भारतीय इकोनॉमी की डराने वाली तस्वीर, 1980 के बाद पहली तिमाही गिरावट


सरकार ने इस वित्त वर्ष की जून तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए। आंकड़े काफी डराने वाले हैं। सालाना आधार जून तिमाही (अप्रैल-जून 2020-21) में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। 1980 के बाद जीडीपी में पहली गिरावट है। कोरोना महामारी की वजह से किए गए लॉकडाउन ने हमारी इकोनॉमी को तहस-नहस कर दिया है। ये आंकड़े नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस द्वारा जारी किए गए। 

1996 से तिमाही जीडीपी आंकड़े जारी किए जाने की शुरुआत हुई, तबसे लेकर अब तक भारतीय इकोनॉमी में पहली तिमाही गिरावट है। 1996 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारतीय इकोनॉमी ने सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत की दर से विकास किया था जो कि पिछले 17 सालों की सबसे कम तिमाही ग्रोथ है। 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 6.1 प्रतिशत थी जो कि वित्त वर्ष 2019-20 में कम होकर 4.2 प्रतिशत पर आ गई। ये 11 साल की सबसे कम जीडीपी ग्रोथ है। 

निराशाजनक जीडीपी आंकड़े जारी करने वाले देश में सिर्फ भारत अकेला नहीं है। चीन ने हालांकि अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर 3.20 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ दर्ज करने में कामयाब रहा, लेकिन इस दौरान यूके की इकोनॉमी में 21.7 प्रतिशत, जर्मनी की 10.10 प्रतिशत जबकि अमेरिका की 9.10 प्रतिशत की गिरावट आई। 

जीडीपी आंकड़े डीटेल्स में देखने के लिए इस लिंक पर जाएं






 

Rajanish Kant सोमवार, 31 अगस्त 2020
RBI committed to mitigate the impact of COVID-19 and restore the economy to a path of sustainable growth


While announcing special open market operations on August 25, 2020 the Reserve Bank stated that it would continue to monitor evolving liquidity and market conditions and take measures as appropriate to ensure orderly functioning of financial markets.

2. Recently, market sentiment has been impacted by concerns relating to the inflation outlook and the fiscal situation amidst global developments that have firmed up yields abroad.

3. On the outlook for inflation, the resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) on August 6, 2020 identified the sources of inflation pressures and expected that although headline inflation may remain elevated in Q2:2020-21, it would moderate in H2:2020-21. Accordingly, the MPC decided to pause and remain watchful and use the available space judiciously to support the revival of the economy. There are indications that food and fuel prices are stabilising and cost push factors are moderating. In addition, the recent appreciation of the rupee is working towards containing imported inflationary pressures. The RBI remains vigilant about these developments. In support of the accommodative stance of monetary policy, the RBI is committed to ensuring comfortable liquidity and financing conditions in the economy.

4. Notwithstanding an augmented market borrowing programme for 2020-21, the RBI has managed the borrowing calendar for the first half of the year seamlessly, completing more than 90 per cent of scheduled borrowings of the Centre and States in H1:2020-21. The RBI has assured that the borrowing programme of the Centre and States for the year 2020-21 will be completed in a non-disruptive manner.

5. In order to continue to ensure orderly market conditions and congenial financial conditions, the following measures are being announced:

  1. The Reserve Bank will conduct additional special open market operation involving the simultaneous purchase and sale of Government securities for an aggregate amount of ₹20,000 crore in two tranches of ₹10,000 crore each. The auctions would be conducted on September 10, 2020 and September 17, 2020. The RBI remains committed to conduct further such operations as warranted by market conditions.

  2. The Reserve Bank will conduct term repo operations for an aggregate amount of ₹100,000 crore at floating rates (i.e., at the prevailing repo rate) in the middle of September to assuage pressures on the market on account of advance tax outflows. In order to reduce the cost of funds, banks that had availed of funds under long-term repo operations (LTROs) may exercise an option of reversing these transactions before maturity. Thus, the banks may reduce their interest liability by returning funds taken at the repo rate prevailing at that time (5.15 per cent) and availing funds at the current repo rate of 4 per cent. Details are being notified separately.

  3. Currently, banks are required to maintain 18 per cent of their net demand and time liabilities (NDTL) in SLR securities. The extant limit for investments that can be held in HTM category is 25 per cent of total investment. Banks are allowed to exceed this limit provided the excess is invested in SLR securities within an overall limit of 19.5 per cent of NDTL. SLR securities held in HTM category by major banks amount to around 17.3 per cent of NDTL at present. However, there are inter-bank variations with some banks close to the 19.5 per cent of NDTL limit. Accordingly, it has been decided to allow banks to hold fresh acquisitions of SLR securities acquired from September 1, 2020 under HTM up to an overall limit of 22 per cent of NDTL up to March 31, 2021 which shall be reviewed thereafter. Details are being notified separately.

  4. The RBI stands ready to conduct market operations as required through a variety of instruments so as to ensure orderly market functioning.

6. The RBI remains committed to use all instruments at its command to revive the economy by maintaining congenial financial conditions, mitigate the impact of COVID-19 and restore the economy to a path of sustainable growth while preserving macroeconomic and financial stability.


(साभार-www.rbi.org.in)





 

Rajanish Kant
जून तिमाही में बैंकों में पैसे जमा करने की दर बढ़ी, लोन लेने की दर घटी- RBI रिपोर्ट

भारिबैं द्वारा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमा और ऋण राशियों पर जून 2020
तिमाही के लिए सांख्यिकी का प्रकाशन


भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने भारतीय अर्थव्यवस्था का डेटाबेस (DBIE) पोर्टल पर “अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमा और ऋण राशियों पर जून 2020 तिमाही के लिए सांख्यिकी का प्रकाशन” जारी किया (वेब-लिंक: https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!3)। कुल क्रेडिट और डिपॉजिट संबंधी डेटा को उसके प्रकार के अनुसार विभक्त करते हुए राज्य/संघ शासित प्रदेशों (यूटी), जिला, केंद्रों, जनसंख्या समूहों और बैंक समूहों में वर्गीकृत किया गया है। ये डेटा मूलभूत सांख्यिकी विवरणी (बीएसआर) -7 प्रणाली के अंतर्गत अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को भी सम्मिलित करते हुए) से एकत्र किए गए हैं।1

विशेष:

  • जून 2020 की तिमाही में बैंक क्रेडिट वृद्धि दर (वर्षानुवर्ष) एक वर्ष पूर्व के 11.7 प्रतिशत से घटकर 6.4 प्रतिशत हो गई, तथापि ग्रामीण शाखाओं की ऋण वृद्धि दर दुहरे अंकों में दर्ज़ होती रही।

  • सभी बैंक समूहों में ऋण वृद्धि दर में गिरावट पायी गयीः निजी क्षेत्र के बैंकों में ऋण वृद्धि (वर्षानुवर्ष) एक वर्ष पूर्व के 17.5 प्रतिशत से घटकर जून 2020 मे 7.2 प्रतिशत हो गई लेकिन सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए इसमें वृद्धि पाई गई (5.7 प्रतिशत)।

  • सकल जमा राशियों में वृद्धि (वर्षानुवर्ष) एक वर्ष पूर्व के 10.1 प्रतिशत की तुलना में जून 2020 में बढ़कर 11.5 प्रतिशत हो गईः यह वृद्धि सभी जनसंख्या समूहों में एक जैसी पायी गई और सभी बैंक समूहों में जमा राशियों में दुहरे अंकों की वृद्धि दर्ज़ हुई।

  • अखिल भारतीय ऋण-जमा अनुपात (सी-डी रेशियो) पिछली तिमाही के 76.0 प्रतिशत से घटकर जून 2020 में 73.1 प्रतिशत था।

  • समीक्षाधीन तिमाही में अधिकतर राज्यों के लिए ऋण-जमा अनुपात में गिरावट दर्ज़ हुई जबकि महानगरीय शाखाओं, जिनकी बैंकिंग कारोबार में सर्वाधिक बड़ी हिस्सेदारी है, में यह शिखर पर (90.9 प्रतिशत) था। आंध्र-प्रदेश, चंडीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआरटी) दिल्ली और तमिलनाडु में जबकि यह 100 प्रतिशत से भी ऊपर था।

  

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/266


1 जून 2020 के रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए रिटर्न (भारिबैं अधिनियम 1934 की धारा 42 (2) के तहत संकलित) पर आधारित सकल डेटा का प्रकाशन पहले हमारी वेबसाइट (होम> स्टैटिस्टिक्स> डेटा रिलीज>फोर्टनाइटली - शेडयूल्ड बैंक'स स्टेटमेंट ऑफ पोजीशन इन इंडिया) पर किया गया था और चयनित बैंकों के आधार पर जून 2020 के लिए बैंक क्रेडिट डेटा की मासिक सकल स्तरीय क्षेत्रीय तैनाती भी हमारी वेबसाइट (होम> स्टैटिस्टिक्स> डेटा रिलीज> मंथली> बैंक क्रेडिट की क्षेत्रीय तैनाती पर डेटा) पर प्रकाशित की गई थी।


(साभार-www.rbi.org.in)






 

Rajanish Kant
अप्रैल-जुलाई में पांच कंपनियों ने एनसीडी से 882 करोड़ रुपये जुटाए

पांच कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह (अप्रैल-जुलाई) में गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) के खुदरा निर्गम के जरिये 882 करोड़ रुपये की राशि जुटाई है। इन कंपनियों ने अपने बही-खातों को मजबूत करने के लिए एनसीडी के जरिये धन जुटाया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार 2019-20 की अप्रैल-जुलाई की अवधि में कंपनियों ने एनसीडी के जरिये 4,177 करोड़ रुपये जुटाए थे।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों ने यह राशि कोविड-19 की वजह से प्रभावित अपने बही-खातों को मजबूत करने, कर्ज का भुगतान करने और अपनी कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जुटाई है।

आंकड़ों के अनुसार पांच कंपनियों...मुथूटु मिनी फाइनेंसर्स और मुथूट फिनकॉर्प, कोसमट्टम फाइनेंस, केएलएम एक्सिवा फिनवेस्ट तथा शक्ति फाइनेंस ने 13 जुलाई तक एनसीडी के खुदरा निर्गम के जरिये कुल 882 करोड़ रुपये की राशि जुटाई है। एनसीडी ऋण से जुड़े बांड होते हैं, जिन्हें शेयरों में नहीं बदला जा सकता। इनपर परिवर्तनीय डिबेंचरों की तुलना में ब्याज दर ऊंची होती है। 

(साभार-पीटीआई भाषा)






Rajanish Kant
मुंबई हवाईअड्डे में जीवीके की हिस्सेदारी खरीदेगा अडाणी समूह, कुल हिस्सा 74 प्रतिशत पर पहुंचेगा

अडाणी समूह मुंबई हवाईअड्डे में जीवीके समूह की हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह ने सोमवार को कहा कि इस अधिग्रहण के बाद मुंबई हवाईअड्डे में उसकी कुल हिस्सेदारी बढ़कर 74 प्रतिशत हो जाएगी। इसके साथ ही समूह देश का का सबसे बड़ा निजी हवाईअड्डा परिचालक हो जाएगा।

शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा गया है कि अडाणी समूह की प्रमुख होल्डिंग कंपनी अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लि. (एएएचएल) ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लि. (मायल) में जीवीके एयरपोर्ट डेवलपर्स लि. (एडीएल) के ऋण के अधिग्रहण के लिए करार किया है। इस ऋण को इक्विटी में बदला जाएगा।

इससे अडाणी समूह के पास मायल में जीवीके समूह की पूरी 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी आ जाएगी। इसके अलावा अडाणी समूह मायल में अल्पांश शेयरधारकों एयरपोर्ट्स कंपनी ऑफ साउथ अफ्रीका (एसीएसए) तथा बिडवेस्ट की 23.5 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण भी करेगा।

अडाणी समूह ने कहा कि वह मायल में एसीएसए तथा बिडवेस्ट की 23.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए भी कदम उठाएगा। इसके लिए उसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की मंजूरी मिल चुकी है।

समूह ने कहा, ‘‘जीवीके एडीएल के अधिग्रहण के बाद वह आवश्यक परंपरागत और नियामकीय मंजूरियां हासिल करने के लिए कदम उठाएगा, जिससे मायल में वह नियंत्रक हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर सके।’’

जीवीके ने शेयर बाजारों को अलग से भेजी सूचना में कहा है कि उसने अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लि. के साथ सहयोग की सहमति दी है। इसके तहत अडाणी समूह की कंपनी गोल्डमैन सैश की अगुवाई वाले गठजोड़ तथा एचडीएफसी सहित विभिन्न ऋणदाताओं से ऋण का अधिग्रहण करेगी। इस ऋण को परस्पर सहमति वाली शर्तों के तहत इक्विटी में बदला जाएगा।

दोनों कंपनियों ने इस सौदे के वित्तीय पक्ष का खुलासा नहीं किया है। अडाणी समूह ने कहा कि वह मायल में निवेश करेगा और साथ ही नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए वित्त का प्रबंध करने में भी मदद करेगा जिससे इसका निर्माण शुरू हो सके। मायल की हवाईअड्डे में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

जीवीके के संस्थापक एवं चेयरमैन जीवीके रेड्डी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी से विमानन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस महामारी से यह क्षेत्र कई साल पीछे चला गया है। इससे मायल की वित्तीय स्थिति भी प्रभावित हुई है।’’

रेड्डी ने कहा, ‘‘इन परिस्थतियों में मायल की वित्तीय स्थिति में सुधार तथा नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए वित्त का प्रबंध करने को जल्द से जल्द वित्तीय रूप से मजबूत निवेशक लाने की जरूरत थी। यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है।’’

अडाणी समूह ने मार्च, 2019 में साउथ अफ्रीकन कंपनी, बिडवेस्ट की 13.5 प्रतिशत हिस्सेदारी का 1,248 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने की सहमति दी थी। लेकिन जीवीके समूह ने पहले इनकार के अधिकार का हवाला देते हुए इस सौदे को रोक दिया था। हालांकि, जीवीके बिड सर्विसेज डिविजन मॉरीशस (बिडवेस्ट) की हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए और पैसा नहीं ला पाई और यह मामला अदालत में चला गया।

वित्तीय दिक्कतों की वजह से जीवीके समूह अब अपनी हिस्सेदारी अडाणी समूह को बेचने के लिए सहमत हुआ है।

उसका मुंबई हवाईअड्डे में जीवीके समूह की हिस्सेदारी खरीदने और नियंत्रण हासिल करने का करार हो गया है। बंदरगाहों के बाद अब अडाणी समूह हवाईअड्डा क्षेत्र पर बड़ा दांव लगा रहा है। उसे विमानपत्तन प्राधिकरण-निर्मित छह गैर-महानगर हवाईअड्डों...लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी, अहमदबाद, तिरुवनंतपुरम और मेंगलूर के परिचालन का अधिकार मिल चुका है। अब समूह देश के दूसरे सबसे व्यस्त हवाईअड्डे के परिचालन का अधिकार हासिल करने जा रहा है।

एसीएसए के पास मायल की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के पास है।

पिछले साल अक्टूबर में कर्ज के बोझ से दबे जीवीके समूह ने जीवीके एयरपोर्ट होल्डिंग्स में अपनी 79 प्रतिशत हिस्सेदारी अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) तथा कनाडा की पब्लिक सेक्टर पेंशन (पीएसपी) इन्वेस्टमेंट्स और सार्वजनिक क्षेत्र के राष्ट्रीय निवेश एवं संरचना कोष (एनआईआईएफ) को 7,614 करोड़ रुपये में बेचने के लिए करार किया था। इस राशि का इस्तेमाल जीवीके समूह को अपनी होल्डिंग कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिए करना था।

जीवीके ने कहा कि उसने एडीआईए, एनआईआईएफ तथा पीएसपी को सूचित कर दिया है कि इस सौदे से संबंधित दस्तावेज को रद्द किया जाता है। अब यह प्रभावी और क्रियान्वयन योग्य नहीं रह गया है।

इस बीच, अडाणी समूह द्वारा मुंबई हवाईअड्डे में जीवीके की हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने की घोषणा से समूह की कंपनियों के शेयरों में सोमवार को कारोबार के दौरान 7.6 प्रतिशत का उछाल आया। बीएसई में अडाणी ग्रीन एनर्जी का शेयर 7.65 प्रतिशत चढ़ गया, वहीं अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीसेज) का शेयर 5.24 प्रतिशत के लाभ में था। अडाणी पावर का शेयर भी 4.97 प्रतिशत की बढ़त में कारोबार कर रहा था। समूह की अन्य कंपनियों के शेयर भी लाभ में चल रहे थे।

(साभार-पीटीआई भाषा)






Rajanish Kant
ऋण भुगतान छूट का लाभ लेने वाली ज्यादातर कंपनियां काोविड-19 से पहले ही संकट में थीं : क्रिसिल

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की सुविधा का लाभ लेने वाली ज्यादातर कंपनियां कोविड-19 महामारी से पहले से संकट में थीं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इन कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे की है।

ऋण भुगतान छूट की अवधि सोमवार यानी आज समाप्त हो रही है। इसी दिन एजेंसी की से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने कर्ज भुगतान में छूट का लाभ लेने वाली गैर-वित्तीय क्षेत्र की 2,300 कंपनियों का विश्लेषण किया है। विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि इनमें से 75 प्रतिशत कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे है।

कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को राहत के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च में कर्ज की किस्त के भुगतान की छूट दी थी। हालांकि, ऐसे खातों पर ब्याज बढ़ता रहेगा, लेकिन इसे कर्ज भुगतान में चूक या डिफॉल्ट की श्रेणी में नहीं डाला जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि पिछली कई तिमाहियों से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)त् की वृद्धि दर लगातार नीचे आ रही है। जनवरी-मार्च की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी।

क्रिसिल के नोट में कहा गया है कि चार में तीन कंपनियों की रेटिंग निवेश ग्रेड से नीचे की है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां महामारी से पहले से अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से संकट में थीं।

नोट में कहा गया है कि ऋण भुगतान पर रोक से मध्यम आकार की निवेश ग्रेड से कम यानी बीबी प्लस या उससे नीचे की रेटिंग वाली कंपनियों को बेहद जरूरी नकदी समर्थन मिला। चार में से सिर्फ एक कंपनी ऐसी थी जिसकी रेटिंग निवेश ग्रेड की थी।

क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक सुबोध राय ने कहा, ‘‘महामारी से हालांकि सभी क्षेत्र प्रभावित हुए लेकिन कम बचाव क्षमता वाली कंपनियों ने इस छूट का लाभ अधिक लिया है।’’

नोट में कहा गया है कि बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों मसलन रत्न एवं आभूषण, होटल, वाहन कलपुर्जा, वाहन डीलर, बिजली, पैकेजिंग, पूंजीगत सामान और कलपुर्जा क्षेत्र की करीब 20 प्रतिशत कंपनियों ने ऋण भुगतान में छूट की सुविधा का लाभ उठाय। वहीं कम प्रभावित क्षेत्रों...फार्मास्युटिकल्स, रसायन, एफएमसीजी, द्वितीयक इस्पात और कृषि से जुड़ी सिर्फ 10 प्रतिशत कंपनियों ने ऋण भुगतान में छूट का लाभ लिया।

एजेंसी ने कहा कि ऋण भुगतान में छूट का लाभ लेने में कारोबार के आकार की भी भूमिका रही। छोटी कंपनियों ने छूट का लाभ अधिक लिया। 300 करोड़ से 1,500 करोड़ रुपये के कारोबार वाली मध्यम आकार की ऋण छूट का लाभ लेने वाली कंपनियों की संख्या 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों का तीन गुना रही।

(साभार-पीटीआई भाषा)






Rajanish Kant