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संसद का मॉनसून सत्र आज से, 48 महत्वपूर्ण विधेयकों पर होगी चर्चा
संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो रहा है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा और लोकसभा के सदस्‍यों को संबोधित करते हुए उनसे राष्‍ट्रहित में रचनात्‍मक सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार उनके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को पूरा महत्‍व देती है ऐसे में उन्‍हें विश्‍वास है कि सभी राजनीतिक दल संसद सत्र के सुचारू संचालन में पूरा सहयोग करेंगे और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा करेंगे।
संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि संसद का मॉनसून सत्र 2018 बुधवार 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है और शुक्रवार 10 अगस्त, 2018 को समाप्त होगा। इस दौरान संसद की कुल 18 बैठकें होंगी। 24 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में 48 महत्वपूर्ण विधेयक लिए जाएंगे और उन पर चर्चा होगी। इनमें से 6 विधेयक ऐसे होंगे, जो अध्यादेश का स्थान लेंगे। ये विधेयक जिन अध्यादेश का स्थान लेंगे, उनमें भगौड़ा आर्थिक अपराध अध्यादेश 2018, आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018, उच्च न्यायालयों की कमर्शियल अदालतेंकमर्शियल डिविजन्स औरकमर्शियल अपीलीय डिविजन्स (संशोधन) अध्यादेश, 2018, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश2018, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018, इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश,2018 शामिल हैं।
इसके अलावा मॉनसून सत्र में दोनों सदनों में लंबित पड़े कुछ और महत्वपूर्ण विधेयकों पर भी चर्चा होगी और उन्हें पारित किया जाएगा। इनमें उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय आर्बिट्रेशन केन्द्र विधेयक 2018, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण विधेयक, 2016, संविधान का 123वां संशोधन विधेयक 2017, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2017 और भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक 2013 शामिल हैं।
सत्र के दौरान कुछ नये विधेयक भी पेश किए जाएंगे। मॉनसून सत्र के दौरान लाए जाने वाले विधेयकों की सूची के लिए यहां क्लिक करें।
http://pib.nic.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1538835
स्रोत-पीआईबी

Rajanish Kant बुधवार, 18 जुलाई 2018
भारतीय संसद ने तो इस बार इतिहास रच दिया, पहली बार 31 मार्च तक सभी वित्तीय कामकाज पूरा हुआ
संसद का बजट सत्र समाप्त

सत्र अनेक दृष्टि से ऐतिहासिक : अनंत कुमार
भारत के विधायी इतिहास में पहली बार संसद ने 31 मार्च तक सभी वित्तीय कामकाज पूरा किया

सर्वसम्मति से वस्तु और सेवा कर के सहायक अधिनियमों को पारित करना बड़ी उपलब्धि : श्री मुख्तार अब्बास नकवी

कामकाज में बाधा की भरपाई के लिए संसद के दोनों सदनों की बैठक समय से अधिक हुई

लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत काम हुआ, सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा 18 विधेयक पारित


संसदीय कार्य और रसायन तथा उर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संसद का बजट सत्र 2017 अनेक दृष्टि से एतिहासिक रहा। श्री अनंत कुमार ने बताया कि संसद का बजट सत्र मंगलवार 31 जनवरी, 2017 को आरंभ हुआ था। इसे आज 12 अप्रैल, 2017 को अनिश्चिक काल के लिए स्थगित किया गया।
श्री अनंत कुमार ने बजट सत्र 2017 को तीन प्रमुख दृष्टि से एतिहासिक उपलब्धि वाला बताया :
·         केंद्रीय बजट का पहले प्रस्तुतीकरण और 31 मार्च तक नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय कामकाज पूरे किए गए।
·         वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के सभी सहायक अधिनियमों को पारित करना।
·         एकीकृत बजट प्रस्तुत और पारित करना।
श्री अनंत कुमार ने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली के विजनरी नेतृत्व और संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों की भागीदारी से संभव हो सका है। सार्वजनिक महत्व के विभिन्न विषयों पर सार्थक बहस हुई।
श्री अनंत कुमार ने बताया कि भारत के विधायी इतिहास में पहली बार 31 मार्च तक अगला वित्त वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय काम-काज पूरे कर लिये गए। यह काम अल्प अवधि में नहीं किया गया बल्कि सामान्य चर्चा की गई। स्थायी समितियों ने विचार किया और कुछ मंत्रालयों पर चर्चा भी हुई। अतीत में वित्तीय कामकाज 31 मार्च के पहले पूरे किये जाते थे और उन वर्षों में या तो चुनाव होना होता था और अंतरिम बजट पेश किया जाता था या संसदीय समितियां अन्य मामलों की जांच करती थीं। यह एक बहुत बड़ा वित्तीय सुधार है और इससे विकास परियोजनाओं को चालू करने के लिए मंत्रालयों को पूरा धन उपलब्ध हुआ है। यह पहला मौका है जब बजट सत्र के दौरान लेखानुदान पारित किया गया।
इस अवसर पर कृषि तथा परिवार कल्याण और संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री एस एस आलहुवालिया ने विस्तार से बजट पहले प्रस्तुत करने के लाभ, आम और रेलवे बजट को मिलाने के लाभ और सामाजिक विकास कार्यों को चलाने के लिए वित्तीय संसाधनों की सुगमता के बारे में बताया।
अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बार नकवी ने बताया कि सरकार ने संपर्क, संवाद, समन्वय की नीति का अनुसरण किया और सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक महत्व के सभी विषयों पर दोनों सदनों में व्यापक चर्चा हो और सभी सदस्यों को अपने विचार रखने का मौका मिले। उन्होंने बताया कि तीन महत्वपूर्ण विधेयक पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान (संशोधन) विधेयक 2017, मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2017, फैक्ट्री (संशोधन) विधेयक 2016 दोनों सदनों द्वारा पारित नहीं हो सके। श्री नकवी ने बताया कि इन विधेयकों पर असहमति गुण के आधार पर नहीं थी। फिर भी सरकार ने प्रवर समिति को भेजने की राज्य सभा की सर्वसम्मति का आदर किया। श्री नकवी ने बताया कि इन सामाजिक महत्व के विधेयकों को पारित होने में विलंब से साधारण जन को लाभ प्राप्त करने में कुछ और समय लगेगा।
बजट सत्र 2017 के दौरान संपन्न विधायी कार्यों के बारे में बताया गया की बजट सत्र के पहलेभाग में लोक सभा के 7 और राज्य सभा की 8 बैठकें हुई। सत्र के दूसरे हिस्से में लोकसभा की 22 और राज्यसभा की 21 बैठकें हुईं। पूरे सत्र के दौरान लोक सभा और राज्य सभा की 29-29 बैठकें हुई। लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत कार्य हुए। बाधा के कारण लोकसभा में 8 घंटे और राज्य सभा में 18 घंटे का नुकसान हुआ और इसकी भरपाई लोकसभा की 19 घंटे की बैठक और राज्य सभा की 7 घंटों की अधिक बैठक से की गई।
वर्ष का पहला सत्र होने के कारण राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, 2017 को संविधान के अनुच्छेद 87 (1) के अनुसार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया और संसद सत्र आहुत करने के बारे में बताया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया और इस चर्चा हुई। सत्र के पहले हिस्से में धन्यवाद प्रस्ताव दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। 9 फरवरी, 2017 को दोनों सदनों की बैठक छुट्टी के लिए 27 दिनों के लिए स्थगित की गई। और दोनों सदनो की बैठक फिर सोमवार 9 मार्च, 2017 को हुई ताकि विभिन्न मंत्रालयों / विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर संबंधित स्थायी समितियां विचार कर सकें।
सत्र के पहले भाग में 1 फरवरी, 2017 को केंद्रीय बजट 2017-18 प्रस्तुत किया गया। इस बार आम बजट में रेल बजट को मिलाकर बजट प्रस्तुत हुआ। दोनों सदनों में बजट पर सामान्य चर्चा हुई।
संसद सत्र के दूसरे भाग में संबंधित स्थायी समितियों की जांच और प्रस्तुतीकरण के बाद रेलवे, गृह, रक्षा तथा कृषि मंत्रालयों से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा हुई और इन्हें बारी-बारी के लोकसभामें पारित किया गया। शेष मंत्रालयों/विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा नहीं हो पायी थी और उन्हें पारित करने के लिए सदन में रखा गया और मांगें 20 मार्च, 2017 को पास की गईं। संबंधित विनियोग विधेयक भी प्रस्तुत किया गया। इस पर विचार हुआ और पारित किया गया और बाद में इसे राज्यसभा ने वापस कर किया।  
अनुपूरक अनुदान मांगों से संबंधित विनियोग विधेयक भी उसी दिन पेश किया गया, उस पर विचार किया गया और फिर पारित किया गया तथा इसके बाद राज्‍य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। वित्‍त विधेयक, 2017 लोकसभा में 22 मार्च, 2017 को पारित हुआ और राज्‍य सभा ने 29 मार्च, 2017 को सिफारिशों के साथ इसे वापस कर दिया। लोकसभा ने 30 मार्च, 2017 को विधेयक में राज्‍य सभा द्वारा की गई सिफारिशों को खारिज कर दिया। राष्‍ट्रपति ने 31 मार्च, 2017 को वित्‍त विधेयक को अपनी स्‍वीकृति दे दी।
वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों और रेलवे से संबंधित वर्ष 2013-14 के लिए अतिरिक्‍त अनुदान मांगों पर भी लोकसभा में संबंधित विनियोग विधेयकों के साथ मतदान हुआ, जिन्‍हें बाद में राज्‍य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। इस अवधि के दौरान केन्‍द्रीय बजट पर आम परिचर्चा पूरी हुई और इसके साथ ही राज्‍य सभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चाएं हुईं।
इस सत्र के दौरान अन्‍य बातों के अलावा एक खास बात यह रहीं कि चार ऐतिहासिक विधेयकोंयथा, केन्‍द्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, वस्‍तु एवं सेवा कर (राज्‍यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक 2017 और केन्‍द्र शासित प्रदेश वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 को दोनों ही सदनों ने पारित कर दिया, जिससे देश भर में 01 जुलाई, 2017 से वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने का मार्ग प्रशस्‍त हो गया।
इस सत्र के दौरान कुल मिलाकर 24 विधेयक (लोकसभा में 24) पेश किये गये। लोकसभा में 23 विधेयक पारित हुए और राज्‍य सभा में 14‍ विधेयक पारित हुए। सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में कुल मिलाकर 18 विधेयक पारित हुए। लोकसभा में पेश किये गये विधेयकों, लोकसभा द्वारा पारित किये गये विधेयकों, राज्‍य सभा द्वारा पारित किये गये विधेयकों, संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किये गये विधेयकों और वापस लिये गये विधेयक की सूची अनुलग्‍नक में दी गई है।
सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कुछ महत्‍वपूर्ण विधेयकों जैसे कि पारिश्रमिक का भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017, मातृत्‍व लाभ (संशोधन) विधेयक 2017, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल विधेयक 2017 और कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) विधेयक 2017 को भी इस सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया। शत्रु सम्‍पत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक 2017 को भी संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया।
लोकसभा में नियम 193 के तहत सतत विकास के लक्ष्‍यों पर अल्‍पकालिक चर्चा हुई, जो अपूर्ण रही। राज्‍य सभा में नियम 176 के तहत इन दो विषयों पर अल्‍पकालिक चर्चा हुई :  1. चुनाव सुधार  2. आधार – इसका क्रियान्‍वयन एवं इसके निहितार्थ। राज्‍य सभा में एक ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍तावभी लाया गया, जो विशेष श्रेणी के दर्जे की अवधारणा जारी रखने की जरूरत पर विचार-विमर्श के लिए राष्‍ट्रीय विकास परिषद की बैठक आयोजित करने की आवश्‍यकता से संबंधित था।
(स्रोत- पीआईबी.एनआईसी.इन)

Rajanish Kant बुधवार, 12 अप्रैल 2017
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट 1 फरवरी को पेश होगा, बजट सत्र 31 जनवरी से
आम बजट पेश करने की तारीख को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है। आम तौर पर हर साल फरवरी के आखिरी हफ्ते में शुरू होने वाला बजट सत्र वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 31 जनवरी से शुरू होगा और एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा।

बजट सत्र का पहला सेशन 31 जनवरी से 9 फरवरी तक होगा। 31 जनवरी को राष्ट्रपति संसद के दोनों सत्रों को संबोधित करेंगे. वहीं आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश किया जाएगा।  बजट सत्र को पहले बुलाया जा रहा है क्योंकि सरकार चाहती है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए धन का आवंटन एक अप्रैल से हो जाए, क्योंकि इसी समय से वित्त वर्ष की शुरूआत होती है।

पहली बार आम बजट के साथ पेश होगा रेल बजट:
करीब 92 साल बाद यह पहला मौका होगा जब रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट रेल बजट का आम बजट में विलय की मंजूरी दे चुका है। हालांकि सरकार ने यह भी कहा है कि रेलवे की स्वायतता पहले की तरह बरकरार रहेगी। अब रेलवे के आय-व्यय का ब्योरा आम बजट 2017-18 का ही हिस्सा होगा। साथ ही फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश करने की दशकों पुरानी परिपाटी भी बदल जाएगी। आपको बात दें कि सरकार ने रेल बजट के विलय का फैसला नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर किया था।
((Budget Basics:Part-1:Meaning Of Budget
बजट बेसिक्स:भाग-1: बजट के मायने 
((Budget Basics:Part-2:Making Of Budget
बजट बेसिक्स:भाग-2: कैसे बनता है बजट 
((बजट बेसिक्स: भाग-3: बजट पुराण
((बजट बेसिक्स: भाग-4: बजट से जुड़े शब्द
((Budget Basics:Part-5:Budget Documents
बजट बेसिक्स: भाग-5: बजट दस्तावेज 

Rajanish Kant मंगलवार, 3 जनवरी 2017