प्रधानमंत्री ने ‘भारत रत्‍न’ अटल बिहारी वाजपेयी के सम्‍मान में स्‍मारक सिक्‍का जारी किया
(सौ. पीटीआई भाषा)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 94वीं जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी स्मृति में 100 रुपये का सिक्का जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के लिये सत्ता जहां ऑक्सीजन के समान है, वहीं वाजपेयी अपने सार्वजनिक जीवन में लम्बे समय तक विपक्ष में बैठक कर राष्ट्रहित से जुड़े विषय उठाते रहे । 

इस समारोह में लंबे समय तक वाजपेयी के सहयोगी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उपस्थित थे।

समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ कुछ लोगों के लिये सत्ता ऑक्सीजन के समान है और वे उसके बिना जीवित नहीं रह सकते । वहीं दूसरी ओर वाजपेयी ने अपने सार्वजनिक जीवन का लम्बा समय विपक्ष में रहते हुए राष्ट्र हित से जुड़े विषयों को उठाने में लगाया । ’’ 

उन्होंने कहा कि सिद्धांतों और कार्यकर्ता के बल पर अटलजी ने इतना बड़ा राजनीतिक संगठन खड़ा कर दिया और काफी कम समय में देशभर में उसका विस्तार भी किया ।

उन्होंने कहा कि अटलजी के बोलने का मतलब देश का बोलना और सुनने का मतलब देश को सुनना था । अटलजी ने लोभ और स्वार्थ की बजाय देश और लोकतंत्र को सर्वोपरि रखा और उसे ही चुना । 

मोदी ने कहा कि अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया, लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।

उन्होंने कहा ‘‘मन अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि अटल जी अब हमारे साथ नहीं हैं। वह समाज के सभी वर्गों के प्रति प्रेम रखने वाले और सम्मानित व्यक्ति थे। एक वक्ता के रूप में, वह अद्वितीय थे। वह हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में से एक थे।’’ 

प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी का जीवन आने वाली पीढ़ियों को सार्वजनिक जीवन के लिए, व्यक्तिगत जीवन के लिए, राष्ट्र जीवन के लिए समर्पण भाव की खातिर हमेशा हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।



उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अगस्त में निधन हो गया था।

पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में सिक्का जारी करने के अवसर पर मोदी ने कहा कि वह वाजपेयी की विचारधारा और उनके दिखाए रास्ते पर चलने के वास्ते अपनी प्रतिबद्धता दोहराने के लिए मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक पर जाएंगे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्‍न’ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्‍मान में एक स्‍मारक सिक्‍का जारी किया। इस अवसर पर श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि हमारा मन यह मानने को तैयार नहीं है कि श्री वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि श्री वाजपेयी एक ऐसी महान हस्‍ती थे, जिन्‍हें समाज के सभी वर्गों के लोग प्‍यार और आदर करते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कई दशकों से श्री वाजपेयी की आवाज, जनता की आवाज बनी रही। एक वक्‍ता के रूप में वे बेजोड़ थे। श्री मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी अपने देश के अब तक के सर्वश्रेष्‍ठ वक्‍ताओं में शामिल हैं।     

      
श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी लंबे अर्से तक विपक्ष में रहे, किन्‍तु उन्‍होंने हमेशा राष्‍ट्रीय हित की बातें ही कहीं। श्री मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी लोकतन्‍त्र को शीर्ष स्‍थान पर देखते थे। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि श्री वाजपेयी हम सभी को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे।     
       
(सौ. पीआईबी)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant सोमवार, 24 दिसंबर 2018
PPF, FD, RD खाता खोलने के लिए अब पोस्ट ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है

PPF, FD, RD खाता खोलने के लिए अब पोस्ट ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है

Rajanish Kant
चुनावी सीजन की वजह से नौकरियां देने में सतर्कता बरतेंगे नियोक्ता, वेतनवृद्धि 8-10 प्रतिशत होगी
  • प्रौद्योगिकी में बदलाव से इस साल कई पारंपरिक नौकरियों की जगह नयी नौकरियों ने ले ली। वहीं वेतन में करीब आठ-दस प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई।

    दूसरी ओर अगर आने वाले साल की बात करें तो विशेषज्ञों एवं नियोक्ताओं को लगता है कि नये वर्ष में करीब 10 लाख नये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वेतनवृद्धि पिछले साल की तरह ही बनी रह सकती है। हालांकि, कुछ खास क्षेत्र के लोगों की वेतन में अधिक बढ़ोतरी भी हो सकती है।

    अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर संभावना जतायी है जा रही है कि राजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए नियोक्ता 2019 की पहली छमाही में सतर्क रुख अख्तियार कर सकते हैं।

    रोजगार सृजन हाल के समय में बहस का बड़ा अहम मुद्दा रहा है क्योंकि तेज व्यापक आर्थिक वृद्धि के बावजूद रोजगार सृजन की गति उम्मीद के अनुरूप नहीं रही है। दूसरी ओर एक आकलन के मुताबिक हर साल 1.2 करोड़ लोग रोजगार बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है कि देश में रोजगार सृजन को लेकर पर्याप्त और विश्वसनीय आंकड़ों के अभाव के कारण भी स्थिति ज्यादा बदतर हो गयी है।

    साल 2016 के नवंबर में नोटबंदी और एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किये जाने के बाद 2018 में भारतीय रोजगार बाजार फिर से पटरी पर लौटता नजर आया। 

    सोसायटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएचआरएम) के परामर्श विभाग के प्रमुख निशिथ उपाध्याय के मुताबिक, “यह विडंबना है कि आम चुनाव के दौरान रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है, इसके बावजूद संगठन 2019 में अपनी कारोबारी योजना को लागू करने को लेकर सतर्कता का रुख अपना सकते हैं। इससे कम-से-कम साल की पहली तिमाही में रोजगार सृजन प्रभावित होगा।” 

    मानव संसाधन सेवा प्रदान करने वाली रैंडस्टैड इंडिया के प्रमुख पॉल ड्यूपुइस ने कहा कि सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दो साल बाद नियुक्तियों में उत्साह का माहौल रहेगा। ऐसा नये युग के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुशल और प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता और ई-वाणिज्य क्षेत्र में बड़े निवेश के जरिये होगा।

    इस साल बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विनिर्माण, खुदरा और एफएमसीजी क्षेत्र में स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि बैंकिंग, वित्तीय सेवा और दूरसंचार क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति बदतर हुई है।

(सौ. पीटीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant रविवार, 23 दिसंबर 2018
वैश्विक रुख, रुपये के उतार-चढ़ाव से तय होगी बाजार की दिशा
अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप होने से जुड़े घटनाक्रमों, कच्चे तेल की कीमतों के रुख और रुपये के उतार-चढ़ाव से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।

विशेषज्ञों ने कहा कि दिसंबर श्रृंखला के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सीमा पर दीवार बनाने के लिए पैसा मांगे जाने पर शनिवार को अमेरिका सरकार का कामकाज आंशिक रूप ठप हो गया। 

इस बीच, खबरों में कहा गया है कि ट्रंप ने निजी रूप से अधिकारियों के साथ फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल को हटाने पर विचार किया है। पॉवेल द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से ट्रंप नाराज हैं। यदि पॉवेल को पद से हटाया जाता है तो इससे वैश्विक बाजारों में ‘बेचैनी’ बढ़ेगी और निवेशकों की धारणा प्रभावित होगी। 

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कुछ वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती और वृहद आर्थिक बुनियाद में सुधार से भारतीय शेयर बाजारों में तेजी रह सकती है। 

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन बढ़ने से घरेलू वृहद परिदृश्य सुधरा है। इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटने से रिजर्व बैंक को अपने रुख को धीरे-धीरे सख्ती से तटस्थ करने की गुंजाइश मिली है, इससे बाजार का रुख सकारात्मक हुआ है।’’ 

आम लोगों को क्रिसमस का तोहफा देते हुए जीएसटी परिषद ने शनिवार को 23 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर में कटौती की है। इसमें सिनेमा का टिकट, टीवी, पावर बैंक आदि शामिल हैं। अब सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के कर स्लैब में 28 वस्तुएं ही बची हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले इसी सप्ताह संकेत दिया था कि 28 प्रतिशत जीएसटी सिर्फ कुछ वस्तुओं पर रहेगी।

वैश्विक स्तर पर भागीदारों की निगाह अमेरिका चीन व्यापार संबंधों पर लगी हैं। 

बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 220.86 अंक के लाभ से 35,742.07 अंक पर बंद हुआ। 



(सौ. पीटीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant
नये साल की पहली छमाही में भी पूंजी जुटाने की गतिविधियों में सुस्ती मुमकिन: जानकार
भारतीय कंपनियों ने शेयर और ऋण बाजार से 2018 में 6 लाख करोड़ रुपये के करीब जुटाये हैं लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से इसमें करीब 30 प्रतिशत की कमी हुई है। साथ ही 2019 से आम चुनावों से पहले राजनीतिक अनिश्चिचतता के चलते नये साल की पहली छमाही में भी पूंजी जुटाने की गतिविधियों में सुस्ती की आशंका है। 

हालांकि, विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि 2019 की दूसरी छमाही में निवेश माहौल सुधरने के साथ ही पूंजी जुटाने की गतिविधियों में तेजी आयेगी।

आंकड़ों से पता चला है कि उद्योग जगत के लिये बॉन्ड बाजार अभी भी पूंजी जुटाने के लिये सबसे पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। 

प्राइम डाटाबेस द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, पूंजी बाजार से इस साल अब तक कुल 5.9 लाख करोड़ रुपये जुटाये गये हैं। जिसमें बड़ा हिस्सा ऋण बाजार (5.1 लाख करोड़ रुपये) का है। शेष बचे 78,500 करोड़ रुपये शेयर बाजार से जुटाये गये हैं। 

साल 2017 में कंपनियों ने कुल 8.6 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे। जिसमें ऋण बाजार की हिस्सेदारी करीब 7 लाख करोड़ और शेयर बाजार की हिस्सेदारी 1.6 लाख करोड़ रुपये थी।

शेयर बाजार में, ज्यादातर पूंजी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी करके जुटाये गई हैं। 

विशेषज्ञों ने कहा कि इस साल के अंत तक पूंजी और ऋण बाजार से जुटाये गयी राशि 6 लाख करोड़ रुपये के करीब रहने की उम्मीद है। 

मुख्य रूप से व्यापार विस्तार की योजनाओं, ऋण चुकाने और कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिये धन जुटाया गया है, जबकि आईपीओ से जुटाई गई बड़ी राशि प्रर्वतकों, निजी इक्विटी फर्मों और अन्य मौजूदा शेयरधारकों के हिस्से में गयी।

सेंट्रम कैपिटल के प्रबंध निदेशक (निवेश बैंकिंग) राजेंद्र नाइक ने कहा, "वैश्विक एवं घरेलू कारकों के चलते 2018 का आखिरी महीने शेयर बाजारों के लिये चुनौतीपूर्ण रहे।" 

वैश्विक स्तर पर, इस साल अगस्त-अक्टूबर के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में करीब 20 प्रतिशत की तेजी देखी गयी। इस दौरान बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि हुयी। 

नाइक ने कहा, "घरेलू मोर्च पर पेट्रोल और डीजल के दाम सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गये और ब्याज दर भी बढ़ी। इसके अलावा आईएलएंडएफएस द्वारा चूक और एनबीएफसी के सामने नकदी की समस्या का भी शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। 

उन्होंने कहा कि दिसंबर में हुये पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के चलते भी निवेशकों ने बाजार से दूरी बनाई।



(सौ. पीटीआई)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


Plz Follow Me on: 

Rajanish Kant