मंत्रिमंडल ने देश में आवश्यकता से अधिक चीनी उत्पादन से निपटने के लिए विस्तृत नीति को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय आर्थिक समिति ने आगामी चीनी सीजन 2018-19 में अधिक चीनी उत्पादन की संभावना को देखते हुए लागत संतुलन बनाकर चीनी क्षेत्र को समर्थन देने के लिए 5500 करोड़ रूपये की कुल सहायता की स्वीकृति दी है।
इस स्वीकृति से देश से चीनी के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा और चीनी उद्योग को किसानों की बकाया गन्ना राशि का भुगतान करने में मदद मिलेगी।
बकाया स्टॉक अधिक होने के कारण तथा चीनी सीजन 2018-19 में अधिक उत्पादन की संभावना को देखते हुए इस सीजन में भी चीनी मिलों के लिए तरलता की समस्या बनी रहेगी। इसके परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्यों मे अप्रत्याशित रूप से उच्च वृद्धि होगी।
सहायता विवरण:-
- चीनी सत्र 2018-19 में निर्यात बढ़ाने के लिए आंतरिक परिवहन, ढुलाई, हैंडलिंग तथा अन्य शुल्कों पर आय का खर्च वहन करके चीनी मिलों को सहायता प्रदान की जाएगी। इसके तहत बंदरगाह से 100 किलोमीटर के अंदर स्थापित मिलों के लिए 1000/एमटी रूपये, तटीय राज्यों में बंदरगाह से 100 किलोमीटर आगे स्थापित मिलों के लिए 2500/एमटी रूपये तथा तटवर्तीय राज्यों के अलावा दूसरी जगहों की मिलों के लिए 3000/एमटी की दर या वास्तविक खर्च आधार पर खर्च वहन किया जाएगा। इस पर लगभग कुल 1375 करोड़ रूपये का खर्च आएगा और इसका वहन सरकार करेगी।
- किसानों की बकाया गन्ना राशि चुकाने में चीनी मिलों की सहायता के लिए सरकार ने चीनी मिलों को चीनी सत्र 2018-19 में 13.88 रूपये प्रति क्विंटल पेरे हुए गन्ने की दर से वित्तीय सहायता दी का निर्णय लिया है, ताकि गन्ने की लागत का समायोजन हो सके। यह सहायता केवल उन मिलों की दी जाएगी जो खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा निर्धारित शर्तें पूरी करती हैं। इस पर कुल 4163 करोड़ रूपये का खर्च आएगा और सरकार इसका वहन करेगी।
- किसानों के गन्ने की बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दोनों प्रकार की सहायता राशि चीनी मिलों की ओर से सीधे किसानों के खातों में भेज दी जाएगी। एफआरपी के लिए चीनी मिलें किसानों के खेतों में यह राशि देय बकाया राशि के रूप में देंगी।
- इसमें पहले के वर्षों की बकाया राशि और बाद की शेष राशि, यदि कोई हो तो, मिलों के खातों में भेजी जाएगी। यह सहायता उन्हीं मिलों को दी जाएगी जो सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता शर्ते पूरी करेंगे।
पृष्ठभूमि:
बाजार की मंदी और चीनी मूलयों मे गिरावट के कारण चीनी सत्र 2017-18 में चीनी मिलों की तरलता की स्थिति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई। इससे गन्ना किसानों की बकाया राशि बढ़ती गई और मई 2018 के अंतिम सप्ताह में बकाया राशि 23,232 करोड़ रूपये के चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई।
चीनी की कीमतों को उचित स्तर पर लाने तथा मिलों की तरलता स्थिति सुधारने के लिए चालू चीनी सत्र 2017-18 के बकाया गन्ना मूल्यों का भुगतान किसानों को करने में चीनी मिलों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने पिछले छह महीनों में निम्नलिखित कदम उठाएं:
- देश में किसी तरह के आयात को नियंत्रित करने के लिए चीनी के आयात पर सीमा शुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया।
- चीनी उद्योग को चीनी निर्यात की संभावना तलाशने में प्रोत्साहन के लिए चीनी निर्यात पर सीमा शुल्क वापस लिया गया।
- चीनी सत्र 2017-18 के दौरान निर्यात के लिए मिल के अनुसार 20 एलएमटी का न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) आवंटित किया गया।
- चीनी मिलों द्वारा आवश्यकता से अधिक चीनी के निर्यात में सहायता और प्रोत्साहन देने के लिए चीनी के संबंध में शुल्क मुक्त आयात प्राधिकार (डीएफआईए) योजना फिर से लागू की गई।
- गन्ने के मूल्य के समायोजन के लिए चीनी मिलों को, चीनी सत्र 2017-18 के दौरान 5.50 क्विंटल पिराई किए गए गन्ने की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
- अधिसूचित चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 में निर्देश दिया गया है कि कोई चीनी उत्पादक फैक्ट्री गेट पर 29 रूपये प्रति किलोग्राम से कम दर पर श्वेत/शोधित चीनी नहीं बेचेगा। इसके साथ-साथ मिलों पर स्टॉक रखने की सीमा भी लगाई जाएगी।
- 30 एलएमटी चीनी के सुरक्षित स्टॉक की देखभाल एक वर्ष के लिए चीनी मिलें करेंगी। इसके लिए सरकार लगभग 1175 करोड़ रूपये की ढुलाई लागत वहन करेगी।
- एथनॉल उत्पादन क्षमता मजबूत बनाने और एथनॉल उत्पादन में चीनी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए नई डिस्टिलरी स्थापित करने वाली मिलें/वर्तमान डिस्टिलरी का विस्तार/राख बनाने वाले बॉयलरों की स्थापना तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्वीकृत किसी और प्रणाली की स्थापना के लिए 4440 करोड़ रूपये के सुलभ ऋण की मंजूरी पहले ही दी गई है। सरकार 1332 करोड़ रूपये की ब्याज सहायता राशि वहन करेगी।
उपरोक्त कदमों के परिणामस्वरूप चीनी का अखिल भारतीय औसत मिल मूल्य 24-7 रूपये किलोग्राम से बढ़कर 30-33 रूपये किलोग्राम की बीच हो गया तथा किसानों का बकाया अखिल भारतीय गन्ना मूल्य घटकर 12988 करोड़ रूपये हो गया। यह बकाया राशि चीनी सत्र 2017-18 के लिए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) पर लगभग 23232 करोड़ रूपये थी। एफआरपी आधार पर किसानों का बकाया अखिल भारतीय गन्ना राशि 14538 करोड़ रूपये के शिखर से गिरकर 5312 करोड़ रूपये हो गई।
(Source: pib.nic.in)
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