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Modi Money Mantra: प्रधानमंत्री मोदी अपना पैसा कहां निवेश करते हैं...

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Rajanish Kant गुरुवार, 20 सितंबर 2018
केवल ₹500 से मंथली निवेश शुरू करके अमीर बनने के मौके

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Rajanish Kant गुरुवार, 13 सितंबर 2018
महंगाई में अतिरिक्त कमाई कैसे करें kahan Nivesh kare

महंगाई में अतिरिक्त कमाई कैसे करें kahan Nivesh kare

Rajanish Kant मंगलवार, 12 जून 2018
किसी अनिश्चितता के लिए मनी मैनेजमेंट कैसे करें
आपकी जिंदगी आराम से कट रही है, आपने जो वित्तीय योजना बनाई है, वो एकदम से पटरी पर है, कि अचानक नोटबंदी जैसे फैसले ले लिये जाते हैं या फिर कोई हादसा आपके साथ हो जाता है, जाहिर आपके सामने एक उलझन की सी स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसे में मनी मैनेजमेंट कैसे करें, ये एक बड़ा सवाल है। इसका जवाब तलाशना जरूरी है ताकि आर्थिक सफर में कोई बाधा नहीं पहुंचे।  चलिए जानते हैं आखिर इसका उपाय क्या है? 

संकट या अनिश्चतता की इस घड़ी के लिए हमें अपने सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों का ध्यान रखने के साथ  पैसे बचाने का भी  विकल्प ढूंढना होगा। दूसरे शब्दों  में, वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना फायदेमंद होगा। आपके इस काम में म्युचुअल फंड में निवेश भी आपकी मदद कर सकता है। 

-जीवन को आसान बनाने के लिए तकनीक के साथ खुद को बदलिये। मसलन, नेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल को तरजीह दीजिए। आज आपके बैंक या निवेश कंपनियां, मोबाइल ऐप कंपनियां खुद ही ग्राहकों को फायदेमंद तकनीक, उनको आसानी से समझने वाले प्रोडक्ट और ट्रैकिंग विकल्प मुहैया करा रही हैं। 

-एक बजट बनाइये और उस पर दृढ़ता के साथ अमल कीजिए। खर्च की प्राथमिकता तय करना सबसे जरूरी है। हाथ में सीमित कैश ही रखिये। आमदनी की परवाह किए बगैर बचत को जरूर तरजीह दीजिए। इससे आपको अपना बजट बनाने और अपने वित्तीय लक्ष्य तक पहुंचने में आसानी होगी। 

-बचत अच्छी बात है, लेकिन जमाखोरी नहीं। नोटबंदी ने जमाखोरी को हतोत्साहित किया है। पैसों को गद्दे के नीचे छुपाकर और बैंकों में बेकार पड़े रहने देना सुहाना वित्तीय सफर के लिए बड़ा दुश्मन है। घर और बैंक में पर्याप्त आपातकालीन फंड नहीं होना लंबे समय के लिए  हानिकारक साबित होता है।

-नकदी जमा करने के बजाय निवेश कीजिए। इससे लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। टैक्स बचत करने का विकल्प म्युचुअल फंड में मिलता है।  जिन लोगों के पास पर्याप्त पैसे बेकार पड़े हैं उनके लिए नोटबंदी जैसे अचानक के झटकों और भविष्य में अनिश्चितताओं से उन पैसों को बचाने के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना बेहतर विकल्प है। 

याद रखें अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर ही म्युचुअल फंडों में निवेश करें-चाहे कार खरीदनी हो, या फिर घर खरीदना हो या भविष्य के लिए बचत करना हो।

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Rajanish Kant सोमवार, 6 मार्च 2017
पहली सैलरी मिल गई, तो क्या सिर्फ खर्च की ही योजना बनाएंगे, कई दूसरे जरूरी काम भी हैं...
पहली नौकरी लगी है, तो क्या सारी सैलरी आप खर्च देंगे या फिर बचत, निवेश भी करेंगे  

भला, पहली नौकरी मिल जाए, तो किसे खुशी नहीं होती है। महीने भर काम करने के बाद लीजिए, अब सैलरी भी आ गई। तो, सैलरी के बारे में क्या सोचा आपने। हाथ खोलकर खर्च करेंगे, पार्टी करेंगे, जमकर खरीदारी करेंगे, दोस्तों के साथ कहीं पिकनिक पर जाएंगे...क्यों...यही ना। जी हां, हममें से ज्यादातर लोगों के मन में पहली सैलरी मिलने के बाद शायद इसी तरह के विचार चलते रहते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमें आने वाले कल के लिए कुछ बचत भी करनी है, उन पैसों का कहीं ना कहीं अच्छे निवेश साधनों में निवेश भी करना है, आपातकालीन और रिटायरमेंट फंड भी बनाना है। 

अगर हम अपनी पहली सैलरी के मिलते ही जिस तरह से खर्च के बारे में सोच लेते हैं उसी तरह अगर बचत, निवेश, इंश्योरेंस, रिटायरमेंट फंड बगैरह के बारे में भी सोच लें, तो कितना अच्छा रहेगा। यानी कल के लिए भी हम आज से ही सोचना शुरू कर दें। तो, चलिए बताते हैं इसके लिए क्या-क्या करना जरूरी है...

1) सबसे पहला काम अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा किसी अच्छी रिटायरमेंट या पेंशन स्कीम में लगाएं। जैसे अगर आपकी कंपनी आपकी सैलरी में से कुछ पैसे काटकर ईपीएफ (Employee Provident Fund-कर्मचारी भविष्य निधि, अक्सर पीएफ के  नाम से पुकारा जाता है) में निवेश करती है तब तो ठीक है। अगर आपकी कंपनी में इसकी व्यवस्था नहीं है, तो पीपीएफ (Public Provident Fund-सार्वजनिक भविष्य निधि ) में जरूर निवेश करें। शुरू में सैलरी कम हो तो सैलरी का 3-4% हिस्सा इसमें निवेश कर दें। जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती जाए, पीपीएफ में अपना हिस्सा बढ़ाते जाएं। मसलन, पहले साल अगर कुल सैलरी का 3-4% निवेश किया तो उसके अगले साल उसे बढ़ाकर सैलरी का 5-6% कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा कुल सैलरी का 10 % हिस्सा ईपीएफ या पीपीएफ में निवेशित होना चाहिए। ये फंड आपके  रिटायरमेंट के बाद काम आएंगे। 


2)दूसरा काम कीजिए कि अपनी आमदनी और अपने खर्चों पर नजर रखें यानी कैश प्लो पर ध्यान रखें। आपका फाइनेंशियल सफर तभी सुहाना होगा,जब आपकी आमदनी ज्यादा और आपके खर्च कम होंगे। मतलब हर हाल में आपके हाथ में पैसे ज्यादा होने चाहिए। आमदनी और खर्च पर नजर रखने का सबसे बढ़िया उपाय है कि आप अपने घर का बजट बनाएं। अपनी आमदनी और अपने खर्च को एक डायरी पर नोट करें। इससे आपको अपने कैश प्लो का अंदाज रहेगा। फाइनेंशियल प्लानिंग भी साथ-साथ लिखते चलें। याद रखें अगर खर्च आमदनी से ज्यादा है तो या तो खर्च में कटौती करें या फिर ज्यादा कमाई के लिए कोई दूसरा काम करें। 

वैसे बाजार में कई एप्स भी मौजूद हैं जो आपके खर्चों पर नजर रखने काम कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा खर्च करने लगेंगे तो ये एप्स आपको आगाह करेंगे। इस तरह से आप अपने खर्च को काबू में रख सकते हैं। कुछ एप हैं-AndroMoney, Monefy, Money Lover, Mvelopes, Money View,Officetime,Good Budget,Wally, Mint, HomeBudgetआदि


3) कर्ज कम करें: हो सकता है पढ़ाई करते समय आपने स्टूडेंट लोन या विद्यार्थी ऋण लिया हो, या फिर आपके ऊपर क्रेडिट कार्ड का कर्ज या फिर मेडिकल बिल का बकाया हो, इनको भी खत्म करने या कम करने के लिए प्लान तैयार करें। जानकार एक बार में ही कर्ज या बकाया चुकाने की सलाह नहीं देते हैं। इसके बदले उन बकायों या कर्ज की प्राथमिकता तय कर उसे धीरे-धीरे खत्म करने की बात कहते हैं। प्राथमिकता तय करने के लिए जानकार दो उपायों का सुझाव  देते हैं....पहला, ज्यादा ब्याज दर वाले  कर्ज या बकाए को पहले स्थान पर रखते हुए उनकी लिस्ट बनाना  (मतलब सबसे ज्यादा ब्याज दर वाला सबसे ऊपर,उससे कम वाला उसके नीचे और उससे भी कम ब्याज वाला उससे नीचे) और दूसरा सबसे कम लोन या बकाए को सबसे पहले रखकर लिस्ट बनाएं (मतलब,  सबसे पहले सबसे कम कर्ज या बकाए को रखें उसके बाद उससे कम वाले बकाए या कर्ज को रखें और फिर उससे भी कम वाले कर्ज या बकाए को रखें) कर्ज या बकाया चुकाएं।  इसमें से जो तरीका आपको बेहतर लगे उसे अमल में लाएं। 

4)अब भविष्य की खरीदारी के लिए बचत करने का लक्ष्य तय करें:  आप अपने पैसे आज ही खर्च कर डालेंगे, तो कल की जरूरत कैसे पूरी होगी। इसलिए आने वाले दिनों के लिए भी फाइनेंशियल प्लान आज ही तैयार कर लें और उसके लिए निवेश करना शुरू कर दीजिए। जैसे, घर खरीदने के लिए डाउन  पेमेंट का इंतजाम करना, अपनी शादी करना, कार खरीदना, विदेश घूमने जाना बगैरह-बगैरह। अपने फाइनेंशियल प्लान तीन अवधि छोटी, मध्यम और दीर्ध अवधि में बांटकर तैयार कर सकते हैं। 


5)आपातकालीन फंड (Emergency Fund)बनाइए: जिंदगी में सबकुछ हमारी योजना के मुताबिक नहीं होता है। कई बार अचानक दूसरा काम पड़ जाता है और उसके लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ती है। मसलन, कोई हादसा होना, कोई गंभीर बीमारी होना बगैरह। ऐसे कामों के लिए आपातकालीन फंड बनाना जरूरी है। ध्यान रहे इस फंड को आपात स्थिति में इस्तेमाल करना चाहिए। 
6) जरूरत के मुताबिक इंश्योरेंस पॉलिसी लें:  अपनी सैलरी में से कुछ पैसे इंश्योरेंस के लिए भी बचाकर रखें। इसमें लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ मेडिकल इंश्योरेंस भी जरूरी है। इंसान की जिंदगी में एक तरफ अनिश्चतता बढ़ गई है तो दूसरी ओर इलाज करवाना लगातार महंगा होता जा रहा है। 
7) अपने फाइनेंशियल प्लान, बचत, निवेश की समय-समय पर समीक्षा करें। आपने जो रिटायरमेंट फंड बनाया है, आपातकालीन फंड बनाया है, भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लान तैयार किया है, उसकी समय-समय पर समीक्षा करें। अगर उसमें कोई फेर-बदल करने की जरूरत आप महसूस कर रहे हैं तो फेर-बदल करना अच्छा रहेगा। 
((आपका 'Money Time' क्या है ?
((मनी मित्र: वित्तीय सफर का भरोसेमंद साथी MoneyMitra: A Reliable Friend of Your Financial Journey
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(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 

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Rajanish Kant मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017
महिलायें तलाक के बाद सेटलमेंट के तौर पर मिले पैसों का क्या करें
तलाक...डिवोर्स...किसी भी शादी-शुदा शख्स के लिए इमोशनल ट्रॉमा से कम नहीं है। इमोशवल लेवल पर यह पति-पत्नी दोनों को बहुत चोट पहुंचाता है। हालांकि, दोनों पर इसका असर अलग-अलग मात्रा में हो सकता है। इमोशनल ट्रॉमा के साथ-साथ इसके आर्थिक परिणाम भी कम गंभीर नहीं होते और यही वजह है कि तलाक के समय किसी भी समस्या के बारे में हम तर्कसंगत तरीके से फैसला नहीं कर पाते हैं। तलाक से सबसे ज्यादा झटका उन महिलाओं को लग सकता है, जिन्हें फाइनेंशियल मामलों की ज्यादा समझ नहीं होती या जो परिवार के खर्च, सेविंग्स या इन्वेस्टमेंट और इस तरह के दूसरे फैसलों से जुड़ी नहीं रही हैं।

आप भी तलाक की पीड़िता हैं और फाइनेंशियल सेटलमेंट के रूप में एकसाथ काफी पैसे मिले हैं, और अभी तक इसका क्या करना है, नहीं सोचा है, तो चलिए हम कुछ टिप्स बता रहे हैं। हालांकि, इसे आप जानकारी के तौर पर समझें, ना कि सलाह के तौर पर। इन टिप्स पर अमल करने से पहले आप खुद से फैसला लें या फिर अपने भरोसेमंद जानकारों की मदद से ऐसा करें। 


> ये रही टिप्स: 

1-छोटी अवधि के लिए इन पैसों को कहीं सुरक्षित रखें। अगर इन पैसों का क्या करना है, इसको लेकर कुछ उपाय नहीं सुझ रहा हो, तो आकर्षक बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेश करें। इससे पहले अगर आपका बैंक अकाउंट नहीं है, तो तुरंत किसी बैंक में अपना अकाउंट खुलवायें और पैसों को कम से कम बचत खाते में तो रख ही दीजिए। ताकि जरूरत पड़ने पर खर्च के लिए आप इसमें से पैसा निकाल सकें। घर पर रखने से कोई फायदा नहीं है। आपको बता दें कि बैंक एफडी निवेश का सबसे आसान, सस्ता और सरल साधन है। बिना कोई खास माथा-पच्ची किए आप अपने पैसों का एफडी कर सकती हैं। 

कैसे खुलवायें बैंक अकाउंट: अब सवाल उठता है कि बैंक अकाउंट कैसे खुलवायें। तो एकदम आसान है। अपने नजदीक के किसी भरोसेमंद बैंक में जाइए। वहां जाकर आप मैनेजर या किसी स्टाफ से बैंक अकाउंट खोलने के बारे में डीटेल्स से जानकारी ले सकती हैं। उनके बताये अनुसार सारे काम कीजिए और अकाउंट खुलवा लीजिए। 
आप ऐसा भी कर सकती हैं कि अगर आप अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक जा रही हैं तो अपने साथ पासपोर्ट साइज का अपना फोटो, पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट बगैरह, फिर अपना एड्रेस प्रूफ जैसे कि बिजली बिजली, टेलीफोन बिल, आधार कार्ड, राशन कार्ड बगैरह साथ रख लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अकाउंट खुलवाते वक्त इन चीजों की जरूरत पड़ेगी। साथ में कलम भी ले ते जाइगा। बैंक में आपको अकाउंट खोलने के लिए फॉर्म मिलेगा जिसे सही-सही भरकर बैंक को वापस करना होगा। इसमें हस्ताक्षर करना और अपने नॉमिनी का नाम देना मत भूलिएगा। 

2-पैसे को सुरक्षित करने के बाद अपने भविष्य को सुरक्षित कीजिए। भविष्य में आप अपनी जरूरतों को पूरी करने लिए इत्मिनान से फाइनेंशियल प्लान बनाइए। इस काम में आप किसी जानकार की भी मदद ले सकती हैं। फाइनेंशियल प्लान कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे-आपको कितना पैसा बचाना है या निवेश करना है, क्या आपको कोई कर्ज या बकाया चुकाना है, आप अपने पैसों को कितने समय तक बचत खाते या सेविंग्स अकाउंट में रख सकती हैं या फिर निवेशित रह सकती हैं, आप अपने पैसों पर कितना जोखिम लेने की स्थिति में है यानी अगर कभी नुकसान होने की आशंका हो तो कितना नुकसान सह सकती हैं बगैरह-बगरैह। 


हां, कुछ और बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे, फाइनेंशियल प्लानिंग हड़बड़ी में मत तैयार करें, बल्कि इसपर सोचने के लिए कुछ वक्त लें। इसके अलावा, सारी रकम निवेश करने से पहले यह देख लें कि आपके पास कम से कम छह महीने के खर्च के लिए पास में पैसे हैं कि नहीं। जब आप निवेश के बारे में खुद से फैसला ले सकते हैं तो खुद से स्वतंत्र रूप से लीजिए, किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है। लोग कई बार शेयर बाजार या म्युचुअल फंड में तब निवेश करते हैं जबकि कीमत काफी बढ़ जाती है और मुनाफा होने की संभावना कम हो जाती है जबकि नुकसान की आशंका बढ़ जाती है, तो ऐसे में आपको काफी सावधान रहना पड़ेगा। 

जिन निवेश साधनों के बारे में आप नहीं जानते हैं, उसमें निवेश मत कीजिए। एक बार में बड़ी रकम निवेश करना नुकसान पहुंचा सकता है। निवेश की शुरुआत छोटी-छोटी रकम और छोटी अवधि मसलन, 500 या 1000 रुपए और 6 महीने से करें। इसके अलावा, अपना कर्ज चुकाने के पहले निवेश करने  से बचें। 

3) नई प्रॉपर्टी खरीदें: अगर आपकी जेब आपको नया घर खरीदने की इजाजत दे, तो घर खरीदने के बारे में सोचें। खरीदने से पहले उस घर की पूरी कीमत मसलन, स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फी, सर्विस टैक्स भी जोड़ लें। अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो आप पहले ये देख लीजिए कि डाउन पेमेंट के लिए आप पैसों का इंतजाम कर पाएंगी या नहीं। 


4)किसी पेंशन स्कीम में निवेश करें। 


5)अगर आपके साथ आपका बच्चा हो, तो उसके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भी कुछ निवेश करें। 


6)लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम लेना मत भूलिएगा। 

7)अगर कोई टैक्स की देनदारी बनती हो, तो उस पर भी गौर फरमा लीजिएगा। 

तो, अगर ये छोटे-छोटे काम कर लेंगे, तो तलाक के बाद फाइनेंशियल संघर्ष से निपटने में आपको काफी सहुलियत होगी। 

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 

((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

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Rajanish Kant शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017
आम बजट 2017-18: निवेश के लिए रियल एस्टेट लाभदायक या हानिकारक !
आम बजट 2017-18 में सस्ती आवास योजना को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश की गई ताकि हर आम भारतीय का खुद का आशियाना बनाने का  सपना पूरा हो सके। साथ ही साथ जो लोग निवेश के लिए घर लेना चाहते हैं उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम इस बजट में किया गया है। सरकार ने पूरी कोशिश की गई है कि घरों की जमाखोरी (होर्डिंग) को निरुत्साहित की जाए और सस्ता आवास हर भारतीयों के लिए आसान बनाया जाये। एकतरह से कह सकते हैं कि सोने, रुपये के बाद सरकार के निशाने पर अब घरों की जमाखोरी करने वाले हैं। किसी भी चीज की जमाखोरी महंगाई बढ़ाती है जिससे वह चीज आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती है और लंबे समय तक अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है तो मंदी का भी एक कारण बन जाती है। घर और रियल एस्टेट सेक्टर के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है। 

> आम बजट 2017-18 रियल एस्टेट में निवेश के नजरिये से कैसा है? 

1)-प्रॉपर्टी में निवेश केवल मोटा मुनाफा के लिए ही नहीं बल्कि टैक्स बचत के लिए भो लोग करते हैं। बता दें कि लोन लेकर प्रॉपर्टी में निवेश करने पर मूलधन और ब्याज दोनों रकम पर टैक्स डिडक्शन बेनेफिट मिलता है। लेकिन, इस मामले में पहले के बजट प्रावधानों और 2017-18 के बजट प्रावधानों में फर्क है। यानी इसके नियम बदल गए हैं। मौजूदा प्रावधानों (2016-17 तक के बजट प्रावधानों) के मुताबिक, मकान मालिक किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के ब्याज पर पूरा डिडक्शन क्लेम कर सकता था, जबकि अपने मकान में खुद रहने वाले 2 लाख रु. तक ही क्लेम करने का हकदार होते थे। लेकिन आम बजट 2017-18 के प्रस्ताव के बाद अब मकान किराए पर दिए जाने पर भी 2 लाख रु. तक का डिडक्शन ही क्लेम किया जा सकेगा। यानी, जिसने लोन लेकर मकान बनाया, वह अब हर सूरत में (चाहे वह मकान को किराए पर लगा दे या उसमें खुद रहे) 2 लाख रु. तक का डिडक्शन बेनिफिट ही क्लेम कर सकेगा, इससे ज्यादा नहीं। यानी, 2 लाख रुपये से ज्यादा ब्याज चुकानेवाले व्यक्तिगत करदाताओं को अब अगले साल पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना होगा, हालांकि वे इस नुकसान की भरपाई अगले 8 सालों में कर सकते हैं।  जानकारों की मानें तो इस कदम से बड़े होम लोन लेने वाले ग्राहक प्रभावित होंगे मतलब इससे बड़े घरों में निवेश को हतोत्साहित किया जा सकेगा। कई लोग सिर्फ टैक्स बचाने के लिए लोन लेकर दूसरा घर खरीदते हैं। जानकारों के मुताबिक बजट में किए गए उपरोक्त प्रस्ताव से ऐसी आदतों पर लगाम लगेगी। 

इसे और आसानी से समझें ...किराए पर दी गई प्रॉपर्टी पर आप एक साल में होम लोन के केवल 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर EMI पर सालाना लगने वाला ब्याज अगर 3 लाख या 4 लाख या 5 लाख या फिर 2 लाख से ज्यादा कितना भी हो, तो पहले मकान मालिक पूरे ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकता था, लेकिन अब हर साल केवल 2 लाख रु. पर ही डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, इसमें 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड की इजाजत होगी।

2) घरों में निवेश को हतोत्साहित करने के लिए इस बजट में एक और प्रस्ताव किया गया है। अगर आपने अपने घर को किराया पर दे रखा है और उसका किराया 50 हजार रु. से अधिक है तो इस पर 5 % टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) कटेगा। बजट प्रस्ताव के मुताबिक, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी आपके किरायेदार को दी गई है। यानी किरायेदार ही 5% टीडीएस काटकर किराया देगा। किरायेदार को इसके लिए टैन नंबर (हर टीडीए काटने वालों को दिया जाने वाला खास नंबर) की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वित्तीय साल के अंत पर वह कुल टीडीएस रकम को इनकम टैक्स में जमा कराएगा। ऐसा माना जाता है कि किराए से होने वाली कमाई को कई लोग अपने इनकम वाले कॉलम में नहीं दर्शाते हैं और टैक्स की चोरी करते हैं। हालांकि इससे बहुत कम मकान मालिक प्रभावित होंगे। 

3) होल्डिंग पीरियड में कमी: सरकार ने प्रॉपर्टी समेत सभी अचल संपत्ति के लिए लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन टैक्स (दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर) के लिए समय-सीमा 3 साल से  घटाकर 2 साल कर दी है जिससे इन्वेस्टर्स दो साल के होल्डिंग पीरियड के बाद ही कम टैक्स देकर अपनी प्रॉपर्टी को बेच सकते हैं। रियल एस्टेट डिवेलपर्स के लिए इस कदम को कुछ राहत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि इससे प्रॉपर्टी बाजार में  आपूर्ति बढ़ेगी। इसको ऐसे समझ सकते हैं पहले लोग जहां कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा लेने के लिए तीन साल तक नहीं बेचते थे अब उसे दो साल में बेचकर कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा उठा सकते हैं। इससे रीसेल प्रॉपर्टी बाजार में घरों की आपूर्ति बढ़ेगी। 

4)अचल संपत्ति से लाभ पर विचार करने के लिए सूचीकरण (इनडेक्सेशन-Indexation) के लिए आधार वर्ष में बदलाव: वित्त मंत्री ने अचल संपत्‍ति सहित आस्‍तियों (ऐसेट्स) की सभी श्रेणियों के लिए सूचीकरण के लिए आधार वर्ष भी 1.4.1981 से बदलकर 1.4.2001 किए जाने का प्रस्‍ताव किया है। 

 वित्‍तमंत्री ने कहा कि इस कदम से पूंजीगत लाभ पर देयता (लायबिलिटी) काफी घटेगी मतलब अंचल संपत्ति या किसी दूसरे ऐसेट्स की बिक्री पर होने वाले मुनाफे पर अब कम कर देना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर परिसंपत्‍तियों की गतिशीलता को प्रोत्‍साहन मिलेगा।  

5) वित्त मंत्री ने सस्ती आवास योजना के प्रति अधिक से अधिक रियल एस्टेट डेवलपर्स को लुभा के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया है। इससे  इस सेगमेंट में काम करने वालों को इंडस्ट्री जैसी सुविधाएं मिलेंगी। मसलन, सस्ता लोन, टैक्स छूट बगैरह। 

6) आम बजट 2016-17 में  30 और 60 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र (बिल्ट अप एरिया) की बजाय अब 30 और 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र (Carpet Area) की गणना की जाएगी। 30 वर्ग मीटर की सीमा भी केवल 4 मेट्रो शहरों की नगरपालिका सीमाओं के मामले में लागू होगी जबकि मेट्रो के बाहर के क्षेत्रों सहित देश के शेष भागों के लिए 
60 वर्ग मीटर  की सीमा ही लागू होगी। वित्‍त मंत्री ने इस योजना के तहत कार्य प्रारंभ होने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को मौजूदा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्‍ताव किया.

7) वर्तमान में पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी-Completion Certification) प्राप्‍त करने के पश्‍चात कब्‍जा न लिए गए मकान नोशनल किराया आय पर कर के अध्‍यधीन हैं. जिन बिल्‍डरों के  लिए निर्मित मकान व्‍यवसाय में पूंजी लगी है, जेटली ने ऐसे बिल्‍डरों के लिए यह नियम पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्‍त होने वाले वर्ष के समाप्‍त होने के एक वर्ष बाद ही लागू करने का प्रस्ताव दिया ताकि उन्‍हें अपनी इन्‍वेंटरी के परिनिर्धारण हेतु कुछ समय और मिल जाए। 

8)रियायती मकानों को बुनियादी ढांचाके समकक्ष रखने के सरकार के प्रयास से सस्‍ते, घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय वितत्‍ के लिए दरवाजे खुलेंगे। विदेश निवेश संवर्धन बोर्ड  (एफआईपीबी) के उन्‍मूलन से न केवल कारोबारी सहजता को बढ़ावा देनेमें मदद मिलेगी बल्कि प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा। वित्‍त वर्ष 2016-17  की पहली छमाही में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 1.45 लाख करोड़ पर पहुंच गया। यह 2015-16 में 1.07 लाख करोड़ रूपये था। इन सबसे आवास आपूर्ति को प्रोत्‍साहन मिलेगा। बुनियादी ढांचा रियल स्‍टेट तथा समग्र अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाता है इसलिए बुनियादी ढांचेके लिए 3.96 लाख करोड़ रु. का रिकॉर्ड  प्रावधान किया गया है जोकि पिछले वर्ष से 25% अधिक है इसके साथ ही राजमार्ग के लिए बजटीय समर्थन बढ़ाकर 64 हजार करोड़ कर दिया गया है।

9)बजट प्रावधानों से उच्‍च आय वाले लोगों द्वारा सटोरिया खरीदारी को हतोत्‍साहित किया गया है और वास्‍तविक रियायती मकान खरीदने वाले लोगों को प्रोत्‍साहित किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार ने पहले ही नौ लाख रूपये तक के आवास ऋण पर ब्‍याज में चार प्रतिशत की कमी की गई है और बारह लाख रु.
तक के आवास ऋण पर ब्‍याज दर तीन प्रतिशत घटाने की घोषणा की गई है।

((आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें     
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Rajanish Kant सोमवार, 13 फ़रवरी 2017