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आपके बच्चों को पैसे की समझ स्कूल में नहीं दी जाती है, इसलिए आप ही दीजिए...जानें कैसे
फोटो झारखंड की CDPO कंचन सिंह की फेसबुक वॉल से 
इसमें कोई शक नहीं है कि आप अपने बच्चों को बेहतर पढ़ाई लिखाई के लिए बढ़िया से बढ़िया स्कूल में भेजते हैं, ट्यूशन में भेजते हैं और समय मिल जाए तो ड्राइंग क्लासेस, स्केटिंग क्लासेस, कम्प्यूटर क्लासेस, डांस क्लासेस, स्विमिंग क्लासेस, कराटे क्लासेस बगैरह में भी ले जाते हैं। ये सब तो ठीक है, लेकिन क्या आपने कभी अपने लाड़ले-लाड़ली को पैसे की समझ देने के बारे में कभी  सोचा है? ज्यादातर लोगों का जवाब मेरे हिसाब से 'नहीं' में होगा, क्यों? 

ठीक है, जब हम भी बचपना का लुत्फ उठा रहे थे तो पैसे की अहमियत नहीं मालूम नहीं था। हमें भी हमारे माता-पिता ने बताया था कि मन लगाकर पढ़ो, मेहनत से पढो और अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी कर लो फिर जिंदगी सेट। हमने भी वही किया। पैसे के बारे में नहीं बल्कि ये सब काम हम अच्छी नौकरी के लिए कर रहे थे। लेकिन जब हम बड़े हो गए हैं, हमारे भी बच्चे हो गए हैं तो हमें तो  कम से कम अपने बच्चों को पैसों की अहमियत बताना शुरू कर देना चाहिए।  

तो, क्यों ना ड्राइंग क्लासेस, स्केटिंग क्लासेस, कम्प्यूटर क्लासेस, डांस क्लासेस, स्विमिंग क्लासेस, कराटे क्लासेस की तरह उनके व्यावहारिक तौर पैसों की समझ दी जाए। यह काम बहुत कठिन नहीं है, बल्कि आसान है। अपने बच्चों को तो आप सामान लाने के लिए बोलते ही होंगे, उनको पॉकट खर्च के लिए भी कुछ पैसे देते होंगे, कभी-कभी बिल बगैरह भरने की भी जिम्मेदारी आप उनको सौंप देते होंगे और अब तो डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, और हमारे बच्चे शायद इन कामों में हमसे ज्यादा बेहतर समझ रखते हैं,  तो फिर उनको पैसों के बारे में जानकारी देने में तो कोई समस्या है ही नहीं। तो, सवाल है इसके लिए क्या किया जाए.....बस आपको इसके लिए तीन काम करने की जरूरत है...

1)अपने बच्चों को वित्तीय जिम्मेदारी (Financial Responsibilities)दीजिए
2)बच्चों के सामने पैसों से जुड़े कामों के संदर्भ में सही उदाहरण पेश करें
3)अगर आपके बच्चों को पहली तनख्वाह मिले, तो उसका सही प्रबंधन करने में उसकी मदद करें
फोटो झारखंड की CDPO कंचन सिंह की फेसबुक वॉल से 

1)अपने बच्चों को वित्तीय जिम्मेदारी (Financial Responsibilities)दीजिए
-यह जरूरी है कि बच्चे भी पैसे की कीमत समझें। उन्हें बताना होगा साधन सीमित हैं। 
-अगर उन्हें आप अपना बजट बनाने की आजादी देते हैं तो वो कई बहुमूल्य सबक सीखेंगे, जैसे-खर्च उतना 
ही करना चाहिए, जितना आपके पैसे हों, उससे ज्यादा नहीं है और गैर-योजनागत खर्च को नजरअंदाज करना। 
-हममें से बहुत सारे लोग पॉकेट मनी या जेब खर्च के रूप में पहली वित्तीय जिम्मेदारी का स्वाद चखते हैं। तो आप जेब खर्च के प्रबंधन के बारे में जानकारी देकर या फिर बच्चों को ही जेब खर्च के प्रबंधन की आजादी देकर 
उनको वित्तीय रूप से जागरूक बना सकते हैं। 

अपने बच्चों में पैसे की समझ विकसित करने का एक और तरीके है कि उनको कुछ पैसे और खास काम  करने की पूरी जिम्मेदारी दे दीजिए।  मसलन, आप अपने बेटे या अपनी बेटी को कुछ पैसे दे दीजिए और  उनसे कह दीजिए कि महीने भर के लंच का इंतजाम इसी पैसे से करना है, अतिरिक्त पैसे नहीं दिये जाएंगे। अगर वो फिजुलखर्ची करते हैं तो उन्हें पहले ही बता दिया जाए कि उनको और पैसे नहीं दिये जाएंगे।  हो सकता है वो इसके लिए कर्ज लें। तो इससे कर्ज प्रबंधन सीखने में भी उनको मदद मिलेगी।  

2)बच्चों के सामने पैसों से जुड़े कामों के संदर्भ में सही उदाहरण पेश करें
-कहा जाता है कि मां-बाप बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं और घर पहला पाठशाला होता है।   तो, बच्चों में पैसे की समझ का विकास भी मां-बाप से ही शुरू हो जाता है। तो पैसों को लेकर आप जिस तरह का व्यवहार करते हैं, उसका असर आपके बच्चों पर भी होता है। अगर आप फिजुलखर्ची करते हैं तो उसका थोड़ा-बहुत असर आपके बच्चों पर हो सकता है और वो भी फिजुलखर्ची को पसंद  करने लग जाते हैं। लेकिन, अगर आप संभल-संभल कर पैसा खर्च करें तो अपने बच्चों में भी ये गुण  समाहित हो सकता है। इसलिए आप जब भी कोई वित्तीय फैसला लेते हैं तो संभल-संभलकर लें। 
-पैसे को लेकर आप जो बजट बनाते हैं उसमें अपने बच्चों को भी भागीदार बनाएं। बाजार में कोई  सामान खरीदने जाते हैं, तो साथ में बच्चे को भी ले जाएं। इसके अलावा, कभी-कभी सामान की पूरी  लिस्ट और उसके हिसाब से जरूरी पैसे अपने बच्चों को देकर सामान लाने के लिए भी कह सकते हैं।  अगर पैसे इस दौरान कोई वित्तीय गलती करते हैं तो उन्हें डांटने-फटकारने के बजाय सही-गलत के  बारे में बताएं। अपने बच्चों के साथ पैसे से संबंधित मुद्दों को खुलकर साझा करें। 
-अपने बच्चों में शुरू से ही बचत की आदत डालें। सामान का मोलभाल करना सिखाएं। बचत की आदत डालने के लिए एक उपाय तो ये है कि उनको बहुत जरूरी-जरूरी-कम जरूरी और बेकार की चीजों  के बारे में बढ़िया से समझाएं ताकि आपका बच्चा फिजुलखर्ची ना करे। 

3)अगर आपके बच्चों को पहली तनख्वाह मिले, तो उसका सही प्रबंधन करने में उसकी मदद करें
लीजिये, ये सब सिखाते-सिखाते आपका बच्चा ना जाने कब बड़ा हो गया और अब उसको नौकरी भी  मिल गई। तो जब आपके बच्चे को पहली तनख्वाह मिले, तो उसे बजट बनाने में मदद करें। किसी भी  युवा के लिए पहली नौकरी मिलना उनकी वित्तीय आजादी की तरफ पहला कदम होता है। 

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अपने बच्चे को उनके बर्थडे गिफ्ट के जरिये पैसों के बारे में जागरूक बनाएं
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Rajanish Kant मंगलवार, 4 अप्रैल 2017
फौजी अपने बच्चों को फाइनेंशियली फिट कैसे रखें, A,B,C सिखाने जैसा आसान है
फौजी के बारे में आपके जेहन में कौन सी बातें आती है...उनकी मेंटल और फिजीकल फिटनेस, उनका अनुशासन, उनकी समयनिष्ठा (Punctuality),अपने काम के प्रति उनका समर्पण, देश की रक्षा तो खैर उनकी प्राथमिकता सूची में पहले पायदान पर रहती है। सवाल है कि देश के लिए इतना सब कुछ देने वाला फौजी क्या अपने बच्चों को पैसों के प्रबंधन यानी मनी मैनेजमेंट के बारे में कुछ सबक सिखा सकता है ताकि उनके बच्चे का फाइनेंशियल सफर सुहाना बन सके, उनका जीवन आसान बन सके। तो, इसका जवाब है, हां...। उनके लिए अपने बच्चों को पैसों के बारे में सबक सिखाना ए,बी, सी सिखाने जैसा ही आसान है। फौजी माता-पिता यह काम कुछ बुनियादी दिशानिर्देशों से शुरू कर सकते हैं। 

अक्सर फौजियों का तबादला एक शहर से दूसरे शहर में होता रहता है। एक शहर से दूसरे शहर में जाकर खुद और अपने परिवार की जिंदगी को व्यवस्थित करने के दौरान पैसों के संबंध में कई अहम फैसले लेने पड़ते हैं। शहर बदलते ही आपको अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करनी पड़ती है। सीमित पैसों में घर के लिए जरूरी सामान फिर से खरीदना पड़ता है, बच्चों को दूसरे स्कूल में एडमिशन कराने बगैरह का खर्च अलग। जाहिर है 
आप एक बेहतर मनी मैनेजमेंट स्किल के जरिये ही ये सारा काम कर पाते हैं। तो इससे मिले सबक को आप अपने बच्चों के साझा कर उनको फाइनेंशियल फिट रख सकते हैं। इसे आप बच्चों को मनी मैनेजमेंट सिखाने के मौके के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।  

> फौजियों के साथ-साथ उनके बच्चों में भी जबर्दस्त अनुकूलन क्षमता (Adaptility) होती है। इसका मतलब हुआ कि वे जिस शहर में जाते हैं खुद को उसके अनुरूप ढालने में उन्हें देर नहीं लगती। परिवार के मुखिया होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है कि शहर के बदलने पर आप अपने बच्चों से बात करें। उन्हें यह बताएं कि कैसे पहले वाले शहर में होने वाले खर्च के आधार पर ही नए शहर में अपनी जरूरतें पूरी  की जा सकती है। यानी शहर बदलने पर भी जीवन की लागत (Living Of Cost) नहीं बदलें, इसके बारे में अपने बच्चों को बताएं।  हो सके तो अपने बच्चों से भी इस बारे में सुझाव लें और मनी मैनेजमेंट पर उनके साथ विचार-विमर्श करें, उनका आइडिया लें। शायद बच्चों का सुझाव भी आपके काम आ जाए। इससे खर्च के प्रबंधन के बारे में आप एक-दूसरे के विचारों से अवगत हो सकते हैं। आप किसी काम के लिए  कैसे प्लान करते हैं, खर्च में कैसे कटौती करते हैं या फिर कम खर्चों में ही कोई जरूरी काम कैसे निपटा लेते हैं, ये सब आप अपने बच्चों के साथ साझा करेंगे, तो इसका फायदा आपके बच्चे भी उठा सकते हैं। घर का बजट कैसे बनाते हैं, खर्च की प्राथमिकता तय करने के तरीकों के अलावा बचत और निवेश के बारे में भी अपने बच्चों के साथ कीमती विचार साझा कर उनकी भावी जिंदगी को आसान बनाने का काम कर सकते हैं। 

> अब पूछेंगे कि किस उम्र से अपने बच्चों को पैसों के प्रबंधन के संबंध में जानकारी दी जानी चाहिए। तो इसका जवाब भी कठिन नहीं है। तीन मुख्य चरणों में आप अपने बच्चों को लगातार धन प्रबंधन की आदतों को विकसित करने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। पहला चरण है पूर्व-प्राथमिक विद्यालय (आयु 3 से 5); दूसरा चरण है प्राथमिक से मिडिल स्कूल (उम्र 6 से 12); और तीसरा चरण है हाई स्कूल और युवा वयस्कता (13 और उससे अधिक की उम्र)। 

चूंकि आपका बच्चा लगातार आपके आपके खर्च, आपकी कमाई, आपके बचत और निवेश करने की आदत, आपकी उधार लेने या देने के अलावा दान से जुड़ी आपकी गतिविधियों को देखता है। ऐसे में उन्हें भी इन कामों के बारे में सोचने का मौका दें। इनमें से कुछ काम अपने बच्चों को रोजाना देकर उन्हें मनी मैनेजमेंट का अभ्यास करा सकते हैं। 

>आपके बच्चे की उम्र भले ही कम हो, लेकिन वह डिजिटल जमाने का इंसान है और तकनीक का लाभ उठाने में शायद वो आपसे कहीं आगे हो सकता है। बाजार में बच्चों को मनी मैनेजमेंट सिखाने वाले कई मोबाइल ऐप्स, वीडियो गेम मौजूद हैं। आप ऐप्स और वीडियो गेम के जरिये भी अपने बच्चों को मनी मैनेजमेंट का गुर सीखा सकते हैं। इसके साथ ही किड्स मनी मैनेजमेंट पर कई वेबसाइट्स भी  इस मामले में आपकी मदद कर सकती हैं।

>अगर विदेशों में आपकी तैनाती होती है, जहां की करेंसी आपके देश की करेंसी से अलग है। तो, आपके बच्चों को पैसों की ताकत समझाने में और आसानी होगी। ऐसा इसलिए कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हर करेंसी की कीमत एक नहीं होती है। हर देश की करेंसी की कीमत अलग-अलग होती है, जिसे अक्सर अमेरिकी डॉलर के तुलनात्मक मूल्य में देखा जाता है। किसी सामान की तरफ इशारा कर आप अपने बच्चों को बता सकते हैं कि जापानी करेंसी येन या फिर यूरो, या फिर पाउंड या फिर चीन की युआन या फिर अमेरिकी डॉलर में उसकी क्या कीमत है। 

तो, देखा ना....अगर आप फौजी हैं तो अपने बच्चों को फाइनेंशियल फिट रखना आपके लिए कैसे बाएं हाथ का खेल है....।  फिर देर किस बात की। 

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(("दौलतमंद बनने की चाहत है, तो फाइनेंस, इतिहास, केमिस्ट्री, बायोलॉजी को भूल जाएं!"
((चाइल्ड के लिए अभी से करें प्लान, तभी बनी रहेगी उसकी मुस्कान
((बच्चों से है प्यार, तो उनके लिए रखें फाइनेंशियल प्लान तैयार
(('Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार  
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(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
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Rajanish Kant सोमवार, 13 मार्च 2017
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में महंगाई विलेन बने, तो क्या करें
म्युचुअल फंड में पैसे लगाएं, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तनाव से बचें   


हर महीने खुदरा और थोक महंगाई दर के आंकड़े जारी होते हैं लेकिन उसमें में ना तो पढ़ाई-लिखाई और ना ही शादी-विवाह की महंगाई दर शामिल रहती है। अगर पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की महंगाई दर की बात करें तो जानकारों के मुताबिक, ये आमतौर पर हर महीने  जारी होने वाली खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुकाबले 2-4% अधिक रहती है। जाहिर है, ऐसे में हर मां-बाप को अपने बच्चों के बेहतर कैरियर के लिए रोजमर्रा की चीजों के मुकाबले अधिक से अधिक पैसों की जरूरत पड़ेगी। हर मां-बाप का ख्वाब होता है कि उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी ना रहे। साथ ही वो ये भी चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। ऐसे में महंगाई अगर विलेन बन जाए, तो क्या करना चाहिए। 

ऐसा माना जाता है कि भारत में शिक्षा की महंगाई दर सालाना 8-10% की दर से बढ़ रही है, जबकि शादी-विवाह की महंगाई दर सालाना 10-12% की दर से। 

महंगाई की मार से तो कोई बच नहीं सकता है, लेकिन अपनी बचत का सही जगह निवेश करके उसके असर को जरूर कम कर सकता है। इसके लिए ऐसे निवेश साधन में पैसे लगाने होंगे जो रियल रिटर्न (% रिटर्न-% खुदरा महंगाई दर) देने में महंगाई दर को मात दे। जानकारों की मानें तो लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश इसके लिए बेहतर और फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। खासकर, जब आप कोई अच्छा सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) चुनते हैं। 

>बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह के खर्चों से निपटने के लिए क्या तैयारी करें 
-सबसे पहले ऑनलाइन कंपाउड इंटरेस्ट कैलकुलेटर से अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की संभावित लागत का पता लगायें। आप पता कर सकते हैं कि कितने साल के बाद, पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की अनुमानित महंगाई दर के हिसाब से आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ सकती है। इससे आपको उस समय की लागत का एक अनुमान मिल जाएगा। इसको आधार बनाकर आप हर महीने एसआईपी में थोड़ी-थोड़ी रकम डाल सकते हैं। इससे आप पर एक ही बार में जो बोझ आने की आशंका रहेगी, वो नहीं रहेगी। कहने का मतलब है कि आपके खर्च का बोझ कई महीनों में बंट जाएगा। तो, आपके लिए पैसे जुटाना आसान हो जाएगा। 

-किसी अच्छे फंड हाउस की  पिछले कुछ सालों से बेहतर प्रदर्शन करने वाली दो इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम चुनें 

-अपने परिवार के सदस्यों से पूछकर अनुमान लगाएं कि आपका बच्चा कितने साल बाद उच्चतर शिक्षा के योग्य हो पाएगा और कितने साल बाद उसकी शादी होगी

-आपने जो भी स्कीम चुना है, उससे संबंधित आवेदन फॉर्म ठीक से भर कर फंड हाउस में जमा कर दीजिए

-इसके बाद ECS Mandatory फॉर्म भी भर दीजिए, ताकि हर महीने की खास तारीख (जो आपको उपलब्ध कराना है) को आपने जो फंड स्कीम चुनें हैं, उसका ऑटोमैटिक ऑनलाइन भुगतान आपके बैंक  अकाउंट से हो जाए।    

-आपने जो फंड चुना है, उससे संबंधित एसआईपी Mandatory फॉर्म भी भरें। आपको बता दें कि फंड में एकमुश्त रकम जमा करने की भी सुविधा होती है। इसलिए आपको बताना होता है कि आप एसआईपी करना चाहते हैं या फिर एक बार में एकमुश्त रकम का निवेश करना चाहते हैं।

-ध्यान रहे अपने इस  निवेश को किसी भी हालत में मत निकालें। आप जिस वित्तीय लक्ष्य को पूरे करने के लिए निवेश कर रहे हैं, उसी काम के लिए पैसे निकालें। 

-आप अपने इस निवेश की लगातर समीक्षा कीजिए। इस दौरान देखिए कि आपका निवेश सही ट्रैक पर तो है। अगर कुछ पैसे कम पड़ने की आशंका दिख रही है तो आप एसआईपी अमाउंट बढ़ा सकते हैं। 

-हां, सबसे जरूरी बात, आप इस काम के लिए अपने फाइनेंशियल एडवाइजर या प्लानर की मदद लेना ना भूलें। 
-किसी चाइल्ड प्लान के नाम से मिल रहे प्रोडक्ट को लेकर भ्रम में ना रहे हैं। आप हमेशा अपने वित्तीय लक्ष्य को
ध्यान में रखकर ही प्लान बनाएं और पैसे लगाएं। अगर कोई चाइल्ड प्लान आपके फाइनेंशियल प्लान में हर तरह से फिट बैठ रहा हो, तभी उसमें निवेश के बारे में विचार कीजिए।  कई बार प्रोडक्ट बेचने के लिए और ग्राहक को भ्रम में डालने के लिए नामकरण चाइल्ड प्लान के नाम से करते हैं।   

डिस्क्लेमर: Mutual Fund Investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully.

> म्युचुअल फंड से जुड़ी और जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं............
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-3: म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड के जरिए फाइनेंशियल प्लानिंग पूरी करें
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-1
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-2
(म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
(एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स) क्या है
((म्युचुअल फंड कंपनियों की सूची
((टीचर हैं तो क्या हुआ, फाइनेंशियल प्लानिंग करना तो, बनता है बॉस
((डॉक्टर कैसे ठीक रखें फाइनेंशियल सेहत 
((शादी की खुशी में फाइनेंशियल प्लानिंग करना कहीं भूल तो नहीं गए
((म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
((चाइल्ड के लिए अभी से करें प्लान, तभी बनी रहेगी उसकी मुस्कान
((बच्चों से है प्यार, तो उनके लिए रखें फाइनेंशियल प्लान तैयार
(('Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार  

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant सोमवार, 28 नवंबर 2016