शेयर बाजार ने कब (नरसिम्हा राव से नरेंद्र मोदी तक) दिया सबसे मनमोहनी रिटर्न
शेयर बाजार की चाल वैसे तो कई तथ्यों पर निर्भर करती है, लेकिन सरकारी नीतियों या प्रधानमंत्री को लेकर यह सबसे ज्यादा संवेदनशील रहता है। 1991 में भारत में पीवी नरसिम्हाराव सरकार के कार्यकाल के दौरान नई अर्थव्यवस्था अपनाई गई। लाइसेंस राज से भारतीय इकोनॉमी ने मार्केट आधारित मॉडल में प्रवेश किया।नरसिम्हा राव से लेकर नरेंद्र मोदी तक के कार्यकाल में शेयर बाजार ने सबसे ज्यादा रिटर्न कब दिया, आप खुद इस ग्राफिक्स के जरिये पता कर सकते हैं।
भारतीय शेयर बाजार से मिला रिटर्न (21 जून 1991-13 मई
2019)
|
|||||||
प्रधानमंत्री
|
पार्टी
|
अवधि
|
सेंसेक्स का स्तर
|
रिटर्न %
|
CAGR %
|
||
पी वी
नरसिंहा राव
|
कांग्रेस
|
21 जून
91
|
16 मई
96
|
1,337
|
3823
|
186%
|
23.90%
|
अटल
बिहारी वाजपेयी
|
भाजपा
|
16 मई
96
|
1 जून
96
|
3823
|
3725
|
-3%
|
-44.70%
|
एच डी
देवेगौड़ा
|
जनता दल
|
1 जून
96
|
21
अप्रैल 97
|
3725
|
3800
|
2%
|
2.30%
|
आई के
गुजराल
|
जनता दल
|
21
अप्रैल 97
|
19
मार्च 98
|
3800
|
3821
|
1%
|
0.60%
|
अटल
बिहारी वाजपेयी
|
भाजपा
|
19
मार्च 98
|
10
अक्टूबर 99
|
3821
|
4982
|
30%
|
18.50%
|
अटल
बिहारी वाजपेयी
|
भाजपा
|
10
अक्टूबर 99
|
22 मई
2004
|
4982
|
4962
|
0%
|
-0.1%
|
मनमोहन
सिंह
|
कांग्रेस
|
22 मई
2004
|
22 मई
2009
|
4962
|
13,887
|
180%
|
22.80%
|
मनमोहन
सिंह
|
कांग्रेस
|
22 मई
2009
|
26 मई
2014
|
13,887
|
24,717
|
78%
|
12.20%
|
नरेंद्र
मोदी
|
भाजपा
|
26 मई
2014
|
13 मई
2019
|
24,717
|
37,510
|
52%
|
8.80%
|
CAGR
का मतलब एक ऐसा रेट (RATE), जो हमें बताता है कि हमारा इन्वेस्टमेंट हर साल (ANNUALY)औसत रूप से कितने प्रतिशत से COMPOUNDING रुप से वृद्धि (GROW) हो रहा है
CAGR: Compound Annual
Growth Rate
|
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें