अगर आप सीनियर सिटीजन हैं तो प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) में पैसे लगाने जा रहे हैं या फिर लगा चुके हैं तो आपके लिए जरूरी खबर है। दरअसल, सरकार ने प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) के लिए आधार को जरूरी बना दिया है। वित्त मंत्रालय ने इस बारे में 23 दिसंबर, 2019 को अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसमें स्कीम में निवेश करने वाले वरिष्ठ नागरिकों से कहा गया है कि वे अपने आधार नंबर का प्रूफ जमा करें या आधार सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करें।
पीएमवीवीवाई वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक पेंशन स्कीम है। एलआईसी के जरिये इसमें निवेश किया जा सकता है। यह स्कीम की घोषणा केंद्रीय बजट 2017-18 और 2018-19 में की गई थी।
अधिसूचना के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति के पास आधार नंबर नहीं है तो उसे स्कीम के फायदे उठाने के लिए आधार एनरोलमेंट कराने की जरूरत होगी.
आधार नंबर के लिए एनरोलमेंट हो जाने पर सीनियर सिटीजंस को आधार एनरोलमेंट आइडेंटिफिकेशन स्लिप या फिर नीचे दिए गए दस्तावेजों में से किसी एक को देने की जरूरत होगी-
1. बैंक पासबुक या फोटो सहित ऑफिस पासबुक,
2. राशन कार्ड,
3. मतदाता पहचान पत्र,
4. पैन कार्ड,
5. ड्राइविंग लाइसेंस,
6. पासपोर्ट,
7. मनरेगा कार्ड,
8. किसान फोटो पासबुक,
9. गजटेड ऑफिसर की ओर से जारी सर्टिफिकेट ऑफ आइडेंटिटी
10. विभाग से निर्दिष्ट कोई अन्य दस्तावेज
अधिसूचना में आगे कहा गया है कि अगर खराब बायोमेट्रिक्स या अन्य किसी कारण से आधार ऑथेंटिकेशन फेल रहता है तो इसके लिए दूसरे तरीके अपनाए जाएंगे। इनमें इंटीग्रेटेड रिस्क इनफॉर्मेशन सिस्टम या फेस ऑथेंटिकेशन, आधार वन-टाइम पासवर्ड इत्यादि जैसे तरीके शामिल हैं।
-निवेश करने की अधिकतम सीमा ₹15 लाख
--कम से कम डेढ़ लाख निवेश करना है....
-10 साल तक हर महीने प्रति माह
पेंशन अधिकतम ₹10,000
-निवेश करने की अंतिम समय सीमा
31 मार्च, 2020 तक
-4 मई, 2017 को एक साल
के लिए शुरू किया गया था,
जिसकी अवधि बढ़ा दी गई
-LIC के जरिये इसमें ऑनलाइन
या ऑफलाइन निवेश की सुविधा
-60 साल या उससे अधिक उम्र वालों
के लिए स्कीम, अधिकतम उम्र की कोई
सीमा नहीं है
-पैसा आपको एक बार में जमा करना होगा, किस्तों में नहीं
-पेंशन धारक को मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक और वार्षिक
तौर पर पेंशन का भुगतान किया जाएगा
-पेंशन का भुगतान एनईएफटी(NEFT) द्वारा
या आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के माध्यम
से किया जाएगा।
- 10 साल के लिए हर साल 8% मासिक देय
(8.30% प्रतिवर्ष प्रभावी के समतुल्य) का
निश्चित रिटर्न सुनिश्चित कराती है
-योजना की खरीदारी के समय पेंशनर द्वारा चुनी गई
मासिक/तिमाही/छमाही /सालाना आवृत्ति के
अनुसार 10 साल की पॉलिसी अवधि के दौरान हर
अवधि के अंत में पेंशन देय है
-इस योजना को सेवा कर और जीएसटी से छूट दी गई है
-मैच्योरिटी बेनेफिट-10 साल की पॉलिसी अवधि के अंत तक
पेंशनधारक के जीवित रहने पर योजना के क्रय मूल्य यानि शुरुआती
निवेश की रकम के साथ पेंशन की अंतिम किस्त का भुगतान किया
जाएगा
-डेथ बेनेफिट-10 वर्षों की पॉलिसी अवधि के दौरान पेंशनधारक की मृत्यु पर
लाभार्थी को क्रय मूल्य या शुरुआती निवेश का भुगतान किया
जाएगा।
-लोन की भी सुविधा- तीन पॉलिसी वर्ष (नकदी की जरूरतों
को पूरा करने के लिए) के अंत में क्रय मूल्य यानी शुरुआती
निवेश के 75% तक ऋण लेने की अनुमति दी जाएगी।
ऋण के ब्याज का भुगतान पेंशन की किस्तों से किया
जाएगा और ऋण की वसूली दावा प्रक्रिया से की जाएगी
-इस योजना में अधिकतम पेंशन राशि के मापदंड
पूरे परिवार के लिए है. यहाँ परिवार का अर्थ पेंशनभोगी,
पति या पत्नी और आश्रित शामिल हैं
-सरेंडर वैल्यू- मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की अनुमति है। इस योजना
में स्वयं या पति या पत्नी की किसी भी गंभीर/टर्मिनल बीमारी के
इलाज के लिए समयपूर्व निकासी की अनुमति भी है। ऐसे समयपूर्व
निकासी के मामले में योजना क्रय मूल्य यानी शुरुआती निवेश की
98% राशि वापस की जाएगी
-पॉलिसीहोल्डर द्वारा खुदकुशी किए जाने पर
नॉमिनी या लाभार्थी को क्रय कीमत यानी शुरुआती
निवेश वापस कर दिया जाएगा
-ब्याज की गारंटी के बीच अंतर और अर्जित वास्तविक
ब्याज और प्रशासन से संबंधित खर्च के कारण होने
वाली कमी के लिए वित्तीय सहायता भारत सरकार
द्वारा की जाएगी और इसकी निगम यानी एलआईसी
को प्रतिपूर्ति की जाएगी
-अगर एलआईसी इस योजना के फंड पर रिटर्न
जेनरेट नहीं कर पाती है तो उसकी भरपाई सरकार
द्वारा सब्सिडी से की जाएगी
-पॉलिसी खरीदने के बाद पॉलिसी की शर्तों से
संतुष्ट नहीं होने पर 15 दिनों के भीतर, ऑनलाइन
खरीदने पर 30 दिनों के भीतर पॉलिसी वापस कर
सकते हैं। स्टैंप ड्यूटी और अगर कोई पेंशन भुगतान
किया गया हो, उतना घटाकर पॉलिसीहोल्डर को बाकी
पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
-पॉलिसी लेते समय गलत जानकारी देने पर
पॉलिसीहोल्डर का क्लेम खारिज किया जा
सकता है
-आयकर 1961 की धारा 80C के तहत इस योजना के
तहत जमा की गई राशि करमुक्त है। हालांकि जमा
हुई राशि से अर्जित ब्याज पर आपको आयकर देना
होगा।
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