नोटबंदी की वजह से अगर कैश की तंगी झेल रहे हैं और कैशलेस लेन-देन के लिए स्वाइप मशीन, माइक्रो एटीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं तो हो सकता है आपकी परेशानी बढ़ने वाली है। आप साइबर हमले का शिकार हो सकते हैं। दरअसल, साइबर अपराधी कैशलेस लेन-देन को लेकर काफी सक्रिय हो गए हैं और आप कभी भी उनका अगला शिकार बन सकते हैं, वो आपका डेटा चुराकर दुरुपयोग कर सकते हैं।
हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने और भारतीय इंटरनेट डोमेन की सुरक्षा को मजबूत करने वाली प्रमुख एजेंसी सीईआरटी-इन (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम-इंडिया) ने माइक्रो एटीएम और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) प्रणाली को लेकर दो परामर्श जारी किया है। इसमें उसने कहा है कि पीओएस प्रणाली में दर्ज किए जाने वाले डाटा मेमोरी में साफ-साफ लिखे होते हैं। वे एनक्रिप्टेड (कूट लेखन या कोड भाषा) नहीं होते हैं। इस कारण साइबर हमला कर डाटा चुराने वाले पीओएस प्रणाली में सेंध लगाने में ज्यादा सफल हो जाते हैं।
माइक्रो एटीएम से धन की निकासी, जमा और फंड ट्रांसफर किया जा सकता है। इससे बैलेंस की जानकारी भी हासिल हो जाती है। नोटबंदी के कारण इस मशीन का प्रयोग उन ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में बढ़ा है, जहां बैंकिंग सुविधाएं नहीं हैं। पीओएस मशीन के जरिये डेबिट और क्रेडिट कार्ड को स्वाइप कर खरीदारी की जाती है।
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माइक्रो एटीएम से धन की निकासी, जमा और फंड ट्रांसफर किया जा सकता है। इससे बैलेंस की जानकारी भी हासिल हो जाती है। नोटबंदी के कारण इस मशीन का प्रयोग उन ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में बढ़ा है, जहां बैंकिंग सुविधाएं नहीं हैं। पीओएस मशीन के जरिये डेबिट और क्रेडिट कार्ड को स्वाइप कर खरीदारी की जाती है।
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