अगर आप मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कहीं भी घर खरीदने का मन बना रहे हैं, तो पहले रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े नए नियम जान लें। राज्य सरकार ने नए नियम बनाए हैं। हाउसिंग विभाग ने इन नियमों को जारी भी कर दिया है। इनमें बिल्डर, रियल एस्टेट एजेंट पर लगाम लगाने के साथ-साथ आपके फायदे वाले भी कुछ नियम हैं। ये नियम आपके लिए जानना जरूरी है, क्योंकि फ्लैट खरीदने के लिए आप अपनी सालों की गाढ़ी कमाई खर्च करेंगे। फिर घर तो इनोशनल एसेट और इन्वेस्टमेंट भी होते हैं, तो भला बिना कायदा-कानून जानें घर खरीदने में तो कोई समझदारी है नहीं। जैसे 10-20 रुपए की सब्जी के बारे में पहले पूरी तफ्तीश करते हैं, वैसी ही पड़ताल तो लाखों-करोड़ों का घर खरीदने से पहले भी तो करना चाहिए आपको। नए नियम इस साल एक मई से लागू हो जाएंगे। तो, कुछ नियम के बारे में यहां जान लीजिए...
> डेवलपर्स को अपने जारी प्रोजेक्ट और नए प्रोजेक्ट की सारी डीटेल्स की जानकारी देनी होगी। उनको यह जानकारी रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट) अथॉरिटी की वेबसाइट पर देनी होगी। साथ ही उनको हर तिमाही अपडेट भी करना होगा।
> बिल्डर्स को प्रॉपर्टीज की टाइटल्स, मंजूर प्लान, फ्लैट और फ्लोर की कुल संख्या के अलावा कार्पेट एरिया की भी जानकारी देनी होगी।
> बिल्डर्स को रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम 50 हजार रुपए और अधिकतम 10 लाख रुपए देने होंगे।
>यही नहीं, डेवलपर्स को उनके प्रोजेक्ट से जुड़े सारे रियल एस्टेट एजेंट्स की जानकारी और साथ ही स्ट्रक्चर इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स और ठेकेदारों के नाम और पते देने होंगे।
> प्लॉट की विस्तृत जानकारी देनी होगी। प्लॉट का अक्षांश और देशांतर भी बताना होगा।
> रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने पर बिल्डर्स को तीन साल की जेल का प्रावधान है।
> अगर ग्राहक बिल्डर्स या प्रोमोटर्स को कुल करारनाम राशि का 10 प्रतिशत से अधिक रकम का भुगतान कर दे तो बिल्डर को ग्राहक के साथ लिखित करार करना अनिवार्य है
>कोई भी करार अचानक से रद्द नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से कम से कम 15 दिन पहले बिल्डर्स को ग्राहकों को ई-मेल और रजिस्टर्ड पोस्ट से इसकी जानकारी देनी होगी।
>बिल्डर्स करार तभी रद्द कर सकता है, जब ग्राहक भुगतान करने में तीन बार से ज्यादा डिफॉल्ट किया है।
>बिल्डर्स को यह घोषणा करनी होगी कि वह किसी भी ग्राउंड पर ग्राहकों के साथ भेदभाव नहीं करेगा।
>बिल्डर्स को फ्लैट के निर्माण की देरी की स्थिति में ग्राहकों को मुआवजा देना होगा। मुआवजे की रकम
बिल्डर्स और ग्राहक की आपसी सहमति से तय होगी जिसका जिक्र करार में करना होगा।
>प्रोजेक्ट के 51 प्रतिशत फ्लैट बिकने, या अलॉट होने या फिर बुक होने की स्थिति में बिल्डर्स को सोसायटी का
निर्माण करना अनिवार्य होगा। सोसायटी का निर्माण 51 प्रतिशत फ्लैट बिकने, बुक होने या अलॉट होने की तारीख के तीन महीने के भीतर करना होगा
>ऑक्यूपेंसी की तारीख के तीन महीने के भीतर बिल्डिंग कन्वेंस (Conveyance) जरूरी है
> घर खरीदार को ऑक्यूपेंसी और बिल्डिंग कन्वेंस (Conveyance) की रसीद मिलने की तारीख
के 15 दिनों के भीतर फ्लैट लेना होगा
> रियल एस्टेट एजेंट को बिल्डर्स या प्रोमोटर्स के अलावा रेरा अथॉरिटी के साथ भी रजिस्टर्ड कराना होगा।
> रियल एस्टेट एजेंट को रजिस्ट्रेशन के लिए रेरा अथॉरिटी को 10 हजार रुपए देने होंगे और अगर एजेंट कोई
कंपनी है तो उसे एक लाख रुपए देने होंगे।
> अगर यह साबित हो जाए कि रियल एस्टेट एजेंट ने ग्राहक को दिग्भ्रमित किया है या फिर गलत सूचनाएं दी है
तो उसे सेल अमाउंट का 10 प्रतिशत जुर्माना देना होगा।
तो, घर खरीदने से पहले इन नियमों को जान लीजिए.....
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