सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अपने पुराने पॉलिसीधारकों को राहत देते हुये उनकी दो साल से ज्यादा समय से बंद पड़ी पॉलिसी को फिर से चालू करने की अनुमति दी है।
एलआईसी के जारी एक बयान में कहा गया है कि अब ऐसी बीमा पॉलिसियां जिन्हें बंद पड़े दो साल से अधिक समय हो चुका है और जिन्हें चालू करने की अनुमति नहीं थी, अब उन्हें आगे बढ़ाया जा सकेगा।
डूबी हुई अथवा बंद पड़ी बीमा पॉलिसी (लैप्स पॉलिसी) से आशय ऐसी बीमा पॉलिसियों से है जो एक निश्चित अवधि के दौरान नियमित तौर पर प्रीमियम नहीं चुकाने पाने के कारण बंद हो जाती हैं।
एलआईसी की विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक जनवरी 2014 के बाद खरीदी गई सामान्य बीमा पॉलिसी के धारक अब प्रीमियम भुगतान नहीं कर पाने की तिथि से पांच साल की अवधि के भीतर और यूनिट-लिंक्ड पॉलिसीधारक अपनी बंद पड़ी पॉलिसी को आखिरी प्रीमियम भुगतान के तीन साल की अवधि के भीतर फिर से चालू कर सकेंगे।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के 2013 के नियमन के मुताबिक बीमा अवधि के दौरान जिस तिथि से प्रीमियम भुगतान नहीं किया गया तब से लेकर दो साल की अवधि के भीतर किसी पॉलिसी को फिर से चालू किया जा सकता है। इरडा का यह नियम एक जनवरी 2014 से अमल में है। इस तिथि के बाद ली गई बीमा पॉलिसी में यदि दो साल से अधिक समय तक प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाता है तो उसे पुन: चालू नहीं किया जा सकता था।
एलआईसी ने कहा कि पॉलिसीधारकों को जीवन बीमा सुविधा को बनाए रखने के लिए उसने इरडा से संपर्क किया। कंपनी ने अनुरोध किया है कि जिन पॉलिसीधारकों ने एक जनवरी 2014 के बाद बीमा पॉलिसी खरीदी है उन्हें भी उनकी बंद पड़ी पॉलिसी को फिर से चालू करने के लिये लंबी अवधि का लाभ दिया जाना चाहिये।
एलआईसी के प्रबंध निदेशक विपिन आनंद ने कहा कि दुर्भाग्यवश कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब कोई व्यक्ति अपना प्रीमियम नियमित तौर पर नहीं भर पाता और उसकी पॉलिसी डूब जाती है। ऐसे में पुरानी बंद पड़ी बीमा पॉलिसी को फिर से चालू करने का विकल्प नयी पॉलिसी खरीदने से बेहतर होता है।
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के जीवन में जीवन बीमा लेना सबसे विवेकपूर्ण निर्णय होता है। हम अपने हर बीमाधारक और हमारे साथ उनके बीमा पॉलिसी को बनाए रखने की इच्छा का सम्मान करते हैं।
(साभार-पीटीआई भाषा)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें