हफ्ते का पहला दिन एशियाई और भारतीय बाजारों के लिए 'ब्लैक मंडे' साबित हुआ। शेयर बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। भारतीय शेयर बाजार में आज की गिरावट पिछले छह साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है, वहीं चीन का शंघाई कंपोजिट में 2007 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स एक हजार 6 सौ 25 अंक लुढ़ककर 26 हजार के स्तर के नीचे बंद हुआ जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी करीब 491 अंक फिसलकर 7 हजार 809 पर बंद हुआ। इससे निवेशकों के सात लाख करोड़ रुपए एक दिन में डूब गए। बात अगर चीन की करें तो यहां का बेंचमार्क इंडेक्स शंघाई कंपोजिट 297 अंक गोता लगाकर 3211 के करीब बंद हुआ।
भारतीय और एशियाई बाजार का प्रदर्शन:
गिरावट की 5 प्रमुख वजह :
1- चीन के शेयर बाजार को संभालने की सभी सरकारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही है। बाजार में बिकवाली बढ़ती जा रही है। हाल ही में स्थानीय करंसी का अवमूल्यन किया गया। इसके अलावा सरकार की तरफ से बाजार में काफी पैसा डाला गया। पेंशन फंड से बाजार को संभालने की कोशिश नाकाम रही।
2-शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार भी जोरदार गिरावट के साथ बंद हुए थे। मैन्युफैक्चरिंग PMI उम्मीद से
खराब आने और कच्चे तेल में जारी गिरावट से बाजार में तहलका मच गया। डाओ जोंस 531 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ था। इसके अलावा S&P 500 और नैस्डेक भी तीन-तीन परसेंट से ज्यादा की गिरावट के साथ
बंद हुए थे।
3- ग्रीस के प्रधानमंत्री अलेक्सीस सिप्रास के इस्तीफे के बाद ग्रीस को लेकर अंतर्राष्ट्रीय जगत में एक बार फिर
चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रपति ने कंजर्वेटिव विपक्ष को सरकार बनाने का न्यौता दिया है जिससे माना जा रहा है कि
ग्रीस के बेलआउट पैकेज को लेकर जारी प्रगति को झटका लग सकता है औक ग्रीस को यूरो जोन से बाहर
निकलने की नौबत आ सकती है।
4-कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपए के लगातार लुढ़कने से भी बाजार पर
दबाव बना है। पिछले हफ्ते अमेरिकी क्रूड 6 साल के निचले स्तर 39.41 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर दो साल के निचले स्तर 66.78 रुपया पर आ गया।
5- अगस्त महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। सेबी के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, 21 अगस्त तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार में 5.781 करोड़ रुपए की बिकवाली की गई, जबकि जुलाई में 922 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। इसके अलावा, आर्थिक सुधारों पर मोदी सरकार की नाकामी भी बाजार को निराश कर रहा है। जीएसटी बिल, भूमि अधिग्रहण बिल को
संसद से पारित कराने में सरकार को कोई खास कामयाबी नहीं मिली है।
सोमवार की 5 बड़ी गिरावट:
तारीख सेंसेक्स बदलाव निफ्टी बदलाव
बंद (प्वाइंट) बंद (प्वाइंट)
24 अगस्त 2015 25,741.56 (-1624.51) 7809 -490.95
21 जनवरी 2008 17,605.35 (-1408.35) 5208 -496.5
24 अक्टू. 2008 8707.07 -1070.63 2584 -359.15
17 मार्च 2008 14,809.49 -951.03 4503.1 -270.5
3 मार्च 2008 16,677.88 -900.84 4953 -270.5
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स एक हजार 6 सौ 25 अंक लुढ़ककर 26 हजार के स्तर के नीचे बंद हुआ जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी करीब 491 अंक फिसलकर 7 हजार 809 पर बंद हुआ। इससे निवेशकों के सात लाख करोड़ रुपए एक दिन में डूब गए। बात अगर चीन की करें तो यहां का बेंचमार्क इंडेक्स शंघाई कंपोजिट 297 अंक गोता लगाकर 3211 के करीब बंद हुआ।
भारतीय और एशियाई बाजार का प्रदर्शन:
गिरावट की 5 प्रमुख वजह :
1- चीन के शेयर बाजार को संभालने की सभी सरकारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही है। बाजार में बिकवाली बढ़ती जा रही है। हाल ही में स्थानीय करंसी का अवमूल्यन किया गया। इसके अलावा सरकार की तरफ से बाजार में काफी पैसा डाला गया। पेंशन फंड से बाजार को संभालने की कोशिश नाकाम रही।
2-शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार भी जोरदार गिरावट के साथ बंद हुए थे। मैन्युफैक्चरिंग PMI उम्मीद से
खराब आने और कच्चे तेल में जारी गिरावट से बाजार में तहलका मच गया। डाओ जोंस 531 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ था। इसके अलावा S&P 500 और नैस्डेक भी तीन-तीन परसेंट से ज्यादा की गिरावट के साथ
बंद हुए थे।
3- ग्रीस के प्रधानमंत्री अलेक्सीस सिप्रास के इस्तीफे के बाद ग्रीस को लेकर अंतर्राष्ट्रीय जगत में एक बार फिर
चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रपति ने कंजर्वेटिव विपक्ष को सरकार बनाने का न्यौता दिया है जिससे माना जा रहा है कि
ग्रीस के बेलआउट पैकेज को लेकर जारी प्रगति को झटका लग सकता है औक ग्रीस को यूरो जोन से बाहर
निकलने की नौबत आ सकती है।
4-कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपए के लगातार लुढ़कने से भी बाजार पर
दबाव बना है। पिछले हफ्ते अमेरिकी क्रूड 6 साल के निचले स्तर 39.41 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर दो साल के निचले स्तर 66.78 रुपया पर आ गया।
5- अगस्त महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। सेबी के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, 21 अगस्त तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार में 5.781 करोड़ रुपए की बिकवाली की गई, जबकि जुलाई में 922 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। इसके अलावा, आर्थिक सुधारों पर मोदी सरकार की नाकामी भी बाजार को निराश कर रहा है। जीएसटी बिल, भूमि अधिग्रहण बिल को
संसद से पारित कराने में सरकार को कोई खास कामयाबी नहीं मिली है।
सोमवार की 5 बड़ी गिरावट:
तारीख सेंसेक्स बदलाव निफ्टी बदलाव
बंद (प्वाइंट) बंद (प्वाइंट)
24 अगस्त 2015 25,741.56 (-1624.51) 7809 -490.95
21 जनवरी 2008 17,605.35 (-1408.35) 5208 -496.5
24 अक्टू. 2008 8707.07 -1070.63 2584 -359.15
17 मार्च 2008 14,809.49 -951.03 4503.1 -270.5
3 मार्च 2008 16,677.88 -900.84 4953 -270.5
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