अभी ज्यादा दिन नहीं हुए। करीब दो महीने पहले की बात है। एक मित्र के साथ मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई सोने में निवेश से संबंधित स्कीम पर चर्चा हो रही थी। चर्चा के दौरान मेरे मित्र ने मुझसे पूछा," मेरे पास सोने की कुछ जूलरी पड़ी है, क्या उसके लिए कोई स्कीमहै। " मैंने तपाक से बोला, हां है, ना। उन्होंने मुझसे विस्तार से उस स्कीम के बारे में पूछा। विस्तार से आगे उस स्कीम के बारे में मैं बताउंगा, लेकिन अभी उसका नाम जान लीजिए, उस स्कीम का नाम है गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम।
मुझे नहीं पता कि मेरे मित्र ने अपनी अतिरिक्ति जुलरी को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत जमा कराया या नहीं, लेकिन इन दिनों जो लोग सरकार के सोने पर लिमिट तय कर देने से परेशान हैं, इस स्कीम से उनकी परेशानी कुछ हद तक दूर हो सकती है।
>क्या है सोने पर लिमिट तय करने के नये नियम:
सोने के आभूषणों- गहनों पर विभिन्न स्पष्टीकरणः किसी भी व्यक्ति द्वारा पैतृक सहित आय के स्पष्ट स्रोत से प्राप्त स्वर्ण आभूषण या गहने रखने की कोई सीमा नहीं सोने के आभूषणों- गहनों के संबंध में आयकर कानून की वर्तमान स्थिति को लेकर किसी भी तरह की शंका को दूर करने के लिए यह स्पष्ट किया जाता है किः
(क) किसी भी व्यक्त द्वारा पैतृक सहित आय के स्पष्ट स्रोत से प्राप्त स्वर्ण आभूषण या गहने रखने की कोई सीमा नहीं।
(ख) 11.5.1994 के सर्कुलर के माध्यम से सोने और आभूषण की जब्ती के विषय में निर्देश जारी किए गए हैं।
(ग) विवाहित महिला से 500 ग्राम, अविवाहित महिला से 250 ग्राम तथा परिवार के प्रति पुरूष सदस्य से 100 ग्राम तक सोने के आभूषणों तथा गहनों की जब्ती नहीं की जाएगी। उस स्थिति में भी जब सरसरी तौर पर यह निर्धारिती की आय रिकार्ड से मेल नहीं खाता।
(घ) परिवार के रस्म-रिवाज और परंपरा आधारित उच्च मात्रा के स्वर्ण आभूषण को जब्त नहीं करने का विवेकाधिकार तलाशी करने वाले अधिकारी को प्राप्त है।
प्रेस नोट 01.12.2016
कराधान कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 के परिणामस्वरूप, जोकि लोकसभा में पारित हो गया है तथा राज्यसभा में विचाराधीन है, कुछ अफवाहों का दौर बना दिया गया है कि पैतृक आभूषणों सहित सोने के सभी आभूषणों पर 75 प्रतिशत की दर से कर और उपकर लगाया जाएगा। इसके साथ ही भुगतान योग्य कर की 10 प्रतिशत देयता पर अतिरिक्त शास्ति भी लगेगी।
2. यह एतद्द्वारा स्पष्ट किया जाता है कि उपर्युक्त विधेयक में आभूषणों पर कर लगाने संबंधी कोई नया प्रावधान अंत: स्थापित नहीं किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य केवल आयकर अधिनियम, 1961 (इस अधिनियम) की धारा 115 खखड़ के तहत लागू कर की मौजूदा दर को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करना है, जिसमें 25 प्रतिशत अधिभार तथा उस पर उपकर भी शामिल है। इस धारा में केवल आभूषण सहित परिसंपत्तियों में अस्पष्ट निवेश के मामले में लगाए जाने वाली कर की दर का उपबंध किया गया है। आय के रूप में इन परिसंपत्तियों की प्रभार्यता धारा 69, 69क तथा 69ख के प्रावधानों के द्वारा शासित होती हैं, जो कि 1960 से इस अधिनियम का भाग है। इस विधेयक का उद्देश्य इन धाराओं के प्रावधानों में संशोधन करना नहीं है। धारा 115 खखड़ के तहत कर की दर को बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है क्योंकि यह रिपोर्ट मिली है कि कर अपवंचक अपनी अघोषित आय को बिजनेस आय या अन्य स्रोतों से होने वाली आय के रूप में आय की विवरणी में शामिल करने का प्रयास कर रहें हैं। धारा 115 खखड़ के प्रावधान उन मामलों में लागू होते हैं जहां परिसंपत्ति अथवा नकदी आदि को ‘अस्पष्ट नकदी अथवा परिसंपत्ति‘ के रूप में घोषित किया जाना प्रार्थित है अथवा जहां इसे निराधार बिजनेस आय के रूप में छिपाया गया हो, तथा निर्धारिती अधिकारी ने इसका पता लगा लिया हो। ये कार्रवाइयां मुख्यत: उन मामलों में की जाती हैं, जहां विवरणी दाखिल की गई हो।
3. यह स्पष्ट किया जाता है कि अघोषित आय अथवा छूट प्राप्त आय जैसे कृषि से होने वाली आय या युक्तियुक्त घरेलू बचतों या कानूनी रूप से प्राप्त विरासत, जोकि स्पष्ट स्रोतों से अर्जित की गई हो, से खरीदे गए आभूषण/सोने पर न तो वर्तमान प्रावधानों के तहत, न ही प्रस्तावित संशोधित प्रावधानों के तहत कर लगता है। इस संबंध में, अनुदेश सं. 1916 के संदर्भ में भी ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह प्रावधान है कि तलाशी अभियानों के दौरान प्रति विवाहित महिला से 500 ग्राम, प्रति अविवाहित महिला से 250 ग्राम तथा परिवार के प्रति पुरूष सदस्य से 100 ग्राम तक सोने के आभूषणों तथा गहनों की जब्ती नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त किसी भी सीमा तक वैध तरीके से आभूषणों को रखना पूरी तरह से सुरक्षित है।
>अब तो आप समझ गए होंगे कि सोना रखने की लिमिट और शर्त क्या है और लिमिट से ज्यादा सोने रखने पर आपका कितना जुर्माना देना होगा। तो फिर, अतिरिक्त सोना छुपाकर रखने से फायदा तो है नहीं। क्यों ना, इस अतिरिक्त सोने को ऐसी जगह निवेश करें जहां आपको सोना सुरक्षा भी हो, उससे कमाई भी हो और उस पर
टैक्स भी ना लगें। इसके लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम एक बेहतर विकल्प हैं।
>गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की खास बातें:
-आख़िर होती किस लिए है:
लॉकर में रखे हुए गोल्ड का मूल्य उसकी क़ीमत के साथ बढ़ता तो है लेकिन वह आपको नियमित रुप से कोई ब्याज या डिविडेन्ड नही देता है। इसके विपरीत आपके ऊपर ही लागतें लगती हैं (जैसे लॉकर का किराया, आदि। मॉनेटाईज़ेशन स्कीम, आपको अपने गोल्ड पर नियमित ब्याज कमाने का मौक़ा देती है और आपके ख़र्चों को भी बचाती है। यह एक प्रकार का गोल्ड सेविंग अकाउन्ट होता है जिसमें, आप जो गोल्ड डिपॉज़िट करते हैं, उस पर ब्याज मिलता है। आप गोल्ड को फिज़िकल तरीक़े से डिपॉज़िट कर सकते हैं, जैसे ज्वेलरी, कॉइन्स या बार। इस गोल्ड पर इसके वज़न और मैटल वैल्यू के एप्रीसियेशन के आधार पर ब्याज मिलता है। आपको यह गोल्ड 995 फाईननेस गोल्ड के रुप में या भारतीय रुपयों में मिल सकता है, जैसा आप चाहें (यह विकल्प डिपॉज़िट के समय चुनना होता है)।
-अकाउन्ट खोलने के फ़ायदे: गोल्ड मॉनेटाईज़ेशन स्कीम में डिपॉज़िट करने के अनेक फ़ायदे हैं:
1-मसलन, गोल्ड मॉनेटाईज़ेशन स्कीम में आपको अपनी उस गोल्ड ज्वेलरी पर ब्याज मिलता है जो कि आपके लॉकर में पड़ी रहती है। टूटी हुई ज्वेलरी या फिर वह ज्वेलरी जिसे आप पहनना नही चाहते, उसके गोल्ड पर आपको ब्याज मिल सकता है। अकाउंट खुलवाना आसान है। जैसे बचत बैंक अकाउंट खुलवाते हैं, उसी तरह गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के लिए भी अकाउंट खुलेगा। आपको केवाईसी से संबंधित दस्तावेज बैंक के पास जमा कराने होंगे।
2-कॉइन्स और बार पर, धातु की क़ीमत में वृद्धि के अलावा ब्याज भी मिलता है।
आपके गोल्ड की सुरक्षा बैंक द्वारा की जाती है।
3-इसका रिडम्पशन आपको फ़िज़ीकल गोल्ड या रुपयों में मिल सकता है, जिससे आपको आगे
और भी धन प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है।
4-इस तरह से होने वाली आमदनी पर कैपिटल गेन टैक्स, वैल्थ टैक्स और इन्कम टैक्स से छूट
मिलती है। डिपॉज़िट किए गए गोल्ड की बढ़ी हुई क़ीमत पर या उससे आपको मिलने वाले ब्याज
भी कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है।
>शामिल अवधि (मिनिमम लॉक इन पीरियड):
निर्धारित बैंक द्वारा गोल्ड डिपॉज़िट को छोटी अवधि (1-3 वर्ष) बैंक डिपॉज़िट, मध्यम (5-7 वर्ष) और दीर्घावधि बैंक डिपॉज़िट (12-15 वर्ष) की सरकारी डिपॉज़िट स्कीम्स में जमा किया जाता है।
>परिपक्वता अवधि से पहले निकासी: इस काम के लिए निर्दिष्ट बैंक मिनिमम लॉक इन पीरियड के मद्देनजर परिपक्वता अवधि से पहले पूरा डिपॉजिट या कुछ हिस्सा निकालने की अनुमति दे सकते हैं और इस पर जुर्माना लगा सकते हैं।
>कितना ब्याज मिलेगा: मध्यम अवधि के डिपॉजिट में 2.25% जबकि लंबी अवधि के डिपॉजिट पर 2.5% सालाना। रिजर्व बैंक समय-समय पर ब्याज दर अधिसूचित करता रहता है। ब्याज दर पर नजर बनाए रखे।
>कम से कम कितना और ज्यादा से ज्यादा कितना सोना जमा करें: कम से कम कुल 30 ग्राम (जुलरी, सिक्के, बार सब मिलाकर), जबकि अधिक की कोई सीमा नहीं है, जमा कर सकते हैं।
>गोल्ड की प्योरिटी को जांचें (वेरिफाई करें):
आपके गोल्ड की प्योरिटी की जांच करना ज़रूरी है और यह अब कलेक्शन और प्योरिटी टेस्टिंग सेन्टर्स के ज़रिए किया जा सकता है। आप अपने गोल्ड को किसी भी रूप में इन सेन्टर्स पर ले जा सकते हैं और वे आपके ही सामने गोल्ड की जांच करेंगे एवं प्योरिटी व गोल्ड कन्टेन्ट का प्रमाण-पत्र देंगे, जैसे ही आप उपलब्ध डिपॉज़िट स्कीमों में से किसी एक में गोल्ड जमा करना तय करते हैं।
>डिपॉज़िटर के लिये पात्रता:
भारतीय निवासी {एकल, हिन्दू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट जिसमें म्युच्युअल फ़न्ड / एक्स्चेन्ज ट्रेडेड फन्ड जो क SEBI (म्युच्युअल फन्ड) नियामक और कंपनियों} में पंजीकृत हों, इस स्कीम में डिपॉज़िट कर सकते हैं। ग्राहक की पहचान के विषय में गोल्ड डिपॉज़िट एकाउंट्स खोलना उन ही सारे नियमों के अधीन होगा, जो किसी भी अन्य डिपॉज़िट अकाउन्ट पर लागू होते हैं।
>बैंक द्वारा गोल्ड के साथ क्या किया जाएगा:
निर्धारित बैंक द्वारा शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉज़िट के तहत, स्वीकार किए जाने वाला गोल्ड एमएमटीसी (MMTC) को इंडिया गोल्ड कॉइन्स मिन्टिंग के लिये या ज्वेलर्स को या उन बैंक्स को बेचा जा सकता है जो कि इस स्कीम में सहभागी हैं।
>स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम यानी जीएमएस) 2015:
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। हालांकि, स्वर्ण जमा योजना के तहत बकाया जमा को परिपक्वता तक चलने दिया जाएगा, अलबत्ता जमाकर्ता उन्हें समय से पहले वापस न ले लें।
भारत के निवासी (व्यक्ति विशेष, एचयूएफ यानी संयुक्त हिंदू परिवार, ट्रस्ट जिनमें सेबी (म्युचुअल फंड) विनियम एवं कंपनियों के तहत पंजीकृत म्युचुअल फंड/एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं) इस योजना के तहत जमा कर सकते हैं। इसमें एक समय में कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना (सोने की छड़, सिक्का, स्टोंस व अन्य
मेटल रहित गहने) बैंक में रखना होगा। इस योजना में जमा करने के लिए कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है।
इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा प्रमाणित संग्रह एवं पवित्रता परीक्षण केंद्रों (सीपीटीसी) पर भी सोने को स्वीकार किया जाएगा। बैंकों द्वारा 995 शुद्धता वाले सोने के बराबर जमा प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। योजना के तहत जमा का मूलधन और ब्याज सोने में नामित किया जाएगा। नामित बैंक सरकारी जमा योजनाओं के तहत स्वर्ण को अल्पावधि स्वर्ण डिपॉजिट (एक से तीन साल), मध्यम अवधि (पांच से सात साल) और लंबी अवधि (12 से 15 साल) तक के लिए जमा कर सकेंगे।
Headings
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Details
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Purpose
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To mobilize the idle gold in the country and put it into productive use.
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To provide the customers an opportunity to earn interest income on their
idle gold holdings.
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Eligibility
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Any Resident Indian of the following categories:
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Individuals, singly or jointly (as Former or Survivor)
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Proprietorship & Partnership firms.
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HUFs
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Trusts including Mutual Funds/Exchange Traded Funds registered under SEBI
(Mutual Fund)
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Companies
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Minimum Quantity
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30 gms (gross)
(No upper limit for deposit)
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Types of deposit
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Short Term
Bank Deposit (STBD): Tenure 1 to 3 years. Redemption either in rupee
equivalent or gold.
Medium and
Long Term Government Deposit (MLTGD): Tenure: 5-7 years and 12-15 years.
The deposit will be accepted by the Bank on behalf of the Central Government.
Redemption of the deposit will be only in INR equivalent of the value of gold
as per then prevailing price of gold.
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Rate of Interest &
Payment
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STBD:
The current interest rates are: 0.50% p.a. for 1 year, 0.55 % for 2 years and 0.60% for 3 years. Option for Interest Payment: STBD: Non-Cumulative (on 31st March) every year or Cumulative (On Maturity)
MLTGD: 5-7 years: 2.25% p.a.
12-15 Years: 2.50% pa.
The principal and interest on STBD shall be
denominated in gold. In the case of MLTGD, the principal will be denominated
in gold. However, the interest on MLTGD shall be calculated in Indian Rupees
with reference to the value of gold at the time of the deposit.
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Acceptance of gold
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Gold i.e. Gold bars, Coins, Jewellery etc. will
be accepted in scrap form only.Customers to submit Application Form,
Identification Proof, Address Proof and Inventory Form.
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Issue of Gold Deposit
Certificate
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Gold Deposit Certificate (in 995 fineness) will
be issued by Nodal Branch and will be sent to the depositor by Bullion
Branch, Mumbai.
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Issue of Gold Deposit
Certificate
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·
Gold Deposit Certificate will be issued by Nodal Branch (i.e. Bullion
Branch, Mumbai).
·
The certificate will be issued for pure gold contents (i.e. in 995
fineness)
·
Gold Deposit Certificate (GDCs) will be sent to the depositor by Nodal
Branch i.e. Bullion branch, Mumbai.
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Effective Date
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Interest on deposits under the scheme will start
accruing from the date of conversion of gold deposited into tradable gold
bars after refinement or 30 days after the receipt of gold whichever is
earlier.
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Nomination facility
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Available for deposits in single names in
individual capacity.
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Repayment
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STBD: Option to take repayment of
principal either in gold or equivalent rupees as on the date of maturity.
MLTGD: Redemption of the deposit
will be only in INR equivalent of the value of gold as per then prevailing
price of gold
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Premature payment
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STBD:Premature payment permitted
after a lock-in period of 1 year with a penalty on applicable interest rate.
MLTGD: A Medium Term Government
Deposit (MTGD) is allowed to be withdrawn any time after 3 years and a Long
Term Government Deposit (LTGD) after 5 years. Premature penalty will be as
per RBI Notification dated 21.01.2016.
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Authorised Branches
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P B Branch, New Delhi
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SME Branch Chandni Chowk, Delhi
·
Coimbatore Branch
·
Hyderabad Main Branch
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Thyagarayanagar Branch, Chennai
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Gold Monetisation Scheme,
2015
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