर 4.11 फीसदी (अनंतिम) रही, जो नवम्‍बर, 2016 में 2.79 फीसदी थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिए सीएफपीआई आधारित महंगाई दर नवम्‍बर, 2017 में 4.90 फीसदी (अनंतिम) आंकी गई, जो नवम्‍बर, 2016 में 0.75 फीसदी थी। ये दरें अक्टूबर, 2017 में क्रमशः 1.75 तथा 2.13 फीसदी (अंतिम) थीं।
अगर शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर नवम्‍बर, 2017 में 4.88 फीसदी (अनंतिम) आंकी गई है, जो नवम्‍बर, 2016 में 3.63 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सीपीआई पर आधारित महंगाई दर अक्‍टूबर, 2017 में 3.58 फीसदी (अंतिम) थी। इसी तरह यदि शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित महंगाई दर नवम्‍बर, 2017 में 4.42 फीसदी (अनंतिम) रही है, जो नवम्‍बर, 2016 में 2.03 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सीएफपीआई पर आधारित महंगाई दर अक्‍टूबर, 2017 में 1.90 फीसदी (अंतिम) थी।
सांख्‍यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) के लिए आधार वर्ष को 2010=100 से संशोधित करके 2012=100 कर दिया है।
(Source: pib.nic.in)
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Rajanish Kant बुधवार, 13 दिसंबर 2017
US डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत (12 दिसंबर)($1=₹ 64.4834)
अमेरिकी डॉलर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की संदर्भ दर
भारतीय रिज़र्व बैंक की दिनांक 12 दिसंबर 2017 को अमेरिकी डॉलर के लिए संदर्भ दर  64.4834 है।
पिछले दिन (11 दिसंबर 2017) के लिए समतुल्‍य दर  64.3616 थी।
अमेरिकी डॉलर के लिए संदर्भ दर और पारस्‍परिक मुद्रा-दरों की मध्‍य दरों के आधार पर रुपये के लिए यूरो, ग्रेट ब्रिटेन पाउंड और जापानी येन की विनिमय दरें इस प्रकार हैं :
मुद्रातारीख
11 दिसंबर 201712 दिसंबर 2017
1 यूरो75.805175.9292
1 ग्रेट ब्रिटेन पाउंड86.328286.0466
100 जापानी येन56.6856.84
टिप्‍पणी : एसडीआर- रुपया दर संदर्भ दर पर आधारित होगी।
Source: rbi.org.in
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Rajanish Kant मंगलवार, 12 दिसंबर 2017
अमेरिकी शेयर बाजार सोमवार को चढ़े, डाओ जोंस और S&P 500 रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद
(अमेरिकी-यूरोपीय बाजारों का प्रदर्शन-(सोमवार)

((अमेरिकी शेयर बाजार शुक्रवार को मजबूत बंद, डाओ जोंस 118 अंक उछला  
(एशियाई बाजारों का प्रदर्शन-(सोमवार)

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Rajanish Kant
आगामी बजट में किन मुद्दों पर जोर होना चाहिए, अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को बताया

केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ अपनी पांचवीं बजट-पूर्व परामर्श बैठक की 
वित्‍त मंत्री ने कहा, ‘वैश्विक स्‍तर पर आर्थिक सुस्‍ती के बावजूद भारत में विकास की गति आकर्षक है और यह पिछले तीन वर्षों के दौरान दुनिया की सर्वोत्‍तम विकास दरों में से एक रही है’
चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई विकास दर से पिछली कुछ तिमाहियों में नजर आ रही सुस्‍ती के अब समाप्‍त हो जाने की पुष्टि होती है : वित्‍त मंत्री
 केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर आर्थिक सुस्‍ती के बावजूद भारत में विकास की गति आकर्षक है और यह पिछले तीन वर्षों के दौरान दुनिया की सर्वोत्‍तम विकास दरों में से एक रही है। उन्‍होंने कहा कि भार वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर औसतन 7.5 प्रतिशत रही है, जो इससे पिछले दो वर्षों में दर्ज की गई विकास दर की तुलना में काफी अधिक है। वित्‍त मंत्री श्री जेटली आज नई दिल्‍ली में प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ अपनी पांचवीं बजट-पूर्व परामर्श बैठक में आरंभिक भाषण दे रहे थे। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई विकास दर से पिछली कुछ तिमाहियों में नजर आ रही सुस्ती के अब समाप्त हो जाने की पुष्टि होती है। वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि हम राजकोषीय मजबूती के रोडमैप पर अमल कर रहे हैं, जिसके तहत जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के अनुपात के रूप में राजकोषीय घाटा वर्ष 2015-16 में 3.9 प्रतिशत एवं वर्ष 2016-17 में 3.5 प्र‍तिशत रहा, जबकि चालू वित्‍त वर्ष में इसके 3.2 प्रतिशत रहने की आशा है। वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि व्‍यय को तर्कसंगत बनाने, प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण योजना (डीबीटी) एवं सार्वजनिक वित्‍तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के जरिए सार्वजनिक व्‍यय में खामियों को दूर करने और राजस्‍व बढ़ाने के लिए अपनाए गए अभिनव प्रयासों से ही राजकोषीय घाटे के इन लक्ष्‍यों की प्राप्ति में हम समर्थ हो पाए हैं।
उपर्युक्‍त बजट-पूर्व परामर्श बैठक में अनेक प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया, जिनमें नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार, नीति आयोग के सदस्‍य एवं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्‍यक्ष श्री बिबेक देबरॉय, वित्‍त सचिव डॉ. हसमुख अधिया, व्‍यय सचिव श्री ए.एन. झा, आर्थिक मामलों के सचिव श्री सुभाष चन्‍द्र गर्ग, मुख्‍य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्‍यन और सीबीडीटी के अध्‍यक्ष श्री सुशील कुमार चन्‍द्र भी शामिल थे। इनके अलावा वित्‍त मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।
उपर्युक्‍त बैठक में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों एवं अन्‍य आर्थिक विशेषज्ञों की ओर से अनेक महत्‍वपूर्ण सुझाव प्राप्‍त हुए। इनमें से एक प्रमुख सुझाव यह था कि आगामी बजट में सरकार को राजकोषीय मजबूती के मार्ग पर चलना जारी रखना चाहिए और यदि राजकोषीय लक्ष्‍यों की प्राप्ति में किसी भी वजह से कोई कमी रह जाती है, तो उस बारे में स्‍पष्‍टीकरण दिया जा सकता है। इसी तरह एक सुझाव यह था कि अगले बजट में कर सुधारों के रोडमैप (खाका) की भी घोषणा की जानी चाहिए। इसी तरह एक अन्‍य सुझाव यह दिया गया कि वृहद आर्थिक स्थिरता से कोई भी समझौता किये बगैर बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) एवं निर्माण क्षेत्रों के लिए और ज्‍यादा प्रोत्‍साहन दिये जाने चाहिए, ताकि वे आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बन सकें। इसी तरह महंगाई दर को 4-6 प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्‍य सुलभ कराने पर भी ध्‍यान केन्द्रित करने का सुझाव दिया गया।
एक अन्‍य सुझाव यह था कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के विनिवेश पर और अधिक जोर दिया जाना चाहिए, क्‍योंकि इससे राजकोषीय घाटे को पाटने और व्‍यय संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्‍त राजस्‍व अर्जित करने में मदद मिलेगी। एक अन्‍य सुझाव यह दिया गया कि वृद्धावस्‍था पेंशन को मौजूदा 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये और विधवा पेंशन को मौजूदा 300 रुपये से बढ़ाकर न्‍यूनतम 500 रुपये कर दिया जाए।
इसी तरह एक अन्‍य सुझाव यह दिया गया कि समस्‍त रियायतों को समाप्‍त करते हुए कॉरपोरेट टैक्‍स की दर को घटाकर 20 प्रतिशत तक के स्‍तर पर ला दिया जाए, ताकि कॉरपोरेट जगत को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बनाया जा सके। इसी तरह इक्विटी लाने एवं राजस्‍व बढ़ाने के लिए दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर टैक्‍स लगाने, न्‍यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में कमी करने और दरों में सामंजस्‍य लाने सहित जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) के लिए रोडमैप की घोषणा करने जैसे सुझाव भी दिए गए। इसी तरह एसएमई सहित श्रम बहुल उद्योगों और अनौपचारिक तथा असंगठित क्षेत्रों को प्रोत्‍साहन देने का भी सुझाव दिया गया। इसके अलावा कर प्रशासन को और ज्‍यादा करदाता अनुकूल बनाने का भी सुझाव दिया गया। एक अन्‍य सुझाव यह दिया गया कि फसल बीमा योजना पर नये सिरे से विचार किया जाए तथा इसे और ज्‍यादा प्रभावकारी बनाया जाए। इसके अलावा एक अन्‍य सुझाव यह था कि फसल बीमा योजना के तहत न केवल फसलों के खराब होने, बल्कि कीमतों के एकदम नीचे आ जाने की स्थिति को भी कवर किया जाए।
उपर्युक्‍त बैठक में पेंशन एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के वित्‍त पोषण के लिए दीर्घकालिक ‘न्‍यू इंडिया बांड’ जारी करने का भी सुझाव दिया गया। बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि रक्षा क्षेत्र में निजी एवं सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्‍योंकि इस दिशा में व्‍यापक संभावनाएं हैं। एक अन्‍य सुझाव यह दिया गया कि मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में वृद्धि करके इसे न्‍यूनतम मजदूरी के बराबर अथवा यहां तक कि इसे बाजार दरों के अनुरूप कर दिया जाना चाहिए।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant
IT इंडस्ट्री को मोदी सरकार से आगामी बजट में क्या चाहिए
केंद्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आईटी (हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर) समूह के हितधारकों के साथ अपनी छठी बजट-पूर्व परामर्श बैठक की  
वित्‍त मंत्री ने भारत को इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण का वैश्विक हब बनाने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला
आईटी क्षेत्र के प्रमुखों ने संरक्षणवादी नीतियों के खिलाफ सरकार से मदद मांगी और इस क्षेत्र के विकास के लिए कर प्रोत्‍साहन देने का अनुरोध किया
 केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में इलेक्‍ट्रॉनिक वस्‍तुओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अनेक कदम उठाए हैं, जिनमें निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भिन्‍न उत्पाद शुल्क व्‍यवस्‍था का विस्तार करने के साथ शुल्‍क ढांचे को तर्कसंगत बनाना, शुल्‍क रियायत को वापस लेना, इत्‍यादि शामिल हैं। वित्‍त मंत्री ने कहा कि भारत को इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण का एक वैश्विक हब बनाने हेतु एक परितंत्र का सृजन करने के उद्देश्‍य से केन्‍द्रीय बजट 2017-18 में प्रोत्‍साहन योजनाओं जैसे कि एम-एसआईपीएस और ईडीएफ के लिए आवंटन को काफी तेजी से बढ़ाकर 745 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्‍त मंत्री आज नई दिल्‍ली में आईटी (हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर) समूह के हितधारकों के साथ अपनी छठी बजट-पूर्व परामर्श बैठक में आरंभिक भाषण दे रहे थे। इस बैठक में वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री एस.पी शुक्‍ला, वित्‍त सचिव हसमुख अधिया, व्‍यय सचिव श्री ए.एन. झा, आर्थिक मामलों के सचिव श्री सुभाष चन्‍द्र गर्ग, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री अजय प्रकाश साहनी, मुख्‍य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्‍यन, सीबीडीटी के अध्‍यक्ष श्री सुशील कुमार चन्‍द्र और वित्‍त मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी शामिल थे।
आज की बैठक में आईटी समूह के जिन हितधारकों ने भाग लिया, उनमें डेटामीट के सह-संस्‍थापक श्री जी.एन. थेजेस, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के अध्‍यक्ष श्री टी.वी. रामचन्‍द्रन, टीईएमए के चेयरमैन एमेरिटस श्री एन.के. गोयल, टेलीकॉम उपकरण एवं सेवा निर्यात के उपाध्‍यक्ष श्री राजीव अग्रवाल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात के अध्‍यक्ष श्री प्रसाद गारापति भी शामिल थे।
आईटी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने मंत्री महोदय का ध्‍यान इस तथ्‍य की ओर दिलाया कि आईटी-सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की क्षमता को विश्‍व भर में स्‍वीकार किया जाता है। हाल के महीनों में बीपीओ/केपीओ सहित सॉफ्टवेयर विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा (आईटीईएस) उद्योग भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में एक सर्वाधिक गतिशील क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आया है, जिसमें रोजगार की व्‍यापक संभावनाएं हैं। हालांकि, इन प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अन्‍य देशों में हाल ही में अपनाई गई कुछ संरक्षणवादी एवं भेदभावपूर्ण नीतियों को ध्‍यान में रखते हुए आईटी क्षेत्र को नीति के स्‍तर पर सरकारी मदद की जरूरत पड़ेगी, ताकि वीजा संबंधी पाबंदियों का सामना किया जा सके और इसके साथ ही हमारे आर्थिक हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।     
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant