केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को पुन: गति देने के लिये व्यक्तिगत आयकर की दरों को तर्कसंगत बनाने समेत कुछ अन्य उपायों पर काम कर रही है।
उन्होंने राजधानी में ‘‘एचटी लीडरशिप सम्मेलन’’ में कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये अगस्त और सितंबर में कई उपाय किये हैं। इसके अलावा सरकारी बैंकों ने सावधानी से समझौता न करते हुए उपभोग को बढ़ावा देने के लिये दूर-दराज के इलाकों में पिछले दो महीने में करीब पांच लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘‘ये तरीके हैं जिनसे उपभोग को बढ़ावा दिया जा सकता है। हम एक प्रत्यक्ष तरीका अपना रहे हैं तथा बुनियादी संरचना पर खर्च बढ़ाने का तरीका भी अपना रहे हैं, जिसका असर बुनियादी उद्योगों तथा श्रमिकों तक पहुंचता है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के अन्य उपाय किये जा सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं हां कहती हूं, तब पूछा जाएगा कि कब। फिर पूछा जाएगा कि क्या हम बजट के काफी पास नहीं पहुंच गये हैं। अत: मैं हां नही कह सकती, पर मेरी इच्छा है कि मैं हां कह सकूं। इसके साथ ही मैं नहीं भी नहीं कहूंगी क्योंकि हम और उपायों पर काम कर रहे हैं।’’
लोगों के हाथों में अधिक धन रखने के लिये व्यक्तिगत आयकर की दरों को तर्कसंगत बनाने के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह उन विभिन्न उपायों में से एक है, जिनके ऊपर हम विचार कर रहे हैं।’’ कार्पोरेट कर की दरों में कटौती के बाद यह मांग बढ़ रही है कि व्यक्तिगत आय पर कर भी घटाया जाए ताकि लोगों की क्रयशक्ति बढ़ सके और उपभोक्ता मांग में सुधार हो।
सीतारमण ने आश्वासन दिया कि करदाताओं को परेशान नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा है कि कराधान प्रणाली और अधिक सरल बनने। वह विभिन्न प्रकार की छूटों को भी हटाना चाहती है।
उन्होंने कॉरपोरेट कर का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘अब ये कर अधिक सरल तथा छूटों से मुक्त व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। इस कारण व्यवस्था तंग किए जाने और नियम/कायदे की व्याख्या में मनमानी की शिकायतों से मुक्त हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने करदाताओं को परेशानी से बचाने के लिये प्रत्यक्ष कर का बिना भौतिक उपस्थिति के विश्लेषण शुरू किया और इसे जल्दी ही अप्रत्यक्ष कर के मामले में भी शुरू किया जा सकता है।
सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कहा कि जीएसटी दर की संरचना पर जीएसटी परिषद निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि ‘‘ अंतत: करों को और तार्किक तथा पूरी कर प्रणाली को और अधिक सरल बनना ही होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जहां तक इस कर (जीएसटी) की बात है तो यह जटिल हो रहा है। इसका कारण है कि दरों को अव्यवस्थित ढंग से कम किया जा रहा है। यह इस लिए भी जटिल हो रही क्यों कि अब आप को यह आश्वस्त होना पड़ रहा कि आप जो कर रहे हैं उसमें सब कुछ सही है। इसमें एक प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली के तहत आप को पहले से ज्यादा सूचनाएं देने को कहा जा रहा है। लोग इतनी अधिक सूचनाएं मांगे जाने से उकता जाते हैं। ऐसे में हमारी समस्या दोनों तरफ से है।’
डेटा की प्रमाणिकता के बारे में कयासों पर पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमें डेटा को पुन: विश्वसनीय बनाना होगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार इस बहस से अवगत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बेहतर विश्वसनीयता की दिशा में काम करना होगा। हमें बिना अवरोध के डेटा उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है।’’
उन्होंने विभिन्न हलकों में हो रही अपनी आलोचना के बारे में कहा, ‘‘मैं इससे परेशान नहीं होती। मैं अमानुष नहीं हूं। कई बार मैं भी इससे प्रभावित हो जाती हूं, लेकिन मेरा मानना है कि यह हमारे काम का हिस्सा है। अत: मैं यह नहीं चाह सकती कि ऐसा न हो। ऐसा होगा ही, इसे होने दीजिये। मैं इसका सामना करती हूं।’’
(साभार-पीटीआई भाषा)
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