सोमवार, 25 नवंबर 2019

देश के लोक उपक्रमों को मिलकर अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिये बोली लगानी चाहिए: रिपोर्ट


देश के सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी भू-रणनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिये मिलकर (समूह के रूप में) अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिये बोली लगानी चाहिए। साथ ही इन उपक्रमों को सरकारी सरहायता की योजनाओं को डब्ल्यूटीओ की व्यवस्था के अनुरूप बना कर निर्यात बढ़ाने के प्रयासों में सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

उद्योग मंडल सीआईआई की रिपोर्ट‘ क्या भारतीय पीएसई (सार्वजनिक लोक उपक्रम) भू-रणनीति पहुंच बढ़ा सकती हैं’ में 2022 तक निर्यात बढ़ाने तथा भू-राजनीतिक पहुंच बढ़ाने की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है।

इसमें कई घरेलू और विदेशी बाधाओं को रेखांकित किया गया है जो निर्यात बढ़ाने के लिये पीएसई की क्षमता प्रभावित कर रही हैं। स्वायत्तता का अभाव, विभिन्न प्रक्रियाएं और प्रबंधन अंतर समेत अन्य कारणों से संभावित कारोबारी अवसरों का नुकसान हो रहा है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘पीएसई के लिये अल्पकालीन (5 साल) और दीर्घकालीन (10 साल) रूपरेखा में स्पष्ट तौर पर निर्यात और वृद्धि लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है। इसका उद्देश्य उनकी भू-राजनीतिक पहुंच को बढ़ाने में मदद करना है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मिलकर एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धी क्षमता, अनुभव और शक्तियों का लाभ उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिये बोलियां लगानी चाहिए। उन्हें उन क्षेत्रों में क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों का भी लाभ उठाना चाहिए जहां उन्हें तुलनात्मक लाभ है।

इसमें कहा गया है कि पीएसई की सफलता के लिये दीर्घकालीन राजनीतिक रणनीति और योजना जरूरी है। प्रत्येक नोडल मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय डेस्क होना चाहिए।

ज्यादातर पीएसई निर्यात के कार्य में हैं और उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी है। रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौजूदगी 80 से अधिक देशों में है।

उनमें से कई परंपरागत बाजारों से अफ्रीका और कंबोडिया, लाओस, म्यांमा और वियतनाम जैसे नये बाजारों की ओर जा रहे हैं।

उद्योग मंडल ने भारतीय दूतावासों, नोडल मंत्रालयों, लोक उपक्रमों और उनके संगठनों के बीच सूचनों के साझा करने की बेहतर व्यवस्था का सुझाव दिया है।


(साभार-पीटीआई भाषा)


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