केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने आज राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित अपनी 22वीं बैठक में छोटे और मझोले कारोबारियों पर अनुपालन बोझ कम करने के लिए निम्नलिखित सुगम या सुविधाजनक परिवर्तनों की सिफारिश की है:
कंपोजीशन स्कीम
- कंपोजीशन स्कीम अब से उन करदाताओं को भी उपलब्ध कराई जाएगी जिनका कुल वार्षिक कारोबार 1 करोड़ रुपये तक है, जबकि इसके तहत मौजूदा टर्नओवर सीमा 75 लाख रुपये है। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड को छोड़ विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए कारोबार की यह सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये की जाएगी। वहीं, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के लिए कारोबार सीमा एक करोड़ रुपये होगी। बढ़ी हुई सीमा के तहत कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने की सुविधा यह कर प्रणाली अपना चुके करदाताओं के साथ-साथ नए करदाताओं को भी 31 मार्च, 2018 तक उपलब्ध होगी। जिस भी महीने में कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने का विकल्प अपनाया जाएगा, उसके ठीक अगले महीने की पहली तारीख से ही यह विकल्प परिचालन में आ जाएगा। इस योजना के नए प्रवेशकों को केवल उस तिमाही की शेष अवधि के लिए फॉर्म ‘जीएसटीआर-4’ में रिटर्न दाखिल करना होगा, जब से यह स्कीम अमल में आएगी। ये नए प्रवेशक पूर्ववर्ती कर अवधि के लिए सामान्य करदाता के रूप में रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। कारोबार सीमा में वृद्धि से अब और ज्यादा बड़ी संख्या में करदाताओं के लिए यह संभव होगा कि वे कंपोजीशन स्कीम के तहत आसान अनुपालन से लाभ उठा सकें। इससे एमएसएमई सेक्टर के काफी लाभान्वित होने की आशा है।
- ऐसे व्यक्ति जो वैसे तो कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने के पात्र हैं, लेकिन कोई छूट प्राप्त सेवा प्रदान कर रहे हैं (जैसे कि बैंकों में धनराशि जमा कर रहे हैं और उस पर ब्याज प्राप्त कर रहे हैं), उन्हें इस स्कीम के लिए पहले अयोग्य माना जाता था। अब यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे व्यक्ति जो वैसे तो कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने के पात्र हैं और कोई छूट प्राप्त सेवा प्रदान कर रहे हैं, वे कंपोजीशन स्कीम के लिए उपयुक्त पात्र होंगे।
- कंपोजीशन स्कीम को और अधिक आकर्षक बनाने वाले उपायों पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह (जीओएम) गठित किया जाएगा।
लघु एवं मझोले उद्यमों को राहत
- वर्तमान में, अंतर-राज्य जॉब वर्कर को छोड़कर अंतर-राज्य कर योग्य आपूर्ति करने वाले किसी भी उद्यम के लिए पंजीकृत होना आवश्यक है, भले ही उसका टर्नओवर (कारोबार) कितना भी क्यों न हो। अब उन सेवा प्रदाताओं को पंजीकरण कराने से छूट देने का निर्णय लिया गया है जिनका कुल वार्षिक कारोबार 20 लाख (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर विशेष श्रेणी के राज्यों में 10 लाख रुपये) रुपये से कम है, भले ही वे सेवाओं की अंतर-राज्य कर योग्य आपूर्ति क्यों न कर रहे हों। इस कदम से छोटे सेवा प्रदाताओं की अनुपालन लागत काफी कम हो जाने की उम्मीद है।
- 1.5 करोड़ रुपये तक के कुल वार्षिक कारोबार वाले छोटे एवं मझोले कारोबारियों के लिए भुगतान में आसानी और रिटर्न भरने में सुविधा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि इस तरह के करदाताओं को चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही अर्थात अक्टूबर-दिसंबर, 2017 से फॉर्म जीएसटीआर-1,2 और 3 में तिमाही रिटर्न दाखिल करने होंगे और केवल तिमाही आधार पर ही कर अदा करना होगा। इस तरह के छोटे करदाताओं के पंजीकृत खरीदार मासिक आधार पर यानी हर माह आईटीसी का लाभ लेने के पात्र होंगे। इस तरह के करदाताओं के लिए तिमाही रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथियां उचित समय पर घोषित की जाएंगी। इस बीच, सभी करदाताओं के लिए दिसंबर, 2017 तक मासिक आधार पर फॉर्म जीएसटीआर-3बी दाखिल करना आवश्यक होगा। सभी करदाताओं के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर, 2017 हेतु फॉर्म जीएसटीआर-1, 2 और 3 दाखिल करना भी आवश्यक है। जुलाई, 2017 के लिए रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथियां पहले ही घोषित की जा चुकी हैं। इस संबंध में अगस्त और सितंबर, 2017 के लिए नियत तिथियां उचित समय पर घोषित की जाएंगी।
- सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9 की उप-धारा (4) के तहत और आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 5 की उप-धारा (4) के तहत रिवर्स चार्ज व्यवस्था 31 मार्च, 2018 तक लागू नहीं की जाएगी और विशेषज्ञों की एक समिति इसकी समीक्षा करेगी। इससे छोटे कारोबारियों को फायदा होगा और उनकी अनुपालन लागत काफी घट जाएगी।
- प्राप्त अग्रिमों पर जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता भी छोटे डीलरों और निर्माताओं के लिए परेशानी भरी साबित हो रही है।इस तरह के मामलों में उनकी असुविधा कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि 1.5 करोड़ रुपये तक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए प्राप्त अग्रिम पर उस समय जीएसटी अदा करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस तरह की आपूर्ति पर जीएसटी केवल तभी देय होगा जब संबंधित माल की आपूर्ति कर दी जाएगी।
- इस आशय की जानकारी मिली है कि माल परिवहन एजेंसियां (जीटीए) अपंजीकृत व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस वजह से छोटे अपंजीकृत कारोबारियों को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए किसी भी जीटीए द्वारा अपंजीकृत व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को जीएसटी से छूट दी जाएगी।
अन्य सुविधाजनक उपाय
- व्यापार एवं उद्योग जगत और सरकारी विभागों की तैयारी का आकलन करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि पंजीकरण के साथ-साथ टीडीएस/टीसीएस प्रावधानों पर अमल को 31 मार्च 2018 तक स्थगित रखा जाएगा।
- ई-वे बिल प्रणाली को 1 जनवरी, 2018 से क्रमबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा और 1 अप्रैल, 2018 से इसे देश भर में लागू कर दिया जाएगा। व्यापार और उद्योग जगत को जीएसटी व्यवस्था के अनुरूप खुद को ढालने हेतु और अधिक समय देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
- जुलाई-सितंबर, 2017 की तिमाही के लिए कंपोजीशन स्कीम के तहत किसी भी करदाता द्वारा फॉर्म जीएसटीआर-4 में रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 नवंबर, 2017 कर दी जाएगी। इसके साथ ही जुलाई, अगस्त और सितंबर 2017 के लिए किसी भी इनपुट सेवा वितरक द्वारा फॉर्म जीएसटीआर-6 में रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 नवंबर, 2017 कर दी जाएगी।
- पंजीकृत व्यक्तियों के कुछ विशेष वर्गों को राहत प्रदान करने के लिए चालान (इनवॉयस) नियमों को संशोधित किया जा रहा है।
कई वस्तुओं पर देय जीएसटी और कुछ विशिष्ट वस्तुओं के आयात पर देय आईजीएसटी दरों में बदलाव
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केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक 6 अक्टूबर, 2017 को आयोजित की गई जिसमें हुए विचार-विमर्श के अनुसार कई वस्तुओं पर देय जीएसटी दरों और कुछ निर्दिष्ट वस्तुओं के आयात पर देय आईजीएसटी दरों में निम्नलिखित परिवर्तनों की सिफारिश की गई है।
ए. निम्नलिखित वस्तुओं पर देय जीएसटी में कमी की गई है
क्रं.स. | अध्याय/शीर्षक/उप-शीर्षक/टैरिफ आइटम | विवरण | वर्तमान जीएसटी दर | जीएसटी काउंसिल द्वारा अनुशंसित जीएसटी दर |
1. | 0804 | सूखे आम स्लाइस | 12% | 5% |
2.
| 1905 अथवा 2106 | खाखरा एवं सादी चपाती/रोटी | 12% | 5% |
3. | 19 अथवा 21
| यूनिट कंटेनरों में रखे गए ऐसे तैयार खाद्य पदार्थ जिन्हें केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम के तहत समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच मुफ्त वितरित किया जाना है। निर्दिष्ट शर्तें लागू [फुट नोट 1] | 18%
| 5 %
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4. | 21 | ऐसे नमकीन जो यूनिट कंटेनर में नहीं रखे गए हों और,
(क) कोई पंजीकृत ब्रांड नाम वाला नमकीन न हो अथवा
(b) कोई ऐसा ब्रांड नाम न हो जिस पर कोई कार्रवाई योग्य दावा अथवा किसी न्यायालय में लागू करने योग्य अधिकार उपलब्ध है [उन ब्रांडों के अलावा जिस पर किसी भी कार्रवाई योग्य दावे या इस तरह के ब्रांड नाम के संबंध में लागू करने योग्य अधिकार को स्वेच्छा से पहले ही छोड़ दिया गया है)
[फुट नोट 2] | 12% | 5% |
5. | 2710 | लिनियर अल्काइल बेंजीन [एलएबी] बनाने के लिए रखे गए बेहतर केरोसीन तेल [एसकेओ] की केवल शुद्ध मात्रा पर जीएसटी लगाना | 18% | 18%
[स्पष्टीकरण जारी किया जाना है] |
6. | 30 | ब्रांडेड नाम वाली दवाओं को छोड़कर अन्य आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी दवाएं
[फुट नोट 3] | 12% | 5% |
7. | 3213 | पोस्टर कलर | 28% | 18% |
8. | 3407 | बच्चों के मनोरंजन के लिए मॉडलिंग पेस्ट | 28% | 18% |
9. | 3915 | प्लास्टिक कचरा, कतरन या स्क्रैप | 18% | 5% |
10. | 4004 00 00 | रबर कचरा, कतरन या स्क्रैप | 18% | 5% |
11. | 4017 00 20 | सख्त रबर कचरा या स्क्रैप | 28% | 5% |
12. | 4707 | पेपर वेस्ट या स्क्रैप | 12% | 5% |
13. | 4907 | ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स | 5% | शून्य |
14. | 5401 | मानवनिर्मित रेशे के सिलाई धागे, चाहे उसे खुदरा बिक्री के लिए रखा गया हो या नहीं
| 18% | 12% |
15. | 5402, 5404, 5406 | समस्त कृत्रिम रेशा यार्न जैसे कि नायलॉन, पॉलिएस्टर, एक्रिलिक, इत्यादि
| 18% | 12% |
16. | 5403, 5405, 5406
| सभी कृत्रिम रेशा यार्न जैसे कि विस्कोस रेयन, कपरामोनियम | 18% | 12% |
17. | 5508 | मानव निर्मित स्टेपल फाइबर के सिलाई धागे
| 18% | 12% |
18. | 5509, 5510, 5511 | मानव निर्मित स्टेपल फाइबर के यार्न | 18% | 12% |
19. | 5605 | वास्तविक जरी | 12% | 5% |
20. |
6802 | शीर्षक 6802 के अंतर्गत आने वाली सभी वस्तुएं [संगमरमर एवं ग्रेनाइट से बनी वस्तुओं को छोड़कर अथवा ऐसे पदार्थ जिन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है) | 28% | 18% |
21. | 7001 | कांच के बेकार टुकड़े या अन्य कचरा अथवा स्क्रैप
| 18% | 5% |
22. | 8305 | आधार धातु से निर्मित एवं खुले पन्ने बांधने के लिए फिटिंग अथवा फाइलें, लेटर क्लिप, लेटर कॉर्नर, पेपर क्लिप, अनुक्रमण टैग और इसी तरह की कार्यालय सामग्री, आधार धातु से निर्मित स्टैपल स्ट्रिप्स (उदाहरण के लिए, कार्यालयों, असबाब, पैकेजिंग के लिए) | 28% | 18% |
23. | 8483 | प्लेन शाफ्ट जिसमें 8483 अंकित हो | 28% | 18% |
24. | 84 | मुख्यत: नियत गति वाले 15 एचपी तक के डीजल इंजनों में उपयोग के लिए उपयुक्त कलपुर्जे
| 28% | 18% |
25. | 84 अथवा 85 | विद्युत चालित पंपों में पूरी तरह से या मुख्य रूप से उपयोग के लिए उपयुक्त कलपुर्जे, जिनकी डिजाइनिंग मुख्यत: पानी की समस्या से निपटने के लिए की गई हो यथा केन्द्रापसारक पंप (क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर), काफी गहराई में लगाए जाने वाले ट्यूब-वेल टर्बाइन पंप, पनडुब्बी पंप, अक्षीय प्रवाह और मिश्रित प्रवाह वाले ऊर्ध्वाधर पंप | 28% | 18% |
26. | 84 अथवा 85 | ई-वेस्ट | 28%/18% | 5% |
27. | कोई भी अध्याय | बॉयोमास ब्रिकेट्स | 18% | 5% |
फुट नोट ;
- उपर्युक्त क्रम संख्या 4 के मामले में जीएसटी दर में कमी के लिए निम्नलिखित शर्त लागू होगी:
क) यदि इस तरह के तैयार खाद्य पदार्थों का आपूर्तिकर्ता केंद्र सरकार में कम-से-कम उप सचिव अथवा संबंधित राज्य सरकार में कम-से-कम उप सचिव स्तर के अधिकारी से इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेता है कि इन खाद्य पदार्थों का मुफ्त वितरण केंद्र सरकार अथवा संबंधित राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम के तहत समाज के आर्थिक दृष्टि से पिछड़े तबकों को कर दिया गया है। यह वितरण इस तरह की वस्तुओं की आपूर्ति की तिथि से पांच माह के भीतर अथवा केंद्रीय कर के क्षेत्राधिकार आयुक्त या राज्य कर के क्षेत्राधिकार आयुक्त, जैसी भी स्थिति हो, द्वारा इस संबंध में तय की गई अवधि के भीतर कर दिया जाना चाहिए।
- उपर्युक्त क्रम संख्या 5 के लिए पंजीकृत ब्रांड नाम से आशय यह है:
क) 15 मई 2017 तक पंजीकृत किए गए ब्रांड को 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने की दृष्टि से एक पंजीकृत ब्रांड माना जाएगा, चाहे बाद में उस ब्रांड को गैर-पंजीकृत कर दिया गया हो।
ख) कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत 15 मई 2017 तक पंजीकृत किए गए ब्रांड को भी 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने की दृष्टि से एक पंजीकृत ब्रांड माना जाएगा।
ग) किसी अन्य देश में फिलहाल लागू किसी भी कानून के तहत 15 मई 2017 तक पंजीकृत किए गए ब्रांड को भी 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने की दृष्टि से एक पंजीकृत ब्रांड माना जाएगा।
- उपर्युक्त क्रम संख्या 7 के लिए ‘ब्रांड नेम’ को कुछ इस प्रकार परिभाषित किया गया है:
‘ब्रांड नेम’ या ‘ट्रेड नेम’ का अर्थ है एक ब्रांड नाम या एक कारोबारी नाम, चाहे पंजीकृत हो या न हो। कहने का मतलब है एक नाम या एक चिह्न, जैसे कि प्रतीक, मोनोग्राम, लेबल, सिग्नेचर या कल्पित शब्द या लेखन, जिसका उपयोग इस तरह की निर्दिष्ट वस्तुओं के संबंध में इंगित करने के उद्देश्य से किया जाता है, अथवा इसलिए किया जाता है ताकि इस तरह की निर्दिष्ट वस्तुओं और इस तरह के किसी नाम या चिह्न का उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति के बीच व्यापार के दौरान एक जुड़ाव को उस व्यक्ति की पहचान के बिना या किसी संकेत के बगैर ही इंगित किया जा सके।
बी. वस्तुओं के आयात पर आईजीएसटी छूट :
क्र.सं. | विवरण | वर्तमान में लागू आईजीएसटी दर | अनुशंसित आईजीएसटी दर |
1 | पट्टे के तहत तेल/गैस अन्वेषण और उत्पादन परियोजनाओं के लिए आयातित रिग के आयात पर आईजीएसटी छूट, जिसके लिए निम्नलिखित शर्तें होंगी :
(i) केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की अनुसूची II के मद 1 (बी) या 5 (एफ) के दायरे में आने वाली सेवा की आपूर्ति पर आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 5 (1) के तहत एकीकृत कर लगेगा;
(ii) आयातित माल से जुड़े बंदरगाह के सीमा शुल्क आयुक्त की पूर्व अनुमति के बिना रिग को बेचा नहीं जाएगा;
(iii) उस अवधि की समाप्ति से 3 महीने के भीतर माल को फिर से निर्यात करना होगा जिस दौरान उनकी आपूर्ति देश से बाहर केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की अनुसूची II के मद 1 (बी) या 5 (एफ) के दायरे में आने वाले लेन-देन के तहत की गई थी;
(iv) उपर्युक्त शर्तों में से किसी के भी उल्लंघन की स्थिति में इस अधिसूचना के तहत उक्त वस्तुओं पर देय एकीकृत कर के बराबर राशि एवं देय ब्याज का भु्गतान मांग पर करना होगा। छृट प्राप्त वस्तुओं के मामले में यह देय नहीं होगा। | 5% | शून्य |
2 | यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, रेड क्रॉस जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा नि:शुल्क आपूर्ति की जाने वाली दवाओं के आयात पर आईजीएसटी से छूट।
| 12%/5% | शून्य |
3 | ए. डाक या हवाई मार्ग के जरिए आयातित 5000 रुपये की सीआईएफ मूल्य सीमा तक प्रामाणिक उपहारों के आयात पर आईजीएसटी से छूट।
| 28% | शून्य |
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- (Source: pib.nic.in)
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