आयातित एवं निर्यात वस्तुओं से संबंधित विदेशी मुद्रा विनिमय दर अधिसूचित, कल से लागू
सीमा शुल्क अधिनियम1962 (1962 का 52) की धारा 14 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने सं. 96/2018-कस्‍टम्स (एन.टी.)दिनांक 20 दिसम्‍बर2018 की अधिसूचना के पश्‍चात अनुसूची-और अनुसूची-II में दर्ज प्रत्येक विदेशी मुद्राजिसका उल्‍लेख कॉलम (2) में किया गया हैकी नई विनिमय दर निर्धारित की है जो आयात और निर्यात वस्तुओं के संदर्भ में कॉलम (3) में की गयी तत्संबंधी प्रविष्टि के अनुसार 4 जनवरी2019 से प्रभावी होंगी।
अनुसूची- I
क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रत्‍येक इकाई की विनिमय दर
·         1)
(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.ऑस्ट्रेलियाई डॉलर
50.05
47.80
2.बहरीन दीनार
192.85
180.85
3.कैनेडियन डॉलर
52.60
50.65
4.चाइनीज युआन
10.40
10.10
5.डेनिश क्रोनर
10.90
10.50
6.यूरो
81.55
78.60
7.हांगकांग डॉलर
9.15
8.80
8.कुवैती दीनार
239.75
224.45
9.न्यूजीलैंड डॉलर
47.90
45.75
10.नॉर्वेजियन क्रोनर
8.20
7.90
11.पौंड स्टर्लिंग
89.95
86.75
12.कतरी रियाल
19.95
18.70
13.सऊदी अरब रियाल
19.40
18.15
14.सिंगापुर डॉलर
52.50
50.60
15.दक्षिण अफ्रीकी रैंड
5. 00
4.70
16.स्वीडिश क्रोनर
7.95
7.65
17.स्विस फ्रैंक
72.70
69.90
18.तुर्की लीरा
13.35
12.55
19.यूएई दिरहम
19.80
18.55
20.अमेरिकी डॉलर
71.25
69.55

अनुसूची-II

क्रम संख्याविदेशी मुद्राभारतीय रुपये के समतुल्‍य विदेशी मुद्रा की
प्रति 100 इकाइयों की विनिमय दर
·         1)
(2)(3)
()(बी)
(आयातित वस्‍तुओं के लिए)(निर्यात वस्‍तुओं के लिए)
1.जापानी येन
66.90
64.45
2.कोरियाई वॉन
6.45
6.05



(सौ. पीआईबी) 
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant गुरुवार, 3 जनवरी 2019
वाणिज्यिक निर्यातकों को ‘ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समकरण योजना’ में शामिल करने की मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने वाणिज्यिक निर्यातकों को ‘ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समकरण योजना (आईईएस)’में शामिल करने संबंधी वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके तहत वाणिज्यिक निर्यातकों को इस योजना में चिन्हित 416 टैरिफ लाइनों के दायरे में आने वाले उत्पादों के निर्यात के लिए इस तरह के ऋण पर 3 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर की अनुमति दी गई है। इन उत्पाद का वास्ता मुख्यतः एमएसएमई/श्रम बहुल क्षेत्रों जैसे कि कृषि, वस्त्र, चमड़ा, हस्तशिल्प, मशीनरी इत्यादि से है।
इस प्रस्ताव से योजना की शेष अवधि में निर्यातकों को ब्याज समकरण पर लगभग 600 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
इस योजना में वाणिज्यिक निर्यातकों को शामिल करने से इन निर्यातकों के और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जाने की आशा है, जिससे वे एमएसएमई द्वारा उत्पादित किए जाने वाले और भी ज्यादा उत्पादों का निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे भारत से किए जाने वाले निर्यात में वृद्धि होगी। वाणिज्यिक निर्यातकों द्वारा किए जाने वाले अतिरिक्त निर्यात से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा किए जाने वाले उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार सृजन में बढ़ोतरी होगी। एमएसएमई के आमतौर पर रोजगार गहन क्षेत्रों में कार्यरत होने से ही यह संभव हो पाएगा।
वर्तमान योजना 01 अप्रैल, 2015 से ही 5 वर्षों के लिए अमल में लाई जा रही है। इस योजना में 4 अंकों वाली चिन्हित 416 टैरिफ लाइनों का निर्यात करने वाले समस्त विनिर्माता निर्यातकों के लिए ढुलाई पूर्व एवं ढुलाई उपरांत रुपया ऋणों पर 3 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर और एमएसएमई द्वारा उत्पादन एवं निर्यात किए जाने वाले सभी वाणिज्यिक उत्पादों पर 5 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर का प्रावधान किया गया है। वाणिज्यिक निर्यातकों को अब तक इस योजना के दायरे में नहीं लाया गया था।
निर्यातक समुदाय वर्तमान योजना में वाणिज्यिक निर्यातकों को भी शामिल किए जाने की मांग निरंतर करते आ रहे थे। वाणिज्यिक निर्यातक विदेशी बाजारों का पता लगाने, निर्यात ऑर्डर प्राप्त करने, अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजारों में उत्पादों की वर्तमान प्राथमिकताओं, रूझान एवं मांग के बारे में एमएसएमई निर्माताओं को आवश्यक जानकारी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वाणिज्यिक निर्यातक एमएसएमई निर्माताओं के निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि एमएसएमई निर्माता दरअसल वाणिज्यिक निर्यातकों के जरिए ही बड़ी मात्रा में उत्पादों का निर्यात करते हैं। ऋणों की ऊंची लागत अथवा महंगे ऋण का असर उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता पर भी पड़ता है, क्योंकि वे अपनी निर्यात लागत में ऊंची ब्याज लागत को भी शामिल करते हैं।

(सौ. पीआईबी) 
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant बुधवार, 2 जनवरी 2019
मंत्रिमंडल ने बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय को स्‍वीकृति दी
देश का पहला तीन बैंकों का विलय
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक तथा देना बैंक के विलय के लिए विलय योजना को अपनी मंजूरी दे दी है। बैंक ऑफ बड़ौदाहस्‍तांतरिती बैंक होगा और विजया बैंक तथा देना बैंक हस्‍तांतरणकर्ता बैंक होंगे।
भारत में पहली बार यह त्रिपक्षीय विलय होगा। विलय के बाद यह बैंक भारत का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होगा।
विलय से बैंक को मजबूत वैश्विक स्‍पर्धी बैंक बनने में मदद मिलेगी। आकार और आपसी समन्‍वय की दृष्टि से बैंक को एक-दूसरे के नेटवर्कों, कम लागत की जमा और तीनों बैंकों की सहायक संस्‍थाओं की शक्तियों का लाभ मिलेगा और इसका उपभोक्‍ता आधार, बाजार पहुंच, संचालन क्षमता, उत्‍पाद और सेवा आधार में बढ़ोतरी होगी।
विलय योजना के प्रमुख बिन्‍दु :-
ए.    विजया बैंक और देना बैंक हस्‍तांतरणकर्ता बैंक हैं और बैंक ऑफ बड़ौदा हस्‍तांतरिती बैंक है।
बी.    योजना 01.04.2019 से प्रभावी होगी।
सी.   योजना प्रारंभ होने पर हस्‍तांतरणकर्ता बैंकों के सभी व्‍यवसाय हस्‍तांतरिती बैंक को हस्‍तांतरित कर दिये जाएंगे और हस्‍तांतरिती बैंक के पास सभी व्‍यवसाय परिसम्‍पत्तियांअधिकारस्‍वामित्‍वदावेलाइसेंसस्‍वीकृतियांअन्‍य विशेषा‍धिकार और सभी सम्‍पत्तिसभी उधारीदेनदारियां और दायित्‍व होंगे।
डी.    हस्‍तांतरणकर्ता बैंक के सभी स्‍थायी और नियमित अधिकारी या कर्मचारी हस्‍तांतरिती बैंक में अधिकारी और कर्मचारी होंगे। हस्‍तांतरिती बैंक में उनकी सेवा में दिये जाने वाले वेतन और भत्‍ते हस्‍तांतरणकर्ता बैंकों के अपने-अपने वेतन और भत्‍ते से कम आकर्षक नहीं होंगे।
ई.    हस्‍तांतरिती बैंक का बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि हस्‍तांतरित होने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के हित सुरक्षित है।
एफ. हस्‍तांतरिती बैंक हस्‍तांतरणकर्ता बैंक के शेयर धारकों को शेयर अदला-बदली अनुपात के अनुसार शेयर जारी करेगा। हस्‍तांतरिती बैंक तथा हस्‍तांतरणकर्ता बैंकों के शेयर धारक शेयर अदला-बदली अनुपात के संबंध में यदि कोई शिकायत हैतो उसे विशेषज्ञ समिति के माध्‍यम से उठाने में सक्षम होंगे।
विलय के बाद बैंक की शक्तियां :-
  • विलय के बाद बैंक बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की ऋण जरूरतों को पूरा करनेआघात सहन करने और संसाधन बढ़ाने की क्षमता को पूरा करने में बेहतर तरीके से लैस होगा। बैंक का व्‍यवसाय आकार बढ़ेगा और व्‍यापकता, मुनाफा, व्‍यापक उत्‍पाद पेशकश, टेक्‍नोलॉजी अपनाने और श्रेष्‍ठ व्‍यवहारों की दृष्टि से सुधार होगा और व्‍यापक पहुंच के माध्‍यम से लागत क्षमता, सुधरा हुआ जोखिम प्रबंधन और वित्‍तीय समावेश होगा।
  • विलय से वैश्विक बैंकों की तुलना में बड़े आकार का बैंक बनेगाजो भारत और विश्‍व में क्षमता के साथ स्‍पर्धा में सक्षम होगा।
  • प्रत्‍येक बैंक की स्थिति –कम लागत सीएएसए जमा में देना बैंक की ऊंची पहुंचविजिया बैंक का मुनाफा और पूंजी उपलब्‍धता तथा बैंक ऑफ बड़ौदा की व्‍यापकता वैश्विक नेटवर्क और पेशकश से बाजार पहुंच, संचालन क्षमता और व्‍यापक उत्‍पाद और सेवा देने के संदर्भ में लाभ होगा। 
  • बैंकों के विलय के बाद प्रतिभा का व्‍यापक पूल प्राप्‍त होगा और बड़ा डाटाबेस मिलेगाजिसका लाभ तेजी से डिजिकृत हो रही बैंकिंग प्रणाली में स्‍पर्धी लाभ लेने के लिए उठाया जा सकता है। व्‍यापक पहुंच के कारण लाभ में प्रवाह आएगा। वितरण नेटवर्क बढ़ेगा और सहायक संस्‍थाओं के साथ उत्‍पाद और सेवाओं के लिए वितरण लागत में कमी आएगी।
  • जन साधारण की पहुंच मजबूत नेटवर्क के माध्‍यम से व्‍यापक बैंकिंग सेवाओं तक होगी और उन्‍हें विभिन्‍न प्रकार के उत्‍पाद सेवाएं मिलेगी तथा उनके लिए ऋण सहजता होगी।


(सौ. पीआईबी) 
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant