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महिलायें तलाक के बाद सेटलमेंट के तौर पर मिले पैसों का क्या करें
तलाक...डिवोर्स...किसी भी शादी-शुदा शख्स के लिए इमोशनल ट्रॉमा से कम नहीं है। इमोशवल लेवल पर यह पति-पत्नी दोनों को बहुत चोट पहुंचाता है। हालांकि, दोनों पर इसका असर अलग-अलग मात्रा में हो सकता है। इमोशनल ट्रॉमा के साथ-साथ इसके आर्थिक परिणाम भी कम गंभीर नहीं होते और यही वजह है कि तलाक के समय किसी भी समस्या के बारे में हम तर्कसंगत तरीके से फैसला नहीं कर पाते हैं। तलाक से सबसे ज्यादा झटका उन महिलाओं को लग सकता है, जिन्हें फाइनेंशियल मामलों की ज्यादा समझ नहीं होती या जो परिवार के खर्च, सेविंग्स या इन्वेस्टमेंट और इस तरह के दूसरे फैसलों से जुड़ी नहीं रही हैं।

आप भी तलाक की पीड़िता हैं और फाइनेंशियल सेटलमेंट के रूप में एकसाथ काफी पैसे मिले हैं, और अभी तक इसका क्या करना है, नहीं सोचा है, तो चलिए हम कुछ टिप्स बता रहे हैं। हालांकि, इसे आप जानकारी के तौर पर समझें, ना कि सलाह के तौर पर। इन टिप्स पर अमल करने से पहले आप खुद से फैसला लें या फिर अपने भरोसेमंद जानकारों की मदद से ऐसा करें। 


> ये रही टिप्स: 

1-छोटी अवधि के लिए इन पैसों को कहीं सुरक्षित रखें। अगर इन पैसों का क्या करना है, इसको लेकर कुछ उपाय नहीं सुझ रहा हो, तो आकर्षक बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेश करें। इससे पहले अगर आपका बैंक अकाउंट नहीं है, तो तुरंत किसी बैंक में अपना अकाउंट खुलवायें और पैसों को कम से कम बचत खाते में तो रख ही दीजिए। ताकि जरूरत पड़ने पर खर्च के लिए आप इसमें से पैसा निकाल सकें। घर पर रखने से कोई फायदा नहीं है। आपको बता दें कि बैंक एफडी निवेश का सबसे आसान, सस्ता और सरल साधन है। बिना कोई खास माथा-पच्ची किए आप अपने पैसों का एफडी कर सकती हैं। 

कैसे खुलवायें बैंक अकाउंट: अब सवाल उठता है कि बैंक अकाउंट कैसे खुलवायें। तो एकदम आसान है। अपने नजदीक के किसी भरोसेमंद बैंक में जाइए। वहां जाकर आप मैनेजर या किसी स्टाफ से बैंक अकाउंट खोलने के बारे में डीटेल्स से जानकारी ले सकती हैं। उनके बताये अनुसार सारे काम कीजिए और अकाउंट खुलवा लीजिए। 
आप ऐसा भी कर सकती हैं कि अगर आप अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक जा रही हैं तो अपने साथ पासपोर्ट साइज का अपना फोटो, पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट बगैरह, फिर अपना एड्रेस प्रूफ जैसे कि बिजली बिजली, टेलीफोन बिल, आधार कार्ड, राशन कार्ड बगैरह साथ रख लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अकाउंट खुलवाते वक्त इन चीजों की जरूरत पड़ेगी। साथ में कलम भी ले ते जाइगा। बैंक में आपको अकाउंट खोलने के लिए फॉर्म मिलेगा जिसे सही-सही भरकर बैंक को वापस करना होगा। इसमें हस्ताक्षर करना और अपने नॉमिनी का नाम देना मत भूलिएगा। 

2-पैसे को सुरक्षित करने के बाद अपने भविष्य को सुरक्षित कीजिए। भविष्य में आप अपनी जरूरतों को पूरी करने लिए इत्मिनान से फाइनेंशियल प्लान बनाइए। इस काम में आप किसी जानकार की भी मदद ले सकती हैं। फाइनेंशियल प्लान कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे-आपको कितना पैसा बचाना है या निवेश करना है, क्या आपको कोई कर्ज या बकाया चुकाना है, आप अपने पैसों को कितने समय तक बचत खाते या सेविंग्स अकाउंट में रख सकती हैं या फिर निवेशित रह सकती हैं, आप अपने पैसों पर कितना जोखिम लेने की स्थिति में है यानी अगर कभी नुकसान होने की आशंका हो तो कितना नुकसान सह सकती हैं बगैरह-बगरैह। 


हां, कुछ और बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे, फाइनेंशियल प्लानिंग हड़बड़ी में मत तैयार करें, बल्कि इसपर सोचने के लिए कुछ वक्त लें। इसके अलावा, सारी रकम निवेश करने से पहले यह देख लें कि आपके पास कम से कम छह महीने के खर्च के लिए पास में पैसे हैं कि नहीं। जब आप निवेश के बारे में खुद से फैसला ले सकते हैं तो खुद से स्वतंत्र रूप से लीजिए, किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है। लोग कई बार शेयर बाजार या म्युचुअल फंड में तब निवेश करते हैं जबकि कीमत काफी बढ़ जाती है और मुनाफा होने की संभावना कम हो जाती है जबकि नुकसान की आशंका बढ़ जाती है, तो ऐसे में आपको काफी सावधान रहना पड़ेगा। 

जिन निवेश साधनों के बारे में आप नहीं जानते हैं, उसमें निवेश मत कीजिए। एक बार में बड़ी रकम निवेश करना नुकसान पहुंचा सकता है। निवेश की शुरुआत छोटी-छोटी रकम और छोटी अवधि मसलन, 500 या 1000 रुपए और 6 महीने से करें। इसके अलावा, अपना कर्ज चुकाने के पहले निवेश करने  से बचें। 

3) नई प्रॉपर्टी खरीदें: अगर आपकी जेब आपको नया घर खरीदने की इजाजत दे, तो घर खरीदने के बारे में सोचें। खरीदने से पहले उस घर की पूरी कीमत मसलन, स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फी, सर्विस टैक्स भी जोड़ लें। अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो आप पहले ये देख लीजिए कि डाउन पेमेंट के लिए आप पैसों का इंतजाम कर पाएंगी या नहीं। 


4)किसी पेंशन स्कीम में निवेश करें। 


5)अगर आपके साथ आपका बच्चा हो, तो उसके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भी कुछ निवेश करें। 


6)लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम लेना मत भूलिएगा। 

7)अगर कोई टैक्स की देनदारी बनती हो, तो उस पर भी गौर फरमा लीजिएगा। 

तो, अगर ये छोटे-छोटे काम कर लेंगे, तो तलाक के बाद फाइनेंशियल संघर्ष से निपटने में आपको काफी सहुलियत होगी। 

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Rajanish Kant शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017
आम बजट 2017-18: निवेश के लिए रियल एस्टेट लाभदायक या हानिकारक !
आम बजट 2017-18 में सस्ती आवास योजना को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश की गई ताकि हर आम भारतीय का खुद का आशियाना बनाने का  सपना पूरा हो सके। साथ ही साथ जो लोग निवेश के लिए घर लेना चाहते हैं उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम इस बजट में किया गया है। सरकार ने पूरी कोशिश की गई है कि घरों की जमाखोरी (होर्डिंग) को निरुत्साहित की जाए और सस्ता आवास हर भारतीयों के लिए आसान बनाया जाये। एकतरह से कह सकते हैं कि सोने, रुपये के बाद सरकार के निशाने पर अब घरों की जमाखोरी करने वाले हैं। किसी भी चीज की जमाखोरी महंगाई बढ़ाती है जिससे वह चीज आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती है और लंबे समय तक अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है तो मंदी का भी एक कारण बन जाती है। घर और रियल एस्टेट सेक्टर के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है। 

> आम बजट 2017-18 रियल एस्टेट में निवेश के नजरिये से कैसा है? 

1)-प्रॉपर्टी में निवेश केवल मोटा मुनाफा के लिए ही नहीं बल्कि टैक्स बचत के लिए भो लोग करते हैं। बता दें कि लोन लेकर प्रॉपर्टी में निवेश करने पर मूलधन और ब्याज दोनों रकम पर टैक्स डिडक्शन बेनेफिट मिलता है। लेकिन, इस मामले में पहले के बजट प्रावधानों और 2017-18 के बजट प्रावधानों में फर्क है। यानी इसके नियम बदल गए हैं। मौजूदा प्रावधानों (2016-17 तक के बजट प्रावधानों) के मुताबिक, मकान मालिक किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के ब्याज पर पूरा डिडक्शन क्लेम कर सकता था, जबकि अपने मकान में खुद रहने वाले 2 लाख रु. तक ही क्लेम करने का हकदार होते थे। लेकिन आम बजट 2017-18 के प्रस्ताव के बाद अब मकान किराए पर दिए जाने पर भी 2 लाख रु. तक का डिडक्शन ही क्लेम किया जा सकेगा। यानी, जिसने लोन लेकर मकान बनाया, वह अब हर सूरत में (चाहे वह मकान को किराए पर लगा दे या उसमें खुद रहे) 2 लाख रु. तक का डिडक्शन बेनिफिट ही क्लेम कर सकेगा, इससे ज्यादा नहीं। यानी, 2 लाख रुपये से ज्यादा ब्याज चुकानेवाले व्यक्तिगत करदाताओं को अब अगले साल पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना होगा, हालांकि वे इस नुकसान की भरपाई अगले 8 सालों में कर सकते हैं।  जानकारों की मानें तो इस कदम से बड़े होम लोन लेने वाले ग्राहक प्रभावित होंगे मतलब इससे बड़े घरों में निवेश को हतोत्साहित किया जा सकेगा। कई लोग सिर्फ टैक्स बचाने के लिए लोन लेकर दूसरा घर खरीदते हैं। जानकारों के मुताबिक बजट में किए गए उपरोक्त प्रस्ताव से ऐसी आदतों पर लगाम लगेगी। 

इसे और आसानी से समझें ...किराए पर दी गई प्रॉपर्टी पर आप एक साल में होम लोन के केवल 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर EMI पर सालाना लगने वाला ब्याज अगर 3 लाख या 4 लाख या 5 लाख या फिर 2 लाख से ज्यादा कितना भी हो, तो पहले मकान मालिक पूरे ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकता था, लेकिन अब हर साल केवल 2 लाख रु. पर ही डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, इसमें 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड की इजाजत होगी।

2) घरों में निवेश को हतोत्साहित करने के लिए इस बजट में एक और प्रस्ताव किया गया है। अगर आपने अपने घर को किराया पर दे रखा है और उसका किराया 50 हजार रु. से अधिक है तो इस पर 5 % टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) कटेगा। बजट प्रस्ताव के मुताबिक, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी आपके किरायेदार को दी गई है। यानी किरायेदार ही 5% टीडीएस काटकर किराया देगा। किरायेदार को इसके लिए टैन नंबर (हर टीडीए काटने वालों को दिया जाने वाला खास नंबर) की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वित्तीय साल के अंत पर वह कुल टीडीएस रकम को इनकम टैक्स में जमा कराएगा। ऐसा माना जाता है कि किराए से होने वाली कमाई को कई लोग अपने इनकम वाले कॉलम में नहीं दर्शाते हैं और टैक्स की चोरी करते हैं। हालांकि इससे बहुत कम मकान मालिक प्रभावित होंगे। 

3) होल्डिंग पीरियड में कमी: सरकार ने प्रॉपर्टी समेत सभी अचल संपत्ति के लिए लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन टैक्स (दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर) के लिए समय-सीमा 3 साल से  घटाकर 2 साल कर दी है जिससे इन्वेस्टर्स दो साल के होल्डिंग पीरियड के बाद ही कम टैक्स देकर अपनी प्रॉपर्टी को बेच सकते हैं। रियल एस्टेट डिवेलपर्स के लिए इस कदम को कुछ राहत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि इससे प्रॉपर्टी बाजार में  आपूर्ति बढ़ेगी। इसको ऐसे समझ सकते हैं पहले लोग जहां कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा लेने के लिए तीन साल तक नहीं बेचते थे अब उसे दो साल में बेचकर कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा उठा सकते हैं। इससे रीसेल प्रॉपर्टी बाजार में घरों की आपूर्ति बढ़ेगी। 

4)अचल संपत्ति से लाभ पर विचार करने के लिए सूचीकरण (इनडेक्सेशन-Indexation) के लिए आधार वर्ष में बदलाव: वित्त मंत्री ने अचल संपत्‍ति सहित आस्‍तियों (ऐसेट्स) की सभी श्रेणियों के लिए सूचीकरण के लिए आधार वर्ष भी 1.4.1981 से बदलकर 1.4.2001 किए जाने का प्रस्‍ताव किया है। 

 वित्‍तमंत्री ने कहा कि इस कदम से पूंजीगत लाभ पर देयता (लायबिलिटी) काफी घटेगी मतलब अंचल संपत्ति या किसी दूसरे ऐसेट्स की बिक्री पर होने वाले मुनाफे पर अब कम कर देना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर परिसंपत्‍तियों की गतिशीलता को प्रोत्‍साहन मिलेगा।  

5) वित्त मंत्री ने सस्ती आवास योजना के प्रति अधिक से अधिक रियल एस्टेट डेवलपर्स को लुभा के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया है। इससे  इस सेगमेंट में काम करने वालों को इंडस्ट्री जैसी सुविधाएं मिलेंगी। मसलन, सस्ता लोन, टैक्स छूट बगैरह। 

6) आम बजट 2016-17 में  30 और 60 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र (बिल्ट अप एरिया) की बजाय अब 30 और 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र (Carpet Area) की गणना की जाएगी। 30 वर्ग मीटर की सीमा भी केवल 4 मेट्रो शहरों की नगरपालिका सीमाओं के मामले में लागू होगी जबकि मेट्रो के बाहर के क्षेत्रों सहित देश के शेष भागों के लिए 
60 वर्ग मीटर  की सीमा ही लागू होगी। वित्‍त मंत्री ने इस योजना के तहत कार्य प्रारंभ होने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को मौजूदा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्‍ताव किया.

7) वर्तमान में पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी-Completion Certification) प्राप्‍त करने के पश्‍चात कब्‍जा न लिए गए मकान नोशनल किराया आय पर कर के अध्‍यधीन हैं. जिन बिल्‍डरों के  लिए निर्मित मकान व्‍यवसाय में पूंजी लगी है, जेटली ने ऐसे बिल्‍डरों के लिए यह नियम पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्‍त होने वाले वर्ष के समाप्‍त होने के एक वर्ष बाद ही लागू करने का प्रस्ताव दिया ताकि उन्‍हें अपनी इन्‍वेंटरी के परिनिर्धारण हेतु कुछ समय और मिल जाए। 

8)रियायती मकानों को बुनियादी ढांचाके समकक्ष रखने के सरकार के प्रयास से सस्‍ते, घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय वितत्‍ के लिए दरवाजे खुलेंगे। विदेश निवेश संवर्धन बोर्ड  (एफआईपीबी) के उन्‍मूलन से न केवल कारोबारी सहजता को बढ़ावा देनेमें मदद मिलेगी बल्कि प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा। वित्‍त वर्ष 2016-17  की पहली छमाही में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 1.45 लाख करोड़ पर पहुंच गया। यह 2015-16 में 1.07 लाख करोड़ रूपये था। इन सबसे आवास आपूर्ति को प्रोत्‍साहन मिलेगा। बुनियादी ढांचा रियल स्‍टेट तथा समग्र अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाता है इसलिए बुनियादी ढांचेके लिए 3.96 लाख करोड़ रु. का रिकॉर्ड  प्रावधान किया गया है जोकि पिछले वर्ष से 25% अधिक है इसके साथ ही राजमार्ग के लिए बजटीय समर्थन बढ़ाकर 64 हजार करोड़ कर दिया गया है।

9)बजट प्रावधानों से उच्‍च आय वाले लोगों द्वारा सटोरिया खरीदारी को हतोत्‍साहित किया गया है और वास्‍तविक रियायती मकान खरीदने वाले लोगों को प्रोत्‍साहित किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार ने पहले ही नौ लाख रूपये तक के आवास ऋण पर ब्‍याज में चार प्रतिशत की कमी की गई है और बारह लाख रु.
तक के आवास ऋण पर ब्‍याज दर तीन प्रतिशत घटाने की घोषणा की गई है।

((आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें     
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Rajanish Kant सोमवार, 13 फ़रवरी 2017
इस वैलेंटाइन डे पर सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट को भी बोलें," I Love You"! जानिए वॉरेन बफेट की बचत, निवेश पर बोल
14 फरवरी यानी प्रेम करने वालों का दिन, जिसका इंतजार हर कपल्स को होता है। और हो भी क्यों ना, एक-दूसरे से अपनी भावनाओं का इजहार जो करना होता है। हर कपल्स इस दिन को यादगार बनाने की हरसंभव कोशिश करता है, और करे भी क्यों ना, क्योंकि चुके तो फिर साल भर ही ये मौका आएगा। चलिये, अपने प्यार को यादगार बनाइए, लेकिन साथ ही अपने फाइनेंशियल सफर को भी सुहाना बनाने के लिए कुछ यादगार काम इस दिन कर लिया जाए, तो कैसा रहेगा? अगर प्यार के साथ-साथ फाइनेशियल सफर भी सुहाना बना रहे, तो क्या दिक्कत है? 
तो, क्यों ना,  बचत, इन्वेस्टमेंट और फाइनेंशियल प्लानिंग को भी वैलेंटाइन डे पर 'I Love You'बोले। हमारी जिंदगी में प्यार के साथ-साथ बचत, निवेश और फाइनेंशियल प्लानिंग भी जरूरी है। हम अपनी हर भौतिक जरूरत अपनी मेहनत की कमाई से ही पूरी करते हैं। पैसा हमारी आज की जरूरत भी पूरी करता है और आने वाले कल की भी जरूरत यही पूरी करेगा। अगर हम सारे पैसे आज ही खर्च कर देंगे, तो फिर भविष्य की हमारी जरूरत कैसे पूरी होगी? कल हमारी जरूरतें बढ़ेंगी, एक उम्र के बाद हम रिटायर हो जाएंगे, बच्चे को उच्च शिक्षा दिलाना है, उनकी शादी बगैरह करना है, जैसे ढेरों काम करने होते हैं। ऊपर महंगाई भी बढ़ती जाएगी। इसका तो एक ही उपाय है कि हम अपनी आज की कमाई में से थोड़ी-थोड़ी बचत करें और उसे ऐसे निवेश साधनों में निवेश करें जो कि टैक्स चुकाने के बाद महंगाई से ज्यादा मुनाफा दे। और अगर  निश्चित फाइनेंशियल प्लानिंग के साथ निवेश करते हैं तो फिर कहना ही क्या, भविष्य की जरूरत पूरी करने के लिए हमें कहीं और निर्भर नहीं 
करना पड़ेगा। 
ठीक है, बचत को लेकर हमारी बात आप मत मानिए, लेकिन दुनिया के महान अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट की बात तो आप मानेंगे। उन्होंने  अखबार विक्रेता के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया था और उससे कमाये पैसों में से कुछ बचत करते थे और उसका निवेश करते थे। उनकी इसी आदत ने दुनिया का तीसरा सबसे दौलतमंद इंसान बना दिया है। 

>आइए देखते हैं वॉरेन बफेट क्या कहते हैं....
-खर्च करने के बाद जो बचता है उसे न बचावें, बल्कि बचत करने के बाद बच जाता है उसे खर्च करें।
-एकल आय (single income source) पर निर्भर कभी नहीं रहना चाहिये। दूसरा स्रोत बनाने के लिए निवेश (invest) करें।
वॉरेन बफेट, अरबपति निवेशक

तो, देखा ना, आपने बचत और निवेश की महिमा। बचत और निवेश के दम पर भी आप दौलतमंद बन सकते हैं। तो, वैलेंटाइन डे को यूं ही मत गंवाइये, जिंदगी के फाइनेंशियल सफर को सुहाना बनाने के लिए Savings, Investment और फाइनेंशियल प्लानिंग को भी  बोलें., " I Love You"।

>बचत, निवेश, फाइनेंशियल प्लानिंग पर लेख के लिंक नीचे गए हैं.....पढ़ें और फायदा उठायें... 
((बचत करूं या करूं निवेश, कौन देगा ज्यादा फाइनेंशियल कॉन्फिडेंस
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Rajanish Kant रविवार, 12 फ़रवरी 2017
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Rajanish Kant गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017
आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें
आम बजट की जब भी बात आती है तो आम लोगों और नौकरीपेशा सबसे पहले टैक्स खासकर इनकम टैक्स से जुड़ी बातों के बारे में जानना चाहते हैं। मसलन,इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव हुआ या नहीं, टैक्स की दरों में कोई फेर-बदल हुआ कि नहीं, टैक्स छूट को लेकर प्रावधान में क्या कोई बदलाव हुआ है या नहीं, जैसे सवाल उनको परेशान करते रहते हैं, जब तक कि वो इन सबके बारे में पूरी तसल्ली से जानकारी ना ले लें। तो, हम आपके पसंदीदा ब्लॉग में इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं...

> आम बजट 2017-18 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम तक 2,500 रुपए छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस, 50 लाख  से एक करोड़ रुपए तक की सालाना आमदनी पर 10% (इसी बजट से लागू) और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 

आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
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2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 5.15
----------------------------------------------------------
5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
-----------------------------------------------------------
10 लाख-50 लाख   रु.                   30.09
------------------------------------------------------------
50.00 लाख-1 करोड़  रु.                 33.99
---------------------------------------------------------------
1 करोड़ रु. और इससे अधिक           35.54
----------------------------------------------------------------

>पिछला आम बजट यानि आम बजट 2016-17 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम पर 5,000 रुपए की छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 
आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
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2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 10.30
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5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
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10.00 लाख-1 करोड़ रु.                30.90
----------------------------------------------------------------
1 करोड़ रु. और इससे अधिक          35.54
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आम बजट 2017-18 के प्रावधानों के मुताबिक, अपनी सैलरी या फिर अपनी कमाई के हिसाब से अब आपको कितना कर देना होगा, जानिए....
> सैलरी सालाना          पहले टैक्स              अब टैक्स                सालाना बचत
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₹3 लाख   तक            ₹0                                   ₹0                                ₹0
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₹4 लाख तक             ₹10,000                       ₹7,500                          ₹2,500
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₹5 लाख तक            ₹20,000                       ₹12,500                          ₹7,500
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₹6 लाख तक            ₹45,000                      ₹32,500                             ₹12,500
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₹7 लाख तक            ₹65,000                          ₹52,500                          ₹12,500
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₹8 लाख तक            ₹85,000                         ₹72,500                           ₹12,500
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₹9 लाख तक            ₹1,05,000                    ₹92,500                              ₹12,500
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₹10 लाख तक          ₹1,25,000                   ₹1,12,500                             ₹12,500
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नोट- टैक्स देनदारी बिना किसी कर बचत योजना में निवेश के 
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>करदाताओं या टैक्सपेयर्स के लिए बजट के मायने:
-Positive: 
*2.5-5 लाख रुपए सालाना इनकम पर टैक्स की दर 10% से घटाकर 5%
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों के लिए एक पन्ने का आईटी रिटर्न फॉर्म 
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों की पहली बार आईटी रिटर्न भरने पर जांच नहीं 
*एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में सालाना डेढ़ लाख तक निवेश करने वाले सेल्फ एम्पलॉयड के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ी, पहले ग्रॉस टोटल इनकम का 10% छूट मिलता था, जिसे बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। बशर्ते कि एनपीएस में निवेश तय सीमा के भीतर हो। इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत एनपीएस में सालाना डेढ़ लाख रुपए तक के निवेश पर ही छूट है।   

-Negative:
*3.5 लाख रुपए सालाना इनकम वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए टैक्स छूट 5,000 रुपए से  घटाकर 2,500 रुपए की गई 
*प्रॉपर्टी में लोन लेकर निवेश करने पर पहले उसकी ईएमआई के ब्याज पर छूट की सीमा नहीं थी, जितना
ब्याज देना होता था, उस पूरे पर टैक्स छूट मिलती थी, लेकिन अब 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर ही (प्रॉपर्टी चाहे दूसरी या पहली) तक छूट मिलेगी। यह प्रॉपर्टी बाजार के लिए भी निगेटिव। 
*50 लाख से एक करोड़ सालाना इनकम पर 10% सरचार्ज 
*समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वाले करदाताओं को अब एसेसमेंट ईयर 2018-19 से  10,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा… हालांकि यदि करदाता की वार्षिक आय पांच लाख  रुपये से कम है, तो जुर्माने की रकम 1,000 रुपये रहेग
*चैरिटेबल ट्रस्ट को कैश में चंदा देने पर कर छूट 10 हजार से घटाकर 2 हजार रुपए
*5…राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के तहत किए गए निवेश पर आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 से 
किसी भी तरह की कटौती की इजाज़त नहीं होगी… यह बचत योजना वर्ष 2012-13 के आम बजट में घोषित की गई  थी, और यह खासतौर से उन व्यक्तिगत निवेशकों के लिए तैयार की गई थी
*इनकम टैक्स अधिकारी अब 10 साल तक के मामलों को दोबारा खोल सकते हैं, यदि तलाशी में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय तथा संपत्ति की जानकारी मिलती है… मौजूदा नियमों के तहत टैक्स अधिकारी करदाता के सिर्फ छह साल पहले तक के खातों की जांच कर सकते हैं… इनकम टैक्स एक्ट में किया गया यह संशोधन 1 अप्रैल, 2017 से लागू होगा, और इस नियम के मुताबिक अब टैक्स अधिकारी किसी भी करदाता की वर्ष 2007 तक के खातों की जांच कर सकेंगे
*अब जायदाद की बिक्री से होने वाले लाभ पर कम टैक्स दोना पड़ेगा… लॉन्ग-टर्म गेन पाने के लिए योग्य होने की खातिर किसी जायदाद को रखने (होल्डिंग पीरियड) की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल कर दी गई है… मौजूदा कर-नियमों के मुताबिक यदि कोई संपत्ति खरीदे जाने के तीन साल के भीतर बेच दी जाती है, तो सौदे में हुए लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है, और उस पर उसी स्लैब के तहत कर वसूला जाता है, जिस स्लैब में विक्रेता आता है
*अब व्यक्तिगत करदाताओं को 50,000 रुपये मासिक से ज़्यादा बड़ी किराये की रकम पर 5 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा… टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से सुनिश्चित हो सकेगा कि जो लोग किराये से बड़ी रकमें कमा रहे हैं, वे टैक्स के दायरे में आएं… यह नियम 1 जून, 2017 से लागू होगा…
*नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से आंशिक निकासी पर टैक्स नहीं लगेगा… प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, कोई भी एनपीएस सब्सक्राइबर रिटायरमेंट से पहले ही अपने कुल अंशदान का 25 प्रतिशत एमरजेंसी की स्थिति में निकाल सकता है… याद रखें कि रिटायरमेंट पर कुल अंशदान की 40 प्रतिशत निकासी करमुक्त है…
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>कारोबारी या बिजनेसमैन के लिए बजट के मायने:
-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) कंपनियों को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये तक का वार्षिक कारोबार करने वाली छोटी कंपनियों के लिए आयकर घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.
- सरकार ने न्‍यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) का उपयोग 10 वर्ष की बजाय 15 वर्ष की अवधि तक करने की अनुमति दी. बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है. 
-एलएनजी पर मूल सीमा शुल्‍क पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया गया है.
-सरकार ने पिछले साल कुछ निश्चित शर्तों पर स्‍टार्ट अप्‍स को भी आयकर में रियायत दी थी. ऐसे स्‍टार्ट अप्‍स के संबंध में हानियों को बाद के वर्षों के लेखा-जोखा में समाहित करने के लिए मताधिकार के 51 प्रतिशत की निरंतर शेयरधारिता बनाये रखने की शर्त में इस शर्त के अधीन ढील दी गई है कि मूल प्रोमोटर/प्रोमोटरों की शेयरधारिता जारी रहेगी. इसके अलावा स्‍टार्ट अप्‍स को 5 में से 3 वर्षों के लिए लाभ से जुड़ी कटौती की रियायत को बदलकर 7 में से 3 वर्ष किया जा रहा है.

-बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को  7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया है. इससे बैंकों की देनदारी कम होगी. उन्‍होंने सभी अनुसूचित बैंकों के अनुसार सभी गैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों के एनपीए खातों के संबंध में एक्रूअल आधार की बजाय वास्‍तविक प्राप्ति पर प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज पर कर लगाने का प्रस्‍ताव किया गया है. इससे ब्‍याज आय प्राप्‍त न होने पर भी कर भुगतान करने का कष्‍ट समाप्‍त होगा.

-छोटो करदाताओं के लिए जिनकी आय किसी बिजनेस ये पेशे से होती है के लिए अब बहुत ही आसान एक पेज का टैक्स रिटर्न फॉर्म उपलब्ध होगा।
-आयकर की धारा 143 के अंतर्गत पहली बार टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं की स्क्रूटनी नहीं की जाएगी।
-मैट के दायरे में आने वाले छोटे व्यापारी अब 15 साल के अपने घाटे को कैरी फॉवर्ड कर सकेंगे, पहले यह सीमा 10 साल थी।
-करदाताओं के पास अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में छूट प्राप्त करने के ज्यादा विकल्प होंगे, ऐसा वो मान्य बॉन्ड में निवेश कर कर सकेंगे। आयकर की धारा 54EC के अंतर्गत 50 लाख तक का (u/s) लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
-कॉल सेंटर का कारोबार करने वाले व्यक्ति की तरफ से किए जाने वाले टीडीएस भुगतान की दर को घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह दर 10 फीसदी थी।
-2 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले छोटे बिजनेसमैन की ओर से डिजिटल माध्यम (चेक, डीडी या बैंक के माध्यम से ईसीएस) से किए जाने वाले प्रकल्पित कराधान की दर (Rate of presumptive taxation) को 8 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
-पेशेवरों के लिए मार्च तक एक किश्त में अग्रिम कर का भुगतान करना आवश्यक होगा। अभी तक ऐसे लोग तीन किश्तों में भुगतान करते हैं।
-1 अप्रैल 1981 से लेकर 1 अप्रैल 2001 तक प्रॉपर्टी शिफ्टर की काउंटिंग कास्ट का बेस रेट निश्चित रूप से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कम कर देगा, जिससे की टैक्स देनदारी भी कम हो जाएगी
-किसी भी बिजनेस या पेशे से आय अर्जित न करने वाले छोटे करदाताओं के लिए अधिक सरल और एक पेज का इनकम टैक्‍स रिटर्न फॉर्म पेश किया गया है।

> 3 लाख रुपए तक आय कर मुक्त कैसे:
 वैसे तो 2.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर कर नहीं देना है लेकिन 2.5-5 लाख रुपए आयकर के दायरे में आने वालों को 2,500 रुपए अतिरिक्त कर छूट मिलेगी, जो कि पहले 5 हजार रुपए थी। अगर 2,500 रुपए और कर छूट मिल रही है और इस स्लैब में आने वालों पर कर की दरें 5% कर दी गई है जो कि पहले 10% थी, तो इसका मतलब हुआ कि 2.5 लाख के अलावा और 50 हजार (50,000X5/100=2,500 रु.) यानी कुल 3 लाख 
रुपए तक की सालाना करमुक्त है। 

>4.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर ऐसे बचेगा आयकर :
-2,500   रुपए अतिरिक्त कर छूट के साथ कर 3 लाख रुपए सालाना इनकम कर मुक्त 
-आयकर की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपए सालाना निवेश करमुक्त यानी 3 लाख +1.5 लाख= 4.5 लाख रुपए की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स 

>धारा 80 सी के तहत आने वाले निवेश साधन:
-पीपीएफ: पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में पैसे डालकर आप अपना भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. पीपीएफ में किया गया निवेश टैक्स फ्री है साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज भी  टैक्स फ्री है. साथ ही मैच्योरिटी के समय मिलने वाली राशि भी टैक्स फ्री होती है. पीपीएफ में 15 साल का लॉक इन  पीरियड होता है लेकिन पीपीएफ में निवेश की गई राशि का 50 फीसदी हिस्सा आप 7 साल बाद निकाल सकते हैं.
-सुकन्या समृद्धि योजना (सिर्फ दो बेटियों तक ही सुविधा सीमित): मोदी सरकार ने ख़ासतौर से बेटियों के लिए एक स्कीम शुरू की थी जिसके जरिए आप बेटी का भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. बैंक या पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि अकाउंट खुलवाकर हर साल कम से कम 1000 और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. इस पर मिलने वाले ब्याज़ की समीक्षा होती रहती है। बेटी के 21 साल के होने पर ही ये पैसे निकाल सकते हैं. इस कोष में डाली गई रकम पर भी आपको टैक्स बेनेफिट मिलता है.
-जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान
-पेंशन योजना जैसे एनपीएस
-म्युचुअल फंड के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश
-राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी-नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट) में निवेश
-टैक्स सेविंग बैंक एफडी (कर बचाने वाले मीयादी जमा बैंकों द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाता है। ब्याज भी कर योग्य होते हैं।)
-आवासीय ऋणों के मूलधन अदायगी के लिए भुगतान. इसके अलावा किसी भी पंजीकरण शुल्क या स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान.
-बच्चों के लिए किसी भी स्कूल या कॉलेज या विश्वविद्यालय या इसी तरह की संस्था को ट्यूशन फीस के रूप में किया गया भुगतान. (केवल 2 बच्चों के लिए) या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग शुल्क के लिए.
-डाकघर निवेश

> और कहां-कहां निवेश पर छूट: 
-धारा 80CCF: इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश
-धारा 80 डी: 8. मेडिकल इंश्योरेंसः इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत 25,000 रुपये तक का मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम टैक्स फ्री है. यदि आपने अपने माता-पिता का भी मेडिक्लेम किया है और उनकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है, तो 30,000 रुपये तक की प्रीमियम राशि करमुक्त होगी यानी साल में आप 55 हज़ार टैक्स बचा सकते हैं. धारा 80 डी- 15,000 रुपये का मेडिकल इन्श्योरेंन्स खुद के लिए, पति या पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए कटेगा और 20,000 रुपये मेडिकल इन्श्योरेंन्स अपने 60 वर्ष से ऊपर माता-पिता के लिए.

-आवास लोन के ब्याज पर (जब हम ईएमआई भरते हैं तो उसमें मूलधन के अलावा ब्याज भी जुड़ा रहता है। आपकी ईएमआई में  ब्याज का कितना हिस्सा है, इसे आप अपने बैंक से बात करके पता कर सकते हैं।) ख़ुद की प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए होम लोन पर दिया गया 2 लाख तक का ब्याज टैक्स फ्री रहेगा. यदि पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो दोनों के नाम पर लोन होने से दोनों को टैक्स बेनिफिट मिलेगा. तो किराया देने से बेहतर है कि खुद का घर खरीदें और ईएमआई चुकाने पर टैक्स बचाएं. होम लोन के लिए अदा किए गए ब्याज़ पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट है.

-डोनेशन देने पर भी आप छूट के हकदार होते हैं। लेकिन इसके तहत लाभ पाने के लिए कुछ शर्तें हैं। छूट की सीमा इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस संस्थान को डोनेशन दिया है। लेकिन अगर आप 2000 रुपये से ज्यादा डोनेशन नकद देते हैं तो आपको छूट नहीं मिलेगी।
- 80 सीसीडी के तहत एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) के रूप में 50,000 रुपये का निवेश टैक्स फ्री है. सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख टैक्स बचाने के साथ ही आप एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) में सालाना 50,000 रुपये तक निवेश करके टैक्स छूट का फ़ायदा उठा सकते हैं. 2015 के बजट में सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80 सीसीडी के तहत सालाना 50,000 रुपये एनपीएस में निवेश को करमुक्त कर दिया. तो इस स्कीम का फायदा उठाएं और पैसा बचाने के साथ टैक्स भी बचाएं.
-यदि आप 80सी के तहत निवेश नहीं कर पाए हैं तो हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए के जरिए भी टैक्स सेविंग कर सकते हैं. किराए के मकान में रहते  हैं, तो रेंट स्लिप दिखाकर एक निश्‍चित सीमा तक टैक्स में छूट का फायदा उठा सकते हैं.

 उपरोक्त निवेश साधनों का इस्तेमाल एक व्यक्ति को कर के रूप में धन का भुगतान करने से बचाता है यदि वह कर दायरे में आता है, इसे एक निवेश-लाभ के अवसर के रूप में अधिक देखा जाना चाहिए। व्यक्ति को तब भी आयकर दाखिल करना चाहिए, जब वह कोई कर नहीं दे रहा है। ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) और एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) को छोड़कर, 80C के तहत अन्य योजनाएं आम तौर पर एक अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त निवेश और लाभ की गारंटी प्रदान करती हैं।

-लीव ट्रेवल अलाउंसः यदि कंपनी आपको ट्रैवलिंग अलाउंस देती है, तो 19,200 रुपये तक किए गए खर्च पर टैक्स नहीं लगेगा. लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत एक सीमा के भीतर घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है.

>अगर 2017-18 में आसानी से कुल कर बचत की बात करें, तो 3 लाख + 1.50 लाख (80 सी वाला निवेश साधन) + 50 हजार (एनपीएस पर अतिरिक्त 50 हजार) + 55 हजार (मेडिकल इंश्योरेंस पर) + 2 लाख (होम लोन के ब्याज पर) + 2,000 (डोनेशन देने पर) = 7,57,000 रुपए यानी सालाना इनकम पर आप टैक्स बचा सकते हैं। 

((आम बजट 2017-18: आपको कितना इनकम टैक्स देना होगा, जानिए...
((आम बजट 2017-18: अब 2.5-5 लाख की सालाना करयोग्य आमदनी पर 10% के बजाय 5% टैक्स देना पड़ेगा
((आम बजट: 2017-18- जानिए किस सेक्टर के लिए कितनी राशि का आवंटन किया गया
((आम बजट 2017-18: कारोबार को सुगम बनाने के लिए कई घोषणाएं
((आम बजट 2016-17 को ग्राफिक्स के जरिए जानें 
((आम बजट 2016-17: आपके पैसों से जुड़े प्रस्ताव और उनके संभावित असर 
((वित्त वर्ष 2016-17 के वित्तीय सफर को कैसे बनाएं शानदार 
((आम बजट 2016-17: इनकम टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं, लेकिन छोटे करदाताओं, किराएदारों को बड़ी राहत
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((कैसे करें  ऑनलाइन IT रिटर्न फाइल, जानें beyourmoneymanager पर
((आयकर (इनकम टैक्स) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(फिशिंग (जालसाजी) क्या है, कैसे होते हैं इसके नमूने, इससे बचाव के उपाय
((इनकम टैक्स का नोटिस मिला है, क्या करूं ? 
((टैक्स फ्री बॉन्ड, एफडी, पीपीएफ में बेहतर कौन ? 
((सुकन्या समृद्धि योजना (SSY),PPF या फिर टैक्स सेविंग FD !
((NPS और PF में से बेहतर कौन ?
((अबकी बार, अप्रैल से ही शुरू कर दें टैक्स प्लान 
((अप्रैल खत्म, टैक्स प्लानिंग की गाड़ी आगे बढ़ी या नहीं
((इनकम टैक्स कितना है चुकाना, मुश्किल नहीं गणना करना (वित्त वर्ष 2015-16 के लिए)
((आय के संयोजन (Clubbing of Income) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स-Capital Gains) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
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((जाने कर मुक्त (टैक्स फ्री) आमदनी के बारे में
((गृह संपत्ति के तहत किस आमदनी पर कर लागू किया जाता है ?
(उपहार को लेकर कर के प्रावधानों के बारे में जानें
((टैक्सपेयर्स की आय में कौन-कौन सी कैटेगरी शामिल है
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Rajanish Kant