वित्त मंत्री: कपड़ा क्षेत्र में संगठित विक्रेताओं और असंगठित विक्रेताओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रभाव नहीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
आज राज्यसभा में एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त, रक्षा एवं कार्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि कपड़ा क्षेत्र में संगठित विक्रेताओं और असंगठित विक्रेताओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रभाव नहीं पडेगा। श्री जेटली ने बताया कि कपड़ा क्षेत्र के लिए जीएसटी कर ढांचे के विषय में 3 जून 2017 को जीएसटी परिषद बैठक में चर्चा की गई थी। परिषद ने कपड़ा क्षेत्र के लिए विस्तृत कर ढांचे की सिफारिश की थी, जिसकी अधिसूचना को नीचे दिया जा रहा है:-
*– 5 प्रतिशत जीएसटी दर संबधी अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट पर पुनर्भुगतान रहित आधार पर। **- (1) 5 प्रतिशत जीएसटी दर एक हजार रुपये प्रति नग से कम बिक्री मूल्य वाले गार्मेंट और मेड अप्स के लिए। (2) 12 प्रतिशत जीएसटी दर एक हजार रुपये प्रति नग से अधिक बिक्री मूल्य वाले गार्मेंट और मेड अप्स के लिए। इस तरह कपड़ा क्षेत्र के लिए जीएसटी दर ढांचे के तहत दर के वर्गीकरण और निश्चय में आसानी होती है। कपड़ा व्यापारियों की प्रमुख मांग है कि फेबरिक पर कोई टैक्स न लगाया जाए। बहरहाल, इसे निम्नलिखित कारणों से स्वीकार नहीं किया जा सकता:-
यह कहना सही नहीं है कि स्वतंत्र भारत में कपड़ा क्षेत्र पर कभी टैक्स नहीं लगा था। वास्तव में 2003-04 के दौरान पूरे कपड़ा क्षेत्र को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के दायरे में रखा गया था। जीएसटी पंजीकरण कराने के लिए करदाताओं की सुविधा के वास्ते आवश्यक कदम उठाये गए हैं। करदाताओं की सुविधा के लिए विभिन्न केन्द्रों में जीएसटी सेवा केन्द्र खोले गए हैं, जहां जीएसटी अनुपालन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश उपलब्ध हैं। वित्त, रक्षा एवं कार्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में यह बताया।(स्रोत-पीआईबी) |
(जीएसटी ज्ञान GST Gyan : एक देश, एक बाजार, एक कर
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