वित्त मंत्री ने कृषि और ग्रामीण विकास पर पहला बजट पूर्व परामर्श किया; उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के उपायों के बारे में बताया। उन्होंने कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ गैर-कृषि क्षेत्र के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन के तरीकों पर जोर दिया; वित्त मंत्री ने दोहराया कि कृषि क्षेत्र की चिंताए मौजूदा सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं
केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आगामी आम बजट 2019-20 के संबंध में आज विभिन्न हितधारकों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श की शुरुआत की। उनकी पहली बैठक कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र के हितधारकों के साथ आयोजित हुई।
अपने उद्घाटन संबोधन में वित्त मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा को बढ़ावा देने के उपायों और कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ गैर-कृषि क्षेत्र के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन के तरीकों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की चिंताएं मौजूदा सरकारी की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं। वित्त मंत्री ने देश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व पर जोर दिया ताकि इन क्षेत्रों से संबंधित उनकी विशेष जरूरतों पर भी विचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय समुद्रीय संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करके नीली क्रांति लाने के लिए मछली पालन क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक आधार पर विचार-विमर्श आयोजित करेगा।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वे कृषि बाजार में विभाजन को रोककर कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी बाजार उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादों को उचित मूल्य पर अंतिम उपभोक्ता तक आपूर्ति करने में मदद कर सकते हैं। बैठक के दौरान कृषि अनुसंधान और विस्तार सेवाएं, ग्रामीण विकास, गैर-कृषि क्षेत्र, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मछली पालन और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स के बारे में विचार-विमर्श किया गया।
वित्त मंत्री के साथ इस बैठक में केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चन्द्र, वित्त सचिव सुभाष सी गर्ग, व्यय सचिव श्री गिरीश चन्द्र मुर्मू, राजस्व सचिव श्री अजय नारायण पांडे, डीएफएस सचिव श्री राजीव कुमार, कृषि और सहकारिता मंत्रालय में सचिव श्री संजय अग्रवाल, ग्रामीण विकास विभाग में सचिव श्री अमरजीत सिन्हा, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. त्रिलोचन मोहपात्रा, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. के वी सुब्रमनियन, कृषि मंत्रालय में एडीएफ सचिव श्री तरूण श्रीधर, मछली पालन विभाग की सचिव श्रीमती रजनी सेखरी सिब्बल, सीबीडीटी के चेयरपर्सन श्री प्रमोद चन्द्र मोदी तथा वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने कृषि क्षेत्र में निवेश तथा किसानों के लिए बाजार पहुंच को बढ़ावा देने के बारे में विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सुधार लाने तथा गैर-कृषि क्षेत्र प्रौद्योगिकी – गहन प्रक्रियाओं की शुरुआत करने के बारे में भी सुझाव दिए गए। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सौर ऊर्जा को तीसरी फसल के रूप में माना जाए। जमीन में कार्बन तत्व की स्थिति में सुधार लाने के लिए ऑर्गेनिक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित तथा लोकप्रिय बनाए जाने, कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से संबंधित जीएसटी मुद्दों का समाधान करने, सीमावर्ती जिलों में कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के लिए प्रोत्साहन राशि तथा कृषि केन्द्रों में अनुसंधान विकास के लिए निवेशों में बढ़ोतरी करने के बारे में सुझाव दिए गए। कृषि विश्वविद्यालयों में खाली पदों को भरने, सूक्ष्म सिंचाई और सौर पंपों में निवेश बढ़ाने, कृषि बाजार सुधार लागू करने वाले राज्यों को वित्तीय प्रोत्साहन देने, रोजगार पैदा करने और ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने, कृषि उपकरणों के लिए समूहकों का सृजन करने और गैर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी ग्रामीण स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के भी सुझाव आए। डेयरी क्षेत्र और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) में सुधार लाने के बारे में भी कुछ सुझाव आए।
(साभार: pib.nic.in)
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