भारत सरकार ने अल्प बचत अधिनियम में संशोधन किए सरकारी बचत प्रमाणपत्र अधिनियम, 1959 और सार्वजनिक भविष्य निधि अधिनियम, 1968 का विलय सरकारी बचत बैंक अधिनियम, 1873 में करने का प्रस्ताव प्रस्तावित सरकारी बचत संवर्धन अधिनियम के अंतर्गत पीपीएफ अधिनियम को लाते समय सभी मौजूदा सुरक्षा को बरकरार रखा गया है |
सरकार अल्प बचत करने वालों, विशेषकर बालिकाओं, वरिष्ठ नागरिकों के लाभ हेतु की जाने वाली बचत के साथ-साथ नियमित तौर पर बचत करने वाले उन लोगों के हितों को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देती है जो हमारे देश के बचत ढांचे की रीढ़ माने जाते हैं। विभिन्न तरह के अधिनियमों के कारण उत्पन्न मौजूदा अस्पष्टता के साथ-साथ अल्प बचत योजनाओं से जुड़े नियमों में निहित अस्पष्टता को भी समाप्त करने तथा ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम गवर्नेंस’ के उद्देश्य को और मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने सरकारी बचत प्रमाणपत्र अधिनियम, 1959 और सार्वजनिक भविष्य निधि अधिनियम, 1968 का विलय सरकारी बचत बैंक अधिनियम, 1873 में करने का प्रस्ताव किया है। अब एक ही अधिनियम के अस्तित्व में रहने जाने की स्थिति में सरकारी बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) अधिनियम, 1959 और सार्वजनिक भविष्य निधि अधिनियम, 1968 के प्रासंगिक प्रावधानों का विलय नए संशोधित अधिनियम में हो जाएगा और इसके लिए मौजूदा अधिनियम के किसी भी कार्यरत प्रावधान के मामले में कोई समझौता नहीं करना पड़ेगा। प्रस्तावित सरकारी बचत संवर्धन अधिनियम के अंतर्गत पीपीएफ अधिनियम को लाते समय सभी मौजूदा सुरक्षा को बरकरार रखा गया है। इस प्रक्रिया के जरिए जमाकर्ताओं को मिलने वाले किसी भी मौजूदा लाभ को वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है। केवल एक ही अधिनियम को प्रस्तावित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं के लिए इसके क्रियान्वयन को सुगम बनाना है क्योंकि उन्हें विभिन्न अल्प बचत योजनाओं के प्रावधानों को समझने के लिए विभिन्न नियमों और अधिनियमों को पढ़ने या समझने की कोई जरूरत नहीं है। इसका एक अन्य उद्देश्य निवेशकों के लिए कुछ विशेष लचीलापन सुनिश्चित करना है। हालांकि, विभिन्न हलकों के साथ-साथ प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में इस आशय की चिंता जताई जा रही है कि सरकार का उद्देश्य जमाकर्ताओं पर किसी भी तरह का ऋण अथवा देनदारी बोझ होने की स्थिति में किसी अदालत द्वारा दिए जाने वाले आदेश अथवा हुक्मनामे के तहत सार्वजनिक भविष्य निधि खाते को जब्त करने के सापेक्ष मिलने वाली सुरक्षा को कम करना है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित प्रावधान को वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है और वर्तमान तथा भावी जमाकर्ताओं को संबंधित छत्र अधिनियम के तहत भी जब्ती या कुर्की से सुरक्षा आगे भी मिलती रहेगी। मौजूदा लाभों को सुनिश्चित करने के अलावा जमाकर्ताओं को कुछ विशेष नए लाभ भी विधेयक के तहत प्रस्तावित हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है।
बैंक जमाओं की तुलना में ऊंची ब्याज दरों की पेशकश करने वाली कुछ अल्प बचत योजनाओं पर आयकर लाभ भी मिलता है। इस संशोधन के जरिए अल्प बचत योजना पर देय ब्याज दर अथवा टैक्स नीति में कोई भी बदलाव नहीं किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, कुछ विशेष अल्प बचत योजनाओं को बंद किए जाने के बारे में व्यक्त की जा रही आशंकाएं भी निराधार हैं।
(Source: pib.nic.in)
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