प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 366.64 लाख (26.50 प्रतिशत) किसान कवर किये गये और इस दर के आधार पर 2016-17 में खरीफ और रबी दोनों सीजन के लिए 30 प्रतिशत का निर्धारित लक्ष्य पार होने की संभावना है | |||||
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का देश में खरीफ 2016 से शुभारंभ हुआ और इसने पहले सीजन में ही बहुत प्रभावी प्रगति की है। आज की तारीख तक इस योजना के तहत 366.64 लाख किसान (26.50 प्रतिशत) आ चुके हैं और इस दर के आधार पर 2016-17 में खरीफ और रबी दोनों सीजन के लिए 30 प्रतिशत का निर्धारित लक्ष्य पार होने की संभावना है। इसके तहत कुल 388.62 लाख हेक्टेयर रकबा आया और 141339 करोड़ रूपये की राशि का बीमा हुआ। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सरकार ने नई योजना के रूप में शुरू किया है, क्योंकि पहली मौजूदा बीमा योजनाएं किसानों की बीमा कवरेज की सभी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही थी। खरीफ 2015, की तुलना में, इस सीजन के प्रदर्शन में किसानों की कवरेज के रूप में 18.50 प्रतिशत, रकबे की कवरेज के रूप में 15 प्रतिशत और बीमा राशि के रूप में 104 प्रतिशत का सुधार हुआ है। ऐसा गंभीर रूप से सूखा प्रभावित सीजनों के बावजूद हुआ, इसके तहत कवर किये गये किसानों की संख्या 309 लाख (22.33 प्रतिशत), कुल कवरेज रकबा 339 लाख हेक्टेयर और बीमित राशि रुपये 69,307 करोड़ रुपये थी। खरीफ 2016 के दौरान कार्य प्रदर्शन बेहतर रहा। हालांकि कुछ प्रारंभिक कठिनाईयां भी सामने आई। खरीफ 2015 की तुलना में खरीफ 2016 की उपलब्धियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि खरीफ 2015 में अधिकांश राज्यों में ऋण लेने वाले किसानों के लिए बीमा का लाभ उठाने की अंतिम तिथि 30 सितंबर, 2016 निर्धारित की थी और फसल बीमा के तहत नामांकन में सूखे की लंबी अवधि के बाद बहुत बढ़ोतरी हुई, जबकि यह साल सामान्य मानसून का रहा और बीमा का लाभ उठाने वालों की संख्या कम रहीं। बीमा का लाभ उठाने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई, 2016 से बढ़ाकर 10 अगस्त, 2016 कर दिया गया था। इसके अलावा, गैर-ऋणी किसानों की कवरेज के रूप में 6 गुना से भी अधिक की भारी बढ़ोतरी हुई है, जहां खरीफ 2015 में यह संख्या 14.88 लाख थी, वहीं खरीफ 2016 में बढ़कर 102.6 लाख हो गई। जो यह दर्शाती है कि इस योजना को गैर-ऋणी किसानों ने भी अच्छी तरह से अपनाया है। यह इसलिये संभव हुआ है, क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में यह प्रावधान है कि बीमित राशि वित्त के पैमाने के बराबर होनी चाहिए, जो यह दर्शाती है कि इसमें पहली योजनाओं की तुलना में किसानों के अधिक जोखिम को कवर किया गया है। (Source: pib.nic.in) |
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