Three Public Sector Banks Freed From PCA Framework
Prompt Corrective Action Framework
On a review of the performance of Public Sector Banks (PSBs) currently under the Prompt Corrective Action Framework (PCAF), it was noted that a few banks are not in breach of the PCA parameters as per their published results for the quarter ending December 2018, except Return on Assets (RoA). However, though the RoA continues to be negative, the same is reflected in the capital adequacy indicator. These banks have provided a written commitment that they would comply with the norms of minimum regulatory capital, Net NPA and leverage ratio on an ongoing basis and have apprised the Reserve Bank of India of the structural and systemic improvements that they have put in place which would help the banks in continuing to meet these commitments. Further, the Government has also assured that the capital requirements of these banks will be duly factored in while making bank-wise allocations during the current financial year.
Taking all the above into consideration, it has been decided that Bank of India and Bank of Maharashtra which meet the regulatory norms including Capital Conservation Buffer (CCB) and have Net NPAs of less than 6% as per third quarter results, are taken out of the PCA framework subject to certain conditions and continuous monitoring. In the case of Oriental Bank of Commerce, though the net NPA was 7.15%, as per the published results of third quarter, the Government has since infused sufficient capital and bank has brought the Net NPA to less than 6%. Hence, it has been decided to remove the restrictions placed on Oriental Bank of Commerce under PCA framework subject to certain conditions and close monitoring.
RBI will continuously monitor the performance of these banks under various parameters.

(सौ. आरबीआई)
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Rajanish Kant गुरुवार, 31 जनवरी 2019
The Reserve Bank introduces Ombudsman Scheme for Digital Transactions
As announced in the Monetary Policy Statement of December 5, 2018, the Reserve Bank of India (RBI) today launched the Ombudsman Scheme for Digital Transactions (OSDT) vide Notification dated January 31, 2019 for redressal of complaints against System Participants as defined in the said Scheme.
The Scheme, launched under Section 18 of the Payment and Settlement Systems Act, 2007, will provide a cost-free and expeditious complaint redressal mechanism relating to deficiency in customer services in digital transactions conducted through non-bank entities regulated by RBI. Complaints relating to digital transactions conducted through banks will continue to be handled under the Banking Ombudsman Scheme. The offices of Ombudsman for Digital Transactions will function from the existing 21 offices of the Banking Ombudsman and will handle complaints of customers from their respective territorial jurisdiction.
The Scheme provides for an Appellate mechanism under which the complainant / System Participant has the option to appeal against the decision of the Ombudsman before the Appellate Authority.
The complete Scheme is available on RBI's website.
(सौ. आरबीआई)
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Rajanish Kant
अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता : अपेक्षाएं ज्यादा, उम्मीदें कम

अमेरिका और चीन के वार्ताकारों ने अपने व्यापार संबंधों में तनाव का समाधान निकालने के लिए बुधवार से दो दिन की बैठक शुरू की। इसका मकसद दोनों के बीच छह माह से भी ज्यादा समय से जारी व्यापार युद्ध का समाधान करना है। इस व्यापार युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोरा और उस पर संकट के बादल भी दिख रहे है।।

इस वार्ता के बारे में विश्लेषकों का मत है कि अभी के हालात के मुताबिक इस हफ्ते की बातचीत से कुछ ठोस या निर्णायक समाधान आने की उम्मीदें कम हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच मतभेद काफी गहरे हैं। हालांकि इस कदम में आशाजनक बात यही है कि दोनों पक्ष कम से कम इस मसले पर बातचीत के लिए तैयार तो हुए हैं।

अमेरिका की इच्छा है कि चीन खुद को इलेक्ट्रिक कार और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में वैश्विक शक्ति बनने की अपनी आकांक्षा को कम करे।

अमेरिका के पूर्व व्यापार अधिकारी क्रिस्टोफर एडम्स ने कहा कि दोनों देशों की प्रणाली में बुनियादी बदलाव लाने वाले किसी समग्र समझौते पर सहमति बनने की उन्हें संभावना बहुत कम नजर आती है।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant बुधवार, 30 जनवरी 2019
‘गाड़ी खरीदने से पहले ऑनलाइन जानकारी इकट्ठा करते है 90% ग्राहक’

गाड़ी खरीदना, लोगों के जीवनभर के कई बड़े सपनों में से एक होता है। लेकिन इसे खरीदना तरकारी-भाजी खरीदने जैसा तो है नहीं इसलिए अब इसे खरीदने के अंतिम निर्णय में ऑनलाइन सर्च की एक बड़ी भूमिका है, क्योंकि लोग वाहन के तकनीकी पहलुओं को ऑनलाइन जाकर आपस में तुलना करते हैं।

सर्च इंजन गूगल का एक अध्ययन बताता है कि वाहन खरीदने वालों में ऑनलाइन खोज करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। लेकिन लोग जल्दी ब्रांड के बीच अदला-बदली नहीं करते हैं, ऐसे में यह सर्च उनकी खरीद को प्रभावित कम ही करता है।

गूगल ने अपने अध्ययन में 4,000 लोगों से सवाल पूछा जिसमें से 90 प्रतिशत ने माना कि वाहन खरीदने का अंतिम निर्णय लेने से पहले उन्होंने ऑनलाइन सर्च का उपयोग किया।

मंगलवार को जारी इस सर्वेक्षण रपट में एक और रोचक बात सामने आयी कि वाहन खरीदार जिस ब्रांड को खरीदने का मन बनाते हैं, ऑनलाइन सर्च के बाद भी उनके उस निर्णय में बदलाव बहुत कम होता है। इसका मतलब है कि वाहन खरीदार ब्रांड को लेकर बहुत अडिग रहते हैं।

सर्वेक्षण में शामिल मात्र सात प्रतिशत लोगों ने माना कि ऑनलाइन सर्च के बाद वह अपनी ब्रांड की पसंद बदलते हैं जबकि 2016 में यही आंकड़ा 11 प्रतिशत था।

रपट में सामने आया है कि 41 प्रतिशत लोग कंपनियों के रखरखाव कार्यक्रम, 32 प्रतिशत लोग समीक्षाएं और सिफारिश, 37 प्रतिशत लोग स्थानीय डीलरों के पते और 35 प्रतिशत लोग ऑफरों की जानकारियां इकट्ठा करने के लिए भी ऑनलाइन सर्च का उपयोग करते हैं।

वाहनों के ऑनलाइन सर्च के दौरान उनसे जुड़े वीडियो देखने वाले ग्राहकों की संख्या 80 प्रतिशत है और रपट में इसकी बड़ी वजह संभवत: देश में इंटरनेट का सस्ता होना बतायी गई है।

लब्बोलुआब यह है कि लोग गाड़ी खरीदने से पहले कई जानकारियां ऑनलाइन जुटाते हैं, लेकिन खरीदते अपने पसंद की गाड़ी ही हैं। तो अगली बार आप भी जब गाड़ी खरीदें तो एक बार ऑनलाइन सर्च जरूर कर लें।



(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
सेबी का निवेशकों की सुविधा के लिये रेइट(ReIT), इनिवट(InVIT) नियमों में ढील देने का प्रस्ताव
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रीयल इस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (रेइट) और इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) के लिये नयी रूपरेखा प्रस्तावित की है। सेबी ने पूंजी जुटाने के संबंध में लचीलापन मुहैया कराने तथा निवेशकों तक इनकी पहुंच बढ़ाने के ध्येय से यह कदम उठाया है।

नये प्रस्ताव के तहत सार्वजनिक रूप से जारी रेइट तथा इनविट के लिये न्यूनतम आवंटन तथा कारोबार लॉट को कम किया जाएगा। इसके साथ ही इनविट की फायदा उठाने की क्षमता सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।

सेबी ने 2014 में रेइट नियमन अधिसूचित किया था। हालांकि, तब से अब तक महज तीन इनविट जारी किये गये और सूचीबद्ध हुये है जिनसे करीब दस हजार करोड़ रुपये जुटाये गये हैं। एक रेइट सार्वजनिक पेशकश लाने के साथ तैयारी में है।

पूंजी बाजार नियमक की ओर से कई तरह के रियायतें दिये जाने के बावजूद इन निवेश साधनों में बड़ी संख्या में निवेशकों को आकर्षित करने में सफलता नहीं मिल पाई है। 

इस स्थिति को देखते हुये सेबी ने नये परिचर्चा पत्र को जारी किया है। इसमें रेइट और इनविट के नियमन में संशोधन के बारे में नये सिरे से विचार विमर्श किया जायेगा और संबद्ध पक्षों से 18 जनवरी तक उनके सुझाव और टिप्पणियां मांगी गई हैं। 

संबंधित पक्षों की राय जान लेने के बाद अंतिम प्रस्ताव जारी किये जाएंगे।

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘शुरुआती इश्यू के समय न्यूनतम आवेदन और आवंटन 100 इकाइयों का होना चाहिये। इस तरह के एक लॉट का मूल्य 15 से 20 हजार रुपये के बीच होना चाहिये।’’ इसमें और भी कई तरह के बदलावों का प्रस्ताव किया गया है। 

(सौ. पीटीआई भाषा)
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SBI, ICICI बैंक में घर बैठे कैसे खोलें PPF अकाउंट

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