मोदी सरकार ने घरों, मंदिरों में पड़े सोने को बाहर निकालने और उसे अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम यानी स्वर्ण मौद्रिकरण योजना की शुरुआत की थी। रिजर्व बैंक ने इस योजना को और आकर्षक बनाया है।
रिजर्व बैंक की इस कोशिश से अब ग्राहकों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे। योजना में बदलाव का मकसद लोगों को स्वर्ण बचत खाता खोलने को सुगम बनाना है। रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा कि अल्पकालीन जमा को बैंक के बही - खाते पर देनदारी के अनुरूप माना जाना चाहिए।इसमें कहा गया है, ‘यह जमा मनोनीत बैंकों में एक से तीन साल के लिये किया जाएगा। अन्य अवधि के लिये भी जमा की अनुमति होगी।
यह एक साल तीन महीने, दो साल चार महीने पांच दिन आदि हो सकता है।’ आरबीआई के अनुसार अलग - अलग अवधि के लिये ब्याज दर का आकलन पूरे हुए वर्ष तथा शेष दिन के लिये देय ब्याज पर तय किया जाएगा।
सरकार ने 2015 में यह योजना शुरू की थी। इसका मकसद घरों तथा संस्थानों में रखे सोने को बाहर लाना और उसका बेहतर उपयोग करना है। मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5 से 7 साल के लिये तथा दीर्घकालीनल सरकारी जमा 12 साल के लिये किया जा सकता है। इस बारे में केंद्र सरकार समय - समय पर फैसला करेगा।
इसके अलावा अन्य अवधि (एक साल तीन महीने , दो साल चार महीने पांच दिन आदि) के लिये भी जमा किया जा सकता है। योजना बैंक ग्राहकों को निष्क्रिय पड़े सोने को निश्चित अवधि के लिये जमा करने की अनुमति देती है। इस पर ब्याज 2.25 से 2.50 प्रतिशत है। इस स्कीम के जरिए अब तक कई लोगों और संस्थानों ने बैंक में सोना जमा किया। यहां तक की कुछ बड़े मंदिरोंं ने भी इसके तहत बैंकों में सोना जमा कराया।
एक अनुमान के मुकाबिक, देश में 20 हजार टन सोना यूं ही बेकार पड़ा हुआ है। जानकारों का मानना है कि अगर इसे सिस्टम में लाया जाए तो इससे इकोनॉमी को काफी मदद मिलेगी और देश की विदेशी सोने पर निर्भरता कम होगी।
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स्रोत-आरबीआई
Gold Monetization Scheme, 2015 | ||||||||||||||||||||||||||||
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