विदेशी कर्ज के मामले में भारत के लिए अच्छी खबर है। इस साल मार्च तिमाही में सालाना आधार पर इसमें 2.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। जीडीपी के मुकाबले इसकी गणना करें तो इसमें भी कमी दर्ज की गई है। पिछली साल मार्च तिमाही में यह जीडीपी का 23.5 प्रतिशत था जो कि इस साल मार्च तिमाही में कम होकर 20.2 प्रतिशत हो गया। विदेशी कर्ज में यह कमी मुख्य तौर पर एनआरआई डिपॉजिट और वाणिज्यिक उधारी में कमी के कारण आई है।
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल मार्च तिमाही तक देश पर 471.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी कर्ज था जो कि इस साल मार्च तिमाही में 13.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर कम हुआ है।
मार्च 2017 की समाप्ति पर भारत का बाह्य ऋण
मानक प्रथा के अनुसार, मार्च और जून की समाप्त तिमाहियों के लिए भारत के बाह्य ऋण की सांख्यिकी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक तिमाही के अंतराल पर जारी की जाती है और सितंबर और दिसंबर की समाप्त तिमाहियों की सांख्यिकी वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी की जाती है। मार्च 2017 के अंत में भारतीय रुपया और अमेरिकी डॉलर में बाह्य ऋण के आंकड़े और इससे पहले की तिमाहियों के संशोधित आंकड़े क्रमशः विवरण 1 और 2 में दिए गए हैं। मार्च 2017 की समाप्ति पर भारत के बाह्य ऋण से संबंधित प्रमुख गतिविधियां नीचे प्रस्तुत हैं।
मुख्य-मुख्य बातें
मार्च 2017 की समाप्ति पर भारत के बाह्य ऋण में मार्च 2016 के अंत में इसके स्तर से 2.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जिसका मुख्य कारण अनिवासी भारतीय (एनआरआई) जमाराशियों और वाणिज्यिक उधारों में कमी रही। बाह्य ऋण की मात्रा में कमी आंशिक रूप से भारतीय रुपया की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मूल्यह्रास के परिणामस्वरूप होने वाली मूल्यांकन हानि के कारण हुई। मार्च 2017 के अंत में बाह्य ऋण जीडीपी के अनुपात में 20.2 प्रतिशत था जो मार्च 2016 के अंत में अपने 23.5 प्रतिशत के स्तर से कम है।
मार्च 2017 के अंत में भारत के बाह्य ऋण से संबंधित प्रमुख बातें नीचे प्रस्तुत हैं:
- मार्च 2017 के अंत में भारत का बाह्य ऋण 471.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जिसमें मार्च 2016 के अंत में इसके स्तर से 13.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज की गई (सारणी 1)।
- भारतीय रुपया की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मूल्यह्रास के कारण मूल्याकंन हानि 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रखी गई। मूल्यांकन प्रभावों को छोड़कर बाह्य ऋण में गिरावट मार्च 2016 के अंत में इसके स्तर की तुलना में मार्च 2017 के अंत में 13.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बजाय 14.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर होती।
- वाणिज्यिक उधार बाह्य ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा जिसकी हिस्सेदारी 36.7 प्रतिशत रही जिसके बाद एनआरआई जमाराशियां (24.8 प्रतिशत) और लघुकालिक व्यापार क्रेडिट (18.3 प्रतिशत) रहे।
- मार्च 2017 के अंत में दीर्घावधि ऋण 383.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जिसमें मार्च 2016 के अंत में इसके स्तर से 17.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज की गई।
- मार्च 2017 के अंत में कुल बाह्य ऋण में दीर्घावधि ऋण की हिस्सेदारी 81.4 प्रतिशत रही जो मार्च 2016 के अंत में 82.8 प्रतिशत से थोड़ी कम है।
- कुल बाह्य ऋण में लघुकालिक ऋण (मूल परिपक्वता) की हिस्सेदारी मार्च 2016 के अंत में 17.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2017 के अंत में 18.6 प्रतिशत हो गई। विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना में लघुकालिक ऋण का अनुपात मार्च 2017 के अंत में 23.8 प्रतिशत हो गया (मार्च 2016 के अंत में 23.1 प्रतिशत)।
- अवशिष्ट परिपक्वता आधार पर लघुकालिक ऋण मार्च 2017 के अंत में कुल बाह्य ऋण का 41.5 प्रतिशत था (मार्च 2016 के अंत में 42.7 प्रतिशत) और यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 52.9 प्रतिशत था (मार्च 2016 के अंत में 57.4 प्रतिशत) (सारणी 2)।
- अमेरिकी डॉलर मूल्यवर्गांकित ऋण मार्च 2017 के अंत में 52.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत के बाह्य ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा, जिसके बाद भारतीय रुपया (33.6 प्रतिशत), एसडीआर (5.8 प्रतिशत), जापानी येन (4.6 प्रतिशत) और यूरो (2.9 प्रतिशत) रहे।
- उधारकर्ता वर्गीकरण दर्शाता है कि सरकार का बकाया ऋण बढ़ गया तथापि, गैर-सरकारी ऋण में मार्च 2017 के अंत में गिरावट हुई (सारणी 3)।
- ऋण सेवा भुगतान मार्च 2016 के अंत में 8.9 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2017 के अंत में घटकर चालू प्राप्तियों का 8.3 प्रतिशत हो गया (सारणी 4)।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/3536
India’s External Debt as at the end of March 2017 | |
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