रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) ने अपनी 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों का रखा था। RBI MPC की प्रमुख दरों पर अगली बैठक 4,5 अप्रैल को है।
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
UBS सिक्योरिटीज का मानना है कि फरवरी की खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को देखते हुए अगले महीने की बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना है, लेकिन तीन कारकों-अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर प्रमुख दरों में आधे परसेंट तक की बढ़ोतरी मुमकिन है।
इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 4.4 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि जनवरी के मुकाबले कम हुई है। इस साल जनवरी में खुदरा महंगाई दर 5.07 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी। इसको देखते हुए इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती की जा सकती है। उधर, UBS सिक्योरिटीज का मानना है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती शायद ही हो, क्योंकि महंगाई बढ़ने का जोखिम कम नहीं हुआ है और आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है।
सिक्योरिटीज फर्म के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान खुदरा महंगाई दर औसतन 4.47 प्रतिशत रह सकती है जो कि वित्त वर्ष 2017-18 की पूर्वअनुमानित दर 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है। फर्म का मानना है कि रिजर्व बैंक 2018-19 में ब्याज दर स्थिर रख सकता है। हालांकि, फर्म ने कुछ कारकों का जिक्र किया है, जिनकी वजह से महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है और ऐसे में मैक्रो इकोनॉमी को स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रमुख दरों में आधे प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है।
UBS सिक्योरिटीज के मुताबिक, अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर महंगाई और बढ़ सकती है।
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