भारत में आम चुनाव ऐसे समय पर होने वाले हैं जब अर्थव्यवस्था नाजुक मुहाने पर है और पाकिस्तान के साथ तनाव नये चरम पर है। सिंगापुर के एक बैंक ने यह टिप्पणी की है।
डीबीएस समूह ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में एक रिपोर्ट में कहा कि कुछ सुधारों, कारोबारी माहौल में बेहतरी तथा सरकारी चूक में कमी के बाद भी आर्थिक वृद्धि सुस्त रही है।
रिपोर्ट में कहा गया कि बचत और निवेश की खाई चौड़ी बनी हुई है। बाहरी जोखिम भी बने हुए हैं और वित्तीय क्षेत्र के संकट भी उच्च स्तर पर हैं।
डीबीएस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूती से सरकार चला रहे हैं और खासे लोकप्रिय भी हैं। हालांकि कुछ राज्यों के चुनावों में हार तथा कुछ अन्य मसलों ने चुनाव में उनकी अजेय छवि को प्रभावित किया है।
डीबीएस समूह शोध के मुख्य अर्थशास्त्रियों तैमुर बेग और राधिका राव ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ राजनीतिक संकट में उभार एक अन्य जटिल कारक है।’’
उन्होंने कहा कि सीमा पर तनाव ऐसे समय में उभरा है जब भारत में अप्रैल-मई में चुनाव होने वाले हैं तथा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ता हाल में है।
अर्थव्यवस्था पर चुनाव के प्रभाव का आकलन करने वाले दल ने कहा कि औसतन चुनाव से पहले की तिमाही में आर्थिक वृद्धि सुस्त पड़ती है लेकिन उसके बाद रफ्तार पकड़ने लगती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति चुनाव के बाद बढ़ने वाली है। हालांकि कीमतें अभी नरम हैं और इस मोर्चे पर आशंकाओं को आसान कर रही हैं। उसने कहा कि शेयर बाजार चुनाव से पहले तेज होते हैं और इसके बाद गिरने लगते हैं।
डीबीएस ने कहा कि आय और मूल्यांकन से इतर वैश्विक माहौल का भी इनके ऊपर असर होता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि चुनाव से पहले रुपया भी मजबूत होने वाला है और चुनाव बाद एक तिमाही तक तेजी को बरकरार रखने वाला है। हालांकि उसके बाद रुपया कमजोर होने लगेगा।
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